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सीरिया पर कार्रवाई टली

Priya Esselborn३० अगस्त २०१३

फ्रांस ने इशारा किया है कि अगले बुधवार तक सीरिया पर सैनिक कार्रवाई नहीं की जाएगी. ब्रिटेन की संसद में कार्रवाई के विरोध में वोट पड़ने के बाद फ्रांस का रुख सबसे अहम माना जा रहा है.

तस्वीर: Getty Images/Afp

सीरिया पर सैनिक कार्रवाई के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्य अलग अलग रास्ते पर हैं. ब्रिटेन की संसद ने सीरिया पर सैनिक कार्रवाई के विरोध में वोट किया है जबकि फ्रांस हमले के पक्ष में है और बुधवार को संसद की आपात बैठक बुला रहा है. अमेरिका विश्व बिरादरी का सहयोग चाहता है तो रूस खुल कर सीरिया पर हमले का विरोध कर रहा है और चीन चुपचाप इसके विरोध में है.

सीरिया के मुद्दे पर अगर गुरुवार के दिन ब्रिटेन सुर्खियां बटोर रहा था, तो शुक्रवार को यह फ्रांस के हिस्से में गया. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने एलान कर दिया कि भले ही ब्रिटेन पीछे हटने का फैसला करे लेकिन इससे उनकी सरकार के फैसले पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. हालांकि फौरी टकराव की संभावना टलती दिख रही है क्योंकि ओलांद ने कहा है कि सैनिक कार्रवाई अगले बुधवार तक शुरू की जा सकती है.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांदतस्वीर: Reuters/Kenzo Tribouillard/Pool

बुधवार से पहले नहीं

उन्होंने कहा, "दमिश्क शासन के खिलाफ फ्रांस मजबूत और सही कार्रवाई चाहता है." फ्रांस की संसद में बुधवार को सीरिया के मुद्दे पर एक आपात बैठक होने वाली है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने सीरिया पर हमले के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कैमरन ने कहा कि वह संसद के फैसले का सम्मान करते हैं और सैनिक कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेंगे. रूस ने ब्रिटेन की संसद के इस फैसले का स्वागत किया है.

ओलांद ने कहा है कि अलग अलग देश अलग अलग फैसला कर सकते हैं, "हर देश के पास इस बात का अधिकार है कि वह कार्रवाई में शामिल होने या न होने का फैसला करे. यह बात ब्रिटेन पर भी लागू होती है और फ्रांस पर भी." फ्रांस सहित कई पश्चिमी देशों का मानना है कि सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना ने 21 अगस्त को राजधानी दमिश्क के पास रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है. उन्होंने तुरंत हमले की संभावना खारिज करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का इंतजार किया जाएगा. यूएन की एक विशेष टीम सीरिया में है, जो वहां रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के सिलसिले में नमूने ले रही है और उनकी जांच की जा रही है.

दूर रहेगा जर्मनी

इस बीच जर्मनी ने हमेशा की तरह युद्ध से दूर रहने का फैसला किया है. विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा कि इसकी कोई संभावना नहीं है. उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि "न तो उनसे इस बारे में पूछा गया है और न ही इस तरह का कोई इरादा" है.

वेस्टरवेले ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर इस बात का दबाव डाल रहे हैं कि वे एकराय बनाएं. साथ ही हम चाहते हैं कि यूएन इंस्पेक्टरों का काम जितनी जल्दी हो सकता है, पूरा हो." जर्मनी ने इससे पहले कहा था कि सीरिया की सत्ता ने अगर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है, तो उसे इसका खामियाजा भुगतना होगा.

तस्वीर: Creative Commons/Bertramz

यूएन टीम सीरिया में

संयुक्त राष्ट्र इंस्पेक्टरों की टीम दमिश्क के पास एक अस्पताल में गई है, जहां घायलों को दाखिल किया गया है. सीरिया की विपक्षी पार्टियों का दावा है कि 21 अगस्त वाले हमले में सैकड़ों लोगों की जान गई है. इस मामले की जांच कर रही यूएन टीम को सीरियाई सैनिक सुरक्षा दे रहे हैं. अंग्रेजी में 'यूएन' लिखी गाड़ियां जब होटल से अस्पताल की तरफ बढ़ीं, तो पीछे राष्ट्रपति बशर की सेना की गाड़ियां भी थीं. सीरियाई प्रशासन ने इस बीच विरोधियों पर रासायनिक हथियार इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया है.

अमेरीका की कोशिश

ब्रिटेन और फ्रांस के अलग अलग रुख के बाद अमेरिका के सामने पश्चिमी देशों को एकजुट करने में परेशानी हो रही है. ब्रिटेन की संसद में "उम्मीद से उलट" नतीजा आने के बाद भी अमेरिका ने कहा है कि वह ब्रिटेन से लगातार सलाह मशविरा करता रहेगा, जो उसका बेहद करीबी साथी है. हालांकि ब्रिटेन में विपक्ष के नेता एड मिलिबैंड का कहना है कि अमेरिका के साथ रिश्ते का मतलब यह नहीं कि "अमेरिकी राष्ट्रपति जो कहें, वही करना है."

अमेरिकी रक्षा मंत्री चक हेगेल इस बीच फिलीपींस की राजधानी मनीला में हैं, जहां उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रपति ओबामा और हमारी सरकार का लक्ष्य है कि जो भी फैसला किया जाए, वह एक अंतरराष्ट्रीय साझीदारी में हो." हेगेल ने कहा, "हमारी कोशिश है कि हम अंतरराष्ट्रीय गठबंधन तैयार करें, जो एक साथ काम करे."

हालांकि रूस की मंशा है कि संयुक्त राष्ट्र में सैनिक कार्रवाई के पक्ष में सहमति न बन पाए. उप विदेश मंत्री गेनाडी गातीलोव ने शुक्रवार को रूसी समाचार एजेंसी इतार तास से बातचीत में इस बात की संभावना जता दी कि अगर कार्रवाई का प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में आता है, तो रूस वीटो का इस्तेमाल कर सकता है.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी, एपी, डीपीए)

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