सीरिया से मिली ताजा तस्वीरें युद्ध अपराध की ओर इशारा करती हैं. विपक्ष के साथ मिल गए एक सैन्य पुलिस फोटोग्राफर द्वारा दी गई तस्वीरों में 11,000 कैदियों की व्यवस्थित हत्या के सबूत हैं. तीन प्रमुख वकीलों ने इनकी जांच की है.
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ये तस्वीरें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पर दबाव और बढ़ा देंगी, जिनपर अमेरिका और पश्चिमी देश युद्ध अपराध के आरोप लगाते रहे हैं. असद युद्ध अपराधों से इनकार करते हैं और आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने का दावा करते हैं. विद्रोहियों से मिल गए सैन्य पुलिस फोटोग्राफर द्वारा दी गई ये तस्वीरें मार्च 2011 से अगस्त 2013 के बीच कैदियों को दी गई यातना की झलक दिखाती हैं.
पूर्व में युगोस्लाविया और सियेरा लियोन के युद्ध अपराधों से संबंधित मामलों से जुड़े तीन अभियोजकों की जांच के आधार पर तैयार यह रिपोर्ट द गार्डियन में छपी है. सर देसमंड दे सिल्वा, सर जेफ्री नाइस और प्रोफेसर डेविड क्रेन की रिपोर्ट ठीक उस समय सामने आई जब शुक्रवार से जेनेवा में सीरियाई विपक्ष और सरकार के बीच शांति वार्ता की तैयारियां चल रही हैं.
यातना के प्रमाण
गार्डियन के अनुसार सीजर नाम से जाने जा रहे इस फोटोग्राफर ने ये तस्वीरें एक मेमोरी स्टिक के जरिए सीरियन नेशनल मूवमेंट को भेजीं जिसे कतर का समर्थन प्राप्त है. पिछले दस दिनों में तीन अलग अलग अभियोजकों ने इन तस्वीरों की जांच की और स्रोत से अलग अलग बात भी की. तीनों अभियोजकों ने उसे विश्वसनीय पाया.
2013: सीरिया का अंतहीन दर्द
1,20,000 से ज्यादा लोग गृह युद्ध में मारे गए हैं लेकिन सरकार और विरोधी दोनों ही तरफ से सुलह के कोई संकेत नहीं हैं
तस्वीर: Reuters/Nour Kelze
अस्तित्व की लड़ाई
सेना ने अलेपो में पेट्रोल और ईंधन डिपो में आग लगा दी. औरतें, बच्चे और पुरुष जान बचाने के लिए भागते हुए. सीरिया में जारी गृह युद्ध में अब तक सवा लाख लोग मारे जा चुके हैं. लाखों लोग जान बचाने के लिए सीरिया छोड़ चुके हैं. कूटनीतिक हल अब भी नजर नहीं आता.
तस्वीर: Reuters
दमिश्क में जहरीली गैस
21 अगस्त 2013: विपक्षियों ने आरोप लगाया कि सीरिया सरकार ने विरोधियों पर काबू पाने के लिए दमिश्क के दो शहरों में जहरीली गैस का इस्तेमाल किया. जल्द ही इंटरनेट पर इससे जुड़ी तस्वीरें और वीडियो जारी किए गए. इस तस्वीर में दिखने वाले दो बच्चे भाग्यशाली हैं, जो बच गए.
तस्वीर: Reuters
ओबामा की चेतावनी
जहरीली गैस के हमले में 1400 से ज्यादा लोग मारे गए. अमेरिकी सरकार ने पहले ही सीरिया को केमिकल हमला न करने की चेतावनी दी थी. इसके बाद ओबामा सरकार को कड़े कदम उठाने पड़े. 30 अगस्त को ओबामा ने एलान किया कि हमले के लिए दोषी लोगों को सजा मिलेगी.
तस्वीर: Reuters
बेगुनाही का दावा
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने सेना का बचाव करते हुए रासायनिक हमले से इनकार किया. असद सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष जोड़ तोड़कर तथ्यों को पेश कर रहा है ताकि पश्चिमी देशों को भड़काया जा सके. हालांकि रूस में भी असद के सहयोगी उलझन में थे. अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद असद ने यूएन के निरीक्षकों को सीरिया में आकर जांच की इजाजत दी.
तस्वीर: Getty Images/AFP
सबूतों की तलाश
यूएन के निरीक्षकों ने दमिश्क के उपनगरों की कई बार यात्रा की. उन्होंने पीड़ितों से हमले के बारे में पूछा और अपने साथ नमूना ले गए. उन्होंने जांच में पाया कि हमले के लिए सरीन गैस का इस्तेमाल किया गया. लेकिन उन्हें यह बताने की इजाजत नहीं थी कि हमले के पीछे कौन था. यह उन्हें दिए गए अधिकारों का हिस्सा नहीं था. अमेरिकी सरकार के लिए स्पष्ट था कि असद इसके लिए जिम्मेदार हैं.
तस्वीर: Reuters/Mohammad Abdullah
ओबामा के पास सैन्य विकल्प
चूंकि ओबामा की खींची गई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन हुआ था, अमेरिकी राष्ट्रपति को मजबूरी में दखल के बारे में सोचना पड़ा. और वास्तव में सरीन गैस के हमले के कुछ दिनों के भीतर ऐसा लग रहा था कि अमेरिकी सैन्य कार्रवाई करीब है. लेकिन अमेरिकी जनता सीरिया पर सैन्य हमले के पक्ष में नहीं थी.
तस्वीर: Reuters
कूटनीति के लिए अवसर
आखिरकार असद के साथी रूस ने ओबामा को एक विकल्प की पेशकश की. मॉस्को ने सीरिया में यूएन निरीक्षकों की जांच और असद के केमिकल हथियारों को नष्ट करने का प्रस्ताव दिया. सीरिया ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. 14 सितंबर को अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस समझौते का एलान किया.
तस्वीर: Reuters
अछूत से भागीदार
असद समर्थकों ने इस समझौते की सराहना की. असद की सरकार को केमिकल हथियार मजबूरी में सौंपने पड़े. लेकिन सैन्य कार्रवाई टल गई. असद की स्थिति मजबूत हो गई. एक बार फिर असद बातचीत की मेज तक पहुंचने में कामयाब हुए. असद विरोधियों के हाथ हताशा लगी. पश्चिमी हस्तक्षेप की उनकी उम्मीदें धराशायी होती नजर आई.
तस्वीर: Reuters
दबाव में विपक्ष
सैन्य नजरिए से विद्रोही लड़ाके धकेल दिए गए. सीरिया के जानकार हमादी अल आउनी के मुताबिक, ''असद की सेना ने 80 फीसदी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है.''
तस्वीर: Getty Images
रोजमर्रा की जिंदगी
फ्री सीरियन आर्मी के लड़ाके लड़ाई से दूर खाली समय में स्वीमिंग पूल में मजा लेते हुए. यह तस्वीर अलेपो की है. यह शहर भी देश की तरह दो गुटों में बंटा हुए है. कहीं सरकार का कब्जा है तो कहीं विद्रोहियों ने कब्जा किया हुआ है. खाद्य सामग्री की किल्लत है.
तस्वीर: Reuters/Hamid Khatib
संकट में बच्चे
शरणार्थियों में 10 लाख बच्चे भी शामिल हैं. वे उन परिवारों में पलते बढ़ते जहां पिता का साया नहीं होता. गृह युद्ध की वजह से परिवार बिखर गए हैं. कुछ बच्चों को अपने परिवार के लिए काम करना पड़ता है. इस तस्वीर में दिख रहा बच्चा अपनी मां के साथ लेबनान के शरणार्थी कैंप में रहने को मजबूर है.
तस्वीर: Reuters
संशय में भविष्य
उत्सुकता से सीरिया शांति सम्मेलन का इंतजार हो रहा है लेकिन वह कई बार स्थगित कर दिया गया है. अब यह जिनेवा में 22 जनवरी के लिए निर्धारित है. लेकिन ज्यादातर विरोधी संगठन इसमें शामिल नहीं होने वाले हैं. समझौते की तरफ असद का झुकाव बेहद कम है.
तस्वीर: Reuters/Nour Kelze
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इन तस्वीरों में कई कैदियों की आंखें निकालने, गला घोंटकर और बिजली के झटकों से मारे जाने के भी प्रमाण शामिल हैं. फोटोग्राफर ने कहा कि उसका काम मारे गए कैदियों की तस्वीरें लेना था. उसने हत्या या उत्पीड़न देखने का दावा नहीं किया है. अभियोजकों द्वारा तैयार की गई 31 पन्नों की यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र और मानव अधिकार संगठनों को भी मुहैया कराई गई है.
इन तस्वीरों के आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के आदेश दिए गए और उनके परिवारों को लाश देखने की इजाजत नहीं दी गई. मृतकों के परिवारों को बताया गया कि मौत दिल का दौरा पड़ने या सांस लेने में दिक्कत से हुई. रिपोर्ट के अनुसार 55000 डिजिटल तस्वीरों की तीन फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने जांच की. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर की हालत बेहद खराब थी और उन्हें लोहे की छड़ों से मारा गया था. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों की प्रमुख नवी पिल्लै ने भी बीते दिसंबर कहा था कि सीरिया में जांच समिति को सैन्य अधिकारियों के युद्ध अपराध में शामिल होने के सुबूत मिले हैं.