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सीरिया में महिलाओं और बच्चों की आफत

१५ जनवरी २०१३

सीरिया में विद्रोहियों ने लड़ाइयों और हवाई हमलों की खबर दी है. होम्स में आर्टिलरी हमले में 10 लोग मारे गए हैं. दमिश्क के पास विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमले हुए हैं. संघर्ष में महिलाओं से बलात्कार की रिपोर्ट भी हैं.

तस्वीर: dapd

लंदन स्थित सीरियाई मानवाधिकार ऑब्जर्वेटरी ने कार्यकर्ताओं से मिलने वाली सूचना के आधार पर कहा है कि म्लेहा और विद्रोहियों के दूसरे ठिकानों पर हवाई हमले हुए हैं. हूला पर हुए हमले में मरने वालों में पांच महिलाएं भी हैं. ऑब्जर्वेटरी के निदेशक रामी अब्देल रहमान ने कहा है कि हूला में हर रोज गोलीबारी हो रही है. कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क ने हूला में हुई मौतों को नरसंहार बताया है  और कहा है कि गोलीबारी में दर्जनों लोग घायल हुए हैं.

भागते परिवारतस्वीर: Reuters

उत्तरी सीरिया में विद्रोहियों के नियंत्रण वाले अल बाब शहर पर मंगलवार तड़के हुए हमले में आठ लोग मारे गए, जिनमें चार महिलाएं हैं. ऑब्जर्वेटरी ने दमिश्क के निकट म्लेहा में हिंसा भड़कने की खबर दी है. एक सैनिक चौकी पर लड़ाई के बाद वहां बमबारी की गई है. विद्रोही शहर शेबा और डूमा पर भी बमबारी की गई. पिछले हफ्तों में दमिश्क सीरिया विवाद के केंद्र में आ गया है. सेना खोये हुए इलाकों पर फिर से कब्जे की कोशिश कर रही है. एक सरकार विरोधी कार्यकर्ता अबु बिलला ने कहा है कि सेना होम्स को फिर से वापस पाने की कोशिश कर रही है.

सोमवार को सीरिया में हुई हिंसा में कम से कम 26 बच्चे भी मारे गए. ऑबजर्वेटरी के अनुसार इनमें से बहुत से बच्चे बमबारी में मारे गए हैं. सरकारी टेलीविजन ने मौत के लिए "आतंकवादियों" को जिम्मेदार ठहराया है. ह्यूमन राइट्स वाच ने असद सरकार पर प्रतिबंधित क्लस्टर बमों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. ऑब्जर्वेटरी के अनुसार सीरिया विवाद में मार्च 2011 के बाद से अब तक 3,500 बच्चे मारे गए हैं.

नष्ट होता देशतस्वीर: Reuters

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 22 महीने पहले राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू होने के बाद सीरिया में कुल 60,000 लोग मारे गए हैं. पश्चिमी देश बशर के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन बशर की सरकार विद्रोह को बर्बरता से कुचल रही है.

अमेरिका स्थित राहत संस्था इंटरनेशनल रेस्क्यू समिति का कहना है कि सीरिया में गृहयुद्ध के कारण मानवीय विपदा पैदा हो गई है. संस्था का कहना है कि 25 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं जिनमें से 6 लाख लोगों  ने पड़ोसी देशों में शरण ली है. आईआरसी की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य पूर्व एक बार फिर मानवीय विस्थापन की समस्या से जूझ रहा है. संस्था का कहना है कि इस समय दी जा रही सहायता जरूरत से काफी कम है.

असर खोते राष्ट्रपतितस्वीर: REUTERS/Sana

संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि अगर लोगों का अभी की तरह भागना जारी रहा तो जल्द ही शरणार्थियों की संख्या 10 लाख से ज्यादा हो जाएगी. इस समय हर रोज 3,000 लोग अपना घरबार छोड़कर सुरक्षित जगहों की तरफ भाग रहे हैं. भागने वाले लोगों का कहना है कि उनके परिवारों के भागने की मुख्य वजह बलात्कार है. आईआरसी की रिपोर्ट के अनुसार "बहुत सी महिलाओं और लड़कियों ने मुख्य रूप से हथियारबंद लोगों द्वारा खुले आम या घरों पर हमले की बात बताई है." रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह की जबरदस्ती अक्सर परिवार के लोगों के सामने होती है.

शरणार्थियों ने हत्या, जबरन गिरफ्तारी, यातना, लापता होने, बमबारी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी की कहानियां सुनाई हैं. इसके अलावा खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति भी कम होती जा रही है. आईआरसी की रिपोर्ट का कहना है कि घर छोड़कर भाग रहे परिवारों को मोर्चे बदलने के कारण नियमित विस्थापन का शिकार होना पड़ रहा है. 57 देशों की ओर से स्विट्जरलैंड ने सुरक्षा परिषद को सीरिया के मानवाधिकारों के हनन का मामला अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय आईसीसी को सौंपने की अर्जी दी है. सीरिया आईसीसी का सदस्य नहीं है.

एमजे/ओएसजे (एएफपी, डीपीए)

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