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सीरिया में पुतिन की कामयाब चाल

इंगो मानटॉयफेल/एमजे२४ सितम्बर २०१५

रूस ने सीरिया में एक सैनिक अड्डा बनाया है. सीरिया में सैन्य उपस्थिति के साथ वह एक से ज्यादा मकसद पूरा कर रहा है. डॉयचे वेले के इंगो मानटॉयफेल का कहना है कि वह सीरिया में अपने हितों की स्थायी सुरक्षा कर रहा है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/V. Maximov

नहीं, यूरोप का शरणार्थी संकट इसकी वजह नहीं है कि रूस अपने लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और सैनिक साज सामानों को सीरिया के एक सैनिक अड्डे पर तैनात किया है. क्रेमलिन ने सीरिया और मध्यपूर्व से आने वाले शरणार्थियों की लहर को यूरोप की घरेलू समस्या बताया है. यूं भी नैतिक मूल्य रूस की विदेशनैतिक सोच का कभी हिस्सा नहीं रहे हैं.

राष्ट्रीय हित

मॉस्को में सिर्फ राज्य के वस्तुपरक भूराजनीतिक हितों की पूछ है. सीरिया में रक्तपात में जिम्मेदारी के नैतिक सवाल से मुक्त रूसी विदेशनीति ने कभी असद सरकार को सैनिक और कूटनीतिक मदद देने में कोई समस्या नहीं देखी. आखिरकार असद मध्यपूर्व में रूस के आखिरी बचे हुए सहयोगी हैं. और रूस की सत्ता राजनीति में यही महत्वपूर्ण है. लेकिन गर्मियों से रूस को चिंता है कि असद पृष्ठभूमि में जा सकते हैं. ईरान समझौते ने अमेरिका और असद के सबसे अहम साथी ईरान के बीच टकराव के खत्म होने के संकेत दिए हैं. अमेरिका और तुर्की की सीरिया में सैनिक कार्रवाई हालांकि इस्लामिक स्टेट के हत्यारों पर लक्षित थी, लेकिन वह बशर अल असद की बची खुची सरकार के लिए भी खतरा है.

इंगो मानटॉयफेल

इसलिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद पहल करने का फैसला किया है. इस्लामिक स्टेट के खिलाफ पश्चिमी देशों की लड़ाई के साये में उन्होंने पिछले हफ्तों में सीरिया के तट पर रूसी सैनिक अ्डडा बनवा दिया है. इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में पुतिन निश्चित तौर पर इस सैनिक अड्डे को आईएस के खिलाफ संघर्ष में रूसी योगदान के रूप में पेश करेंगे, जबकि राष्ट्रपति असद के लिए उनका समर्थन जारी रहेगा.

रूसी लक्ष्य

यदि अमेरिका और पश्चिमी देश इस पेशकश को मान लेते हैं तो पुतिन का अधिकतम लक्ष्य पूरा हो जाएगा. क्रीमिया के कब्जे और यूक्रेन में लड़ाई की वजह से अलग थलग पड़ा रूस फिर से मुख्य धारा में शामिल हो जाएगा. विश्व सत्ता के रूप में रूस फिर से स्थापित हो जाएगा और अमेरिका के साथ बराबरी का रिश्ता कायम हो जाएगा. इसके अलावा असद सरकार भी बच जाएगी जिसे रूस की ताकत का सबूत समझा जाएगा. लेकिन यदि अमेरिका आईएस विरोधी साझा मोर्चे की पेशकश स्वीकार नहीं करता, फिर भी रूस मौजूदा स्थिति से ताकतवर होकर निकलेगा. हर हाल में रूस से सामरिक महत्व के भूमध्यसागर तट पर स्थित लटकिया में अपना अड्डा बना ही लिया है.

सीरिया यदि गृहयुद्ध में और उलझता जाता है फिर भी लटाकिया का चुनाव सोच समझ कर किया गया है. वह सिर्फ असद परिवार का गृहनगर ही नहीं है. वह अलावी समुदाय का ऐतिहासिक बसेरा है और असद के शासक नहीं रहने की स्थिति में अलावी राज्य का इलाका जिसका पहले भी पहले विश्व युद्ध के बाद फ्रांसीसी शासन में अस्तित्व रहा है. इस सामरिक महत्व के सैनिक अड्डे के बदले में रूस इस अलावी राज्य को सुरक्षा देने वाला देश होगा. रूस स्थायी रूप से मध्यपूर्व के मामलों में किरदार बना रहेगा. इस न्यूनतम लक्ष्य का मतलब भी मॉस्को के लिए पुतिन की सीरिया नीति की कामयाबी होगी.

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