सीरिया में सैन्य कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगा जर्मनी
१३ अप्रैल २०१८
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने सीरिया मामले में अपने सहयोगियों को मदद का आश्वासन दिया है. लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि जर्मनी के सैनिक सीरिया के हमले में शामिल नहीं होंगे.
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सीरिया के खिलाफ पश्चिमी देशों की कार्रवाई पर बढ़ती बहस के बीच जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि जर्मनी अपने साथी देशों को सहयोग देने के लिए तैयार है, लेकिन वह किसी भी भावी सैनिक हमले में शामिल नहीं होगा. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जर्मनी किसी भी हाल में रासायनिक हमलों के इस्तेमाल को जायज नहीं ठहराता, "इस मसले पर कुछ नहीं करना भी मुश्किल है. अगर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस वहां सैनिक कार्रवाई करते हैं तो जर्मनी मदद के लिए गैर-सैन्य तरीकों की तलाश करेगा."
चांसलर अंगेला मैर्केल ने सीरिया में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के मुद्दे पर रूस की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि रूस सीरिया में हुए कथित रासायनिक हमलों की जांच में बाधा डाल रहा है. इसके पहले जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने अपने बयान में कहा था कि अब तक फ्रांस और अमेरिका ने जर्मनी से सीरिया मसले पर कोई सहयोग नहीं मांगा है. मास ने कहा, "अगर हम रूस पर दवाब बनाना चाहते हैं तो पश्चिमी खेमा अलग-अलग राहों पर नहीं चल सकता."
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सीरिया पर तल्ख ट्वीट्स पर किए गए सवाल को चांसलर मैर्केल टाल गईं. उनसे पूछा गया कि क्या ट्वीट्स ने कूटनीति को कठिन बना दिया है तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
जर्मन सरकार में ट्रांस अंटलाटिक संबंधों के प्रभारी पेटर बायर ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि ट्रंप का संदेश देने का तरीका जर्मनी के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है. बायर ने कहा, "वैश्विक मंच पर अमेरिका अब भी जर्मनी और यूरोप के लिए बेहद अहम है. लेकिन पिछले कुछ समय में हुई घटनाओं ने हमारी चिंताओं को बढ़ा दिया है. साथ ही आपसी बातचीत के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीकों में भी बदलाव आया है. कुल मिलाकर हम नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं."
सीरिया में अब कहां कौन सी जंग है
सीरिया में सात साल से जंग चल रही है और कई मोर्चों पर यह आज भी उसी तरह से जारी है. लाखों की तादाद में आम लोग गोलीबारी के बीच फंसे हुए हैं और मानवीय सहायता के लिए तरस रहे हैं.
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आफरीन
कुर्दों का यह इलाका पश्चिम और उत्तर में तुर्की और दक्षिण और पूरब में तुर्की समर्थक विद्रोहियों से घिरा है. 20 जनवरी को तुर्की ने कुर्दों के उत्तर पश्चिमी इलाके पर धावा बोला. तुर्की कुर्द लड़ाकों की संस्था वाईपीजी को आतंकवादी संगठन और प्रतिबंधित राजनीतिक गुट कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) की शाखा मानता है.
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अमेरिका समर्थित कुर्द
हालांकि वाईपीजी अमेरिका समर्थित कुर्द अरब गठबंधन का एक प्रमुख घटक है जिसने सीरिया में इस्लामिक स्टेट से जंग में प्रमुख भूमिका निभाई है. सीरिया में मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली ब्रिटेन स्थित संस्था के मुताबिक तुर्की के नेतृत्व में हवाई हमलों और टैकों से गोलाबारी के बावजूद यह अभियान धीमी गति से ही बढ़ा है.
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सिर्फ निंदा
कुर्दों ने कई बार राष्ट्रपति बशर अल असद से आफरीन को बचाने के लिए दखल देने की मांग की है लेकिन सीरिया ने अभी तक कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की है. राष्ट्रपति ने तुर्की के हमले को "बर्बर" कह कर निंदा जरूर की है. 20 जनवरी से अब तक इस हमले में 77 सीरियाई आम नागरिक मारे गए हैं जिनमें 21 बच्चे भी शामिल है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 15000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
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पूर्वी गूटा
राजधानी दमिश्क के बाहर पूर्वी गूटा विद्रोहियों का गढ़ है. बीते कुछ हफ्तों में इस इलाके पर असद की सेना ने हवाई और टैंकों से भारी हमले किए हैं. बीते हफ्ते केवल पांच दिनों में ही सेना की बमबारी में 250 से ज्यादा आम लोग मारे गए और 770 से ज्यादा घायल हुए.
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शांत क्षेत्र!
असद के सहयोगियों ईरान और रूस के साथ ही विद्रोहियों के समर्थक तुर्की ने भी बीते साल इस इलाके को देश के उन चार इलाकों के रूप में मान्यता दी थी जहां युद्ध को नहीं भड़कने देना था. यह मान्यता इस मकसद से दी गई थी कि देश में युद्ध को रोका जाए.
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जैश अल इस्लाम
जैश अल इस्लाम ने समझौते में हिस्सा लिया था और यह पूर्वी घूटा का सबसे ताकतवर गुट है. इलाके के सबसे बड़े शहर पर इसका कब्जा है हालांकि यह सत्ता में एक और इस्लामी विद्रोही गुट फयलाक अल रहमान के साथ भागीदार है. सरकारी सेना ने दमिश्क के आसपास वाले इलाकों को धीरे धीरे अपने कब्जे में ले लिया है और विद्रोहियों के पास अब महज 100 वर्ग किलोमीटर का ही इलाका बच गया है.
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हमले और सेना की घेराबंदी
विद्रोही अपने इलाकों से सेना के कब्जे वाले इलाकों में रॉकेट हमले करते हैं. यहां 4 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और 2013 से यहां सेना की घेराबंदी है. आम लोग भोजन और दवाइयों की भारी किल्लत झेल रहे हैं. बच्चे कुपोषित हैं और संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सीरिया की जंग का सबसे बड़ा खामियाजा उठा रहे हैं.
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इदलीब
यह सीरिया का आखिरी प्रांत है जो अब तक असद की सेना के नियंत्रण से बाहर है. सीरिया की जंग में 2011 से अब तक करीब 340,000 लोगों की जान गई है और शांत क्षेत्रों पर हुए समझौते में इदलीब भी शामिल था. बीते 25 दिसंबर को रूसी विमानों के साए में असद की सेना ने यहां सैन्य अभियान शुरू किया.
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अल कायदा के सहयोगी
हमले का मकसद इस प्रांत के हिस्सों को हयात तहरीर अल शाम के कब्जे से मुक्त करना था. यह अल कायदा के पूर्व सीरियाई सहयोगियों का गुट है. अलेप्पो से दमिश्क और आगे दक्षिण की ओर जाने का रास्ता साफ करने के लिए सेना काफी आगे बढ़ी है और उन्होंने सैन्य हवाई अड्डे अबु दुहुर पर नियंत्रण कर लिया है. इस प्रांत में 25 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं जिनमें 10 लाख से ज्यादा विस्थापित हैं.
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दियर इजोर
पूर्वी प्रांत दियर इजोर को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से दो अलग अलग हमलों में लगभग पूरी तरह से मुक्त करा लिया गया. रूस समर्थित असद की सेना प्रांत के बीचोबीच गुजरने वाली फुरात नदी के पश्चिमी हिस्से की ओर काबिज है जबकि अमेरिका समर्थित सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्स नदी के पूर्वी हिस्से में.
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सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्स
रूस और अमेरिका ने नदी के किनारे एक अविवादित क्षेत्र भी बनाया है ताकि टकराव को टाला जाए लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिका समर्थित एसडीएफ के लड़ाकों ने 100 से ज्यादा सीरिया समर्थकों की हत्या कर दी. पेंटागन के प्रमुख का कहना है कि यह आत्मरक्षा के लिए उठाया गया कदम था. लुक छिप कर रह रहे इस्लामिक स्टेट के लड़ाके भी अपने दुश्मनों को निशाना बनाते रहते हैं.
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अमेरिका का पक्ष
अमेरिका ने सीरिया पर हुए कथित रासायनिक हमलों को लेकर रूस और सीरिया की असद सरकार पर निशाना साधा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जवाबी कार्रवाई की भी बात कही. अपने एक ट्वीट में रूस को चेतावनी भरे लहजे में ट्रंप ने कहा, "वह एक सुंदर, नई और स्मार्ट" मिसाइल के लिए तैयार हो जाए. इसके बाद एक ट्वीट में यह भी कहा कि "हमला जल्द हो सकता है या शायद कभी न हो."
मध्यपूर्व मामलों के विश्लेषक गीडो श्टाइनबर्ग ने डीडब्ल्यू से कहा, "मुझे लगता है कि ट्रंप को ट्वीट करने के बाद उनके सलाहकारों ने बताया होगा कि सीरिया में असल हालात कितने खतरनाक है. और, वहां अभी क्या हो रहा है." श्टाइनबर्ग के मुताबिक, "ट्रंप को यह भी बताया गया होगा कि सीरिया में स्थिति अब पिछले सालों की तरह नहीं रही. अब वहां रूस है, ईरान है, साथ ही कई इलाकों में शिया आतंकी भी सक्रिय हैं. इसलिए अब खतरा पिछले सालों की तुलना में कहीं अधिक है." इन्ही कारणों के चलते फिलहाल अमेरिका, सीरिया को लेकर फैसला लेने से हिचक रहा है.
अन्य राजनीतिक दल
जर्मनी की मुख्य राजनीतिक पार्टियां सीरिया में सैनिक कार्रवाई में हिस्सा लेने के विरोध में है. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के विदेशी मामलों के प्रवक्ता राल्फ स्टेगनर ने अपने ट्वीट में एक वीडियो को रिट्वीट किया है. इसमें कहा गया है कि युद्ध में जाना है या नहीं इसका फैसला अमेरिकी कांग्रेस करे न कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप. वहीं जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की नेता बेयाट्रिक्स फॉन स्ट्रॉर्ष ने अपने संदेश शेयर करते हुए कहा, "युद्ध नहीं, शांति."
जर्मनी के नागरिक भी सीरिया पर सैनिक हमले का समर्थन नहीं करते. जर्मनी टीवी चैनल ZDF के एक सर्वे के अनुसार 58 फीसदी लोगों का मानना है कि इससे सीरिया में विवाद और गहरा जाएगा. सिर्फ सात फीसदी लोगों का मानना है कि सैनिक कार्रवाई से सीरिया समस्या का समाधान होगा. 78 प्रतिशत लोगों ने सीरिया पर हमले में जर्मनी की भागीदारी को अस्वीकार कर दिया है.
सीरिया में जंग के सात साल, क्या हुआ हासिल
सीरिया का गृहयुद्ध आठवें साल में दाखिल हो गया है. 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ बगावत से शुरू हुआ यह संघर्ष एक बर्बर गृहयुद्ध में तब्दील हो गया. एक नजर इस जंग की बर्बादियों पर जो चंद आंकड़े बन कर रह गई हैं.
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मौतों का अंबार
सीरिया के गृहयुद्ध में बीते सात साल के दौरान लगभग 5.11 लाख लोग मारे गए हैं. दोनों तरफ से होने वाली सैन्य कार्रवाइयों में बड़ी संख्या में आम लोग भी मारे जाते हैं.
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दरबदर सीरियाई
गृहयुद्ध के कारण 60 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं जिनमें पचास लाख से ज्यादा लेबनान, जॉर्डन और तुर्की जैसे देशों में शरण लिए हुए हैं. हजारों लोग यूरोप तक भी पहुंचे हैं.
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गरीबी में जिंदगी
लेबनान में रहने वाले तीन चौथाई सीरियाई शरणार्थी हर दिन करीब ढाई सौ रुपये से भी कम पर गुजारा कर रहे हैं. वहीं उनके बच्चों पर बाल मजदूरी और छोटी उम्रों में शादी का खतरा मंडरा रहा है.
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घर वापसी
इस बीच हजारों शरणार्थी सीरिया लौटे भी हैं. 2017 में सीरिया लौटने वालों की संख्या लगभग 66 हजार रही. हालांकि वहां नई जिंदगी की शुरुआत आसान नहीं, क्योंकि बहुत से लोगों के घर मलबे में तब्दील हो गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP
खाने के लाले
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 29 लाख सीरियाई ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां लड़ाई के कारण पहुंचना मुश्किल है. 65 लाख सीरियाई लोगों के पास पर्याप्त खाना नहीं है जबकि 40 लाखों पर भूख का खतरा मंडरा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/E. Sansar
स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले
राष्ट्र का कहना है कि 2018 के शुरुआती दो महीनों में स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य कर्मियों पर 67 हमले हुए हैं. यह 2017 में इस अवधि के दौरान होने वाले हमलों की तुलना में दोगुना है.
तस्वीर: picture alliance/AA/K. Akasha
मजबूत होते असद
रूस 2015 में राष्ट्रपति असद के समर्थन में सीरियाई गृह युद्ध में कूदा. इसके अलावा सीरियाई सरकार को ईरान का भी समर्थन मिल रहा है. इसी के बूते सरकारी बल बड़े इलाके को फिर हासिल करने में कामयाब रहे हैं. विद्रोहियों के कई बड़े गढ़ अब सरकार के नियंत्रण में हैं.
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कानूनी जंग
माना जा रहा है कि सीरिया के लोग 20 लाख से ज्यादा मुकदमे ठोंक सकते हैं ताकि उन्हें अपने ध्वस्त घरों और संपत्ति की बर्बादी का हर्जाना मिल सके. (स्रोत: यूनिसेफ, यूएनएचसीआर, विश्व खाद्य कार्यक्रम, सीरियन ऑब्जरवेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स)