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सीरिया में मानवता की कराह

७ अगस्त २०१२

एक तरफ विद्रोहियों की बंदूकें हैं तो दूसरी ओर हैं सरकारी टैंक. गोलीबारी, आगजनी और हत्याकांड के बीच आम आदमी फंसकर रह गया है. विश्व के ताकतवर देश राजनीति की रोटियां सेंक रहे हैं. सीरिया में मानवता कराह रही है.

तस्वीर: AP

राजधानी दमिश्क और सबसे बड़े शहर अलेपो में तो हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं.  हजारों लोग पलायन कर लेबनान में शरण ले चुके हैं लेकिन जख्म और दर्द से राहत कहीं नहीं. इजाज महंगा है और हाथ में पैसा भी नहीं. लडा़ई 18वें महीने में पहुंच चुकी है. खुद संयुक्त राष्ट्र अनुमान लगा रहा है कि करीब 30 हजार सीरियाई लेबनान में शरणार्थी बन चुके हैं. कभी जिनका मुल्क हुआ करता था, घर बार हुआ करता था, वो बेघर बार हो चुके हैं. दर ब दर की ठोकरें खा रहे हैं.

लेबनान के उत्तरी इलाके में वदी खालेद में सीरियाई शरणार्थी सबसे ज्यादा हैं. ज्यादातर लोग रात के अंधेरे में तस्करों की सहायता से सीमा पार करते हैं. उन्हें भोजन, पानी और ठिकाने की तत्काल जरूरत है लेकिन उपल्बध कराए तो कौन. इनमें से 2,000 लोगों को तो तत्काल मेडिकल सहायता की जरूरत है. आमिर इदरीस इन्हीं में से एक हैं. सरकारी हमले में घायल हुए इदरीस कहते हैं, "मेरी दोनों जांघों में गोली लगी थी. मैं एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहा कि तभी उन लोगों ने हम पर गोलीबारी शुरू कर दी. हमने केवल इतना देखा कि सरकार के सुरक्षाकर्मी हम पर गोलियां चला रहे है." खास बात ये है कि इदरीस ने सीरिया के अस्पताल में इलाज कराने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि सीरिया के अस्पतालों में इस समय सरकारी एजेंटों की भरमार है. वे लोग घायल प्रदर्शनकारियों को खोजते रहते हैं. इदरीस कहते हैं, "आप जख्मी हालत में जाएंगे और मरे हुए वापस आएंगे. अगर वे हमें पा गए तो मार डालेंगे."

अस्पताल के बेड पर लेटा इदरीस को अब डॉक्टरों का भरोसा हैतस्वीर: Don Duncan

इदरीस को जून में गोली लगी थी. इसी के बाद ही उन्होंने लेबनान भागने का फैसला किया. वह उसी गुप्त रास्ते से भागकर लेबनान आए जिनसे सीरिया की विद्रोहियों की सेना आती थी.

सीरिया की सीमा से लगा लेबनान का उत्तरी कस्बा अरसल  कुछ दिन पहले तक शांत रहता था लेकिन इन दिनों हलचल से भरा हुआ है. जैसे जैसे सीरिया में लड़ाई खिंचती जा रही है इस शहर में घायलों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. लेबनान की तरफ की सीमा में रेड क्रॉस जैसे संगठन और कई एनजीओ हालांकि घायलों की देखभाल कर रहे हैं, पर ये नाकाफी है.

लेबनान पहुंचे रेड क्रॉस के आपदा प्रबंधन के निदेशक गेयोर्गेस केतानेह का कहना है, "हमारे पास स्पेशल टीमें हैं. स्पेशल उपकरण हैं. हम घायलों को खून भी चढ़ा रहे हैं." लेकिन समस्या है कि घायलों की तादाद व्यवस्था से कई गुना ज्यादा है. पहले तो अस्पतालों में भी सुरक्षा थी और साफ सफाई थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

शरणार्थियों के जरिए चलाए जाने वाले एक संगठन के निदेशक अबू रैद  कहते हैं, "सीरिया के घायलों को जिन जगहों पर छिपाया जाता था उनके बारे में लोगों को पता चल चुका है. उनमें कई लोग तो ऐसे हैं जो सीरिया की सरकार के समर्थक हैं." लेबनान में सीरियाई शरणार्थियों की बढ़ती तादाद की वजह से घायलों को अब लीबिया की राजधानी त्रिपोली के मुख्य अस्पतालों में भी भर्ती कराया जाने लगा है. इदरी का इलाज त्रिपोली के ही एक अस्पताल में हो रहा है. लेकिन समस्या ये है कि अस्पताल महंगे हैं. यह भी कोई नहीं जानता कि कब तक घायल आते रहेंगे.

रिपोर्ट: डॉन डंकन, त्रिपोली/वीडी

संपादन: ओ सिंह

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