सीरिया में रासायनिक हमले के बाद एक सैन्य हवाई अड्डे पर हमला हुआ है जिसमें 14 लोगों की जान गई है. किसी ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
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स्थानीय समाचार एजेंसी सना के अनुसार सोमवार को सूर्योदय से ठीक पहले होम्स के टी-4 एयरबेस पर "कई मिसाइलों" से हमला किया गया. अपनी शुरुआती रिपोर्टों में सना ने अमेरिका को इस हमले के लिए जिम्मेदार बताया लेकिन बाद में अपने इस दावे को वापस ले लिया.
अमेरिका और फ्रांस का इंकार
दरअसल शनिवार को हुए रासायनिक हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने एक साझा बयान में एक "मजबूत साझी प्रतिक्रिया" की बात कही थी. ताजा हमले के बाद अमेरिका और फ्रांस दोनों ने ही साफ किया है कि इसमें उनका हाथ नहीं है. पेंटागन के एक प्रवक्ता ने बताया, "इस समय रक्षा मंत्रालय सीरिया में हवाई हमले नहीं कर रहा है. लेकिन हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और रासायनिक हमले के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए हो रहे राजनयिक प्रयासों का समर्थन करते हैं." वहीं फ्रांस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल पैट्रिक स्टाइगर ने भी इससे इंकार करते हुए कहा, "वह हम नहीं थे."
सीरिया में अब कहां कौन सी जंग है
सीरिया में सात साल से जंग चल रही है और कई मोर्चों पर यह आज भी उसी तरह से जारी है. लाखों की तादाद में आम लोग गोलीबारी के बीच फंसे हुए हैं और मानवीय सहायता के लिए तरस रहे हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza
आफरीन
कुर्दों का यह इलाका पश्चिम और उत्तर में तुर्की और दक्षिण और पूरब में तुर्की समर्थक विद्रोहियों से घिरा है. 20 जनवरी को तुर्की ने कुर्दों के उत्तर पश्चिमी इलाके पर धावा बोला. तुर्की कुर्द लड़ाकों की संस्था वाईपीजी को आतंकवादी संगठन और प्रतिबंधित राजनीतिक गुट कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) की शाखा मानता है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/E. Turkoglu
अमेरिका समर्थित कुर्द
हालांकि वाईपीजी अमेरिका समर्थित कुर्द अरब गठबंधन का एक प्रमुख घटक है जिसने सीरिया में इस्लामिक स्टेट से जंग में प्रमुख भूमिका निभाई है. सीरिया में मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली ब्रिटेन स्थित संस्था के मुताबिक तुर्की के नेतृत्व में हवाई हमलों और टैकों से गोलाबारी के बावजूद यह अभियान धीमी गति से ही बढ़ा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Souleinman
सिर्फ निंदा
कुर्दों ने कई बार राष्ट्रपति बशर अल असद से आफरीन को बचाने के लिए दखल देने की मांग की है लेकिन सीरिया ने अभी तक कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की है. राष्ट्रपति ने तुर्की के हमले को "बर्बर" कह कर निंदा जरूर की है. 20 जनवरी से अब तक इस हमले में 77 सीरियाई आम नागरिक मारे गए हैं जिनमें 21 बच्चे भी शामिल है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 15000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Souleinman
पूर्वी गूटा
राजधानी दमिश्क के बाहर पूर्वी गूटा विद्रोहियों का गढ़ है. बीते कुछ हफ्तों में इस इलाके पर असद की सेना ने हवाई और टैंकों से भारी हमले किए हैं. बीते हफ्ते केवल पांच दिनों में ही सेना की बमबारी में 250 से ज्यादा आम लोग मारे गए और 770 से ज्यादा घायल हुए.
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शांत क्षेत्र!
असद के सहयोगियों ईरान और रूस के साथ ही विद्रोहियों के समर्थक तुर्की ने भी बीते साल इस इलाके को देश के उन चार इलाकों के रूप में मान्यता दी थी जहां युद्ध को नहीं भड़कने देना था. यह मान्यता इस मकसद से दी गई थी कि देश में युद्ध को रोका जाए.
तस्वीर: picture alliance/abaca/A. Al-Bushy
जैश अल इस्लाम
जैश अल इस्लाम ने समझौते में हिस्सा लिया था और यह पूर्वी घूटा का सबसे ताकतवर गुट है. इलाके के सबसे बड़े शहर पर इसका कब्जा है हालांकि यह सत्ता में एक और इस्लामी विद्रोही गुट फयलाक अल रहमान के साथ भागीदार है. सरकारी सेना ने दमिश्क के आसपास वाले इलाकों को धीरे धीरे अपने कब्जे में ले लिया है और विद्रोहियों के पास अब महज 100 वर्ग किलोमीटर का ही इलाका बच गया है.
तस्वीर: picture alliance/abaca/A. Al Bushy
हमले और सेना की घेराबंदी
विद्रोही अपने इलाकों से सेना के कब्जे वाले इलाकों में रॉकेट हमले करते हैं. यहां 4 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और 2013 से यहां सेना की घेराबंदी है. आम लोग भोजन और दवाइयों की भारी किल्लत झेल रहे हैं. बच्चे कुपोषित हैं और संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सीरिया की जंग का सबसे बड़ा खामियाजा उठा रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
इदलीब
यह सीरिया का आखिरी प्रांत है जो अब तक असद की सेना के नियंत्रण से बाहर है. सीरिया की जंग में 2011 से अब तक करीब 340,000 लोगों की जान गई है और शांत क्षेत्रों पर हुए समझौते में इदलीब भी शामिल था. बीते 25 दिसंबर को रूसी विमानों के साए में असद की सेना ने यहां सैन्य अभियान शुरू किया.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/A. Rahal
अल कायदा के सहयोगी
हमले का मकसद इस प्रांत के हिस्सों को हयात तहरीर अल शाम के कब्जे से मुक्त करना था. यह अल कायदा के पूर्व सीरियाई सहयोगियों का गुट है. अलेप्पो से दमिश्क और आगे दक्षिण की ओर जाने का रास्ता साफ करने के लिए सेना काफी आगे बढ़ी है और उन्होंने सैन्य हवाई अड्डे अबु दुहुर पर नियंत्रण कर लिया है. इस प्रांत में 25 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं जिनमें 10 लाख से ज्यादा विस्थापित हैं.
तस्वीर: Reuters/O. Orsal
दियर इजोर
पूर्वी प्रांत दियर इजोर को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से दो अलग अलग हमलों में लगभग पूरी तरह से मुक्त करा लिया गया. रूस समर्थित असद की सेना प्रांत के बीचोबीच गुजरने वाली फुरात नदी के पश्चिमी हिस्से की ओर काबिज है जबकि अमेरिका समर्थित सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्स नदी के पूर्वी हिस्से में.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Stringer
सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्स
रूस और अमेरिका ने नदी के किनारे एक अविवादित क्षेत्र भी बनाया है ताकि टकराव को टाला जाए लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिका समर्थित एसडीएफ के लड़ाकों ने 100 से ज्यादा सीरिया समर्थकों की हत्या कर दी. पेंटागन के प्रमुख का कहना है कि यह आत्मरक्षा के लिए उठाया गया कदम था. लुक छिप कर रह रहे इस्लामिक स्टेट के लड़ाके भी अपने दुश्मनों को निशाना बनाते रहते हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza
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डॉनल्ड ट्रंप की चेतावनी
रविवार को डॉनल्ड ट्रंप ने चेतावनी भरे स्वर में कहा, "राष्ट्रपति पुतिन, रूस और ईरान, जानवर असद को समर्थन देने के लिए जिम्मेदार हैं. इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी." ठीक एक साल पहले अमेरिका ने सीरिया में किए गए रासायनिक हमले के जवाब में शायरत एयरबेस पर मिसाइल से हमला किया था. शायरत हवाई अड्डा टी-4 से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर है.
उधर इस्राएल ने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. इस्राएल कहता रहा है कि वह सीरिया में ईरान के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा. इसी साल फरवरी में सीरियाई लड़ाकों के हाथों इस्राएल के एफ-16 विमान गिराए जाने के जवाब में इस्राएल ने सीरिया पर कई हवाई हमले किए.
सीरिया में जंग के सात साल, क्या हुआ हासिल
सीरिया का गृहयुद्ध आठवें साल में दाखिल हो गया है. 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ बगावत से शुरू हुआ यह संघर्ष एक बर्बर गृहयुद्ध में तब्दील हो गया. एक नजर इस जंग की बर्बादियों पर जो चंद आंकड़े बन कर रह गई हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Sy
मौतों का अंबार
सीरिया के गृहयुद्ध में बीते सात साल के दौरान लगभग 5.11 लाख लोग मारे गए हैं. दोनों तरफ से होने वाली सैन्य कार्रवाइयों में बड़ी संख्या में आम लोग भी मारे जाते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AA/M. Amin Qurabi
दरबदर सीरियाई
गृहयुद्ध के कारण 60 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं जिनमें पचास लाख से ज्यादा लेबनान, जॉर्डन और तुर्की जैसे देशों में शरण लिए हुए हैं. हजारों लोग यूरोप तक भी पहुंचे हैं.
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गरीबी में जिंदगी
लेबनान में रहने वाले तीन चौथाई सीरियाई शरणार्थी हर दिन करीब ढाई सौ रुपये से भी कम पर गुजारा कर रहे हैं. वहीं उनके बच्चों पर बाल मजदूरी और छोटी उम्रों में शादी का खतरा मंडरा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Badra
घर वापसी
इस बीच हजारों शरणार्थी सीरिया लौटे भी हैं. 2017 में सीरिया लौटने वालों की संख्या लगभग 66 हजार रही. हालांकि वहां नई जिंदगी की शुरुआत आसान नहीं, क्योंकि बहुत से लोगों के घर मलबे में तब्दील हो गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP
खाने के लाले
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 29 लाख सीरियाई ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां लड़ाई के कारण पहुंचना मुश्किल है. 65 लाख सीरियाई लोगों के पास पर्याप्त खाना नहीं है जबकि 40 लाखों पर भूख का खतरा मंडरा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/E. Sansar
स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले
राष्ट्र का कहना है कि 2018 के शुरुआती दो महीनों में स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य कर्मियों पर 67 हमले हुए हैं. यह 2017 में इस अवधि के दौरान होने वाले हमलों की तुलना में दोगुना है.
तस्वीर: picture alliance/AA/K. Akasha
मजबूत होते असद
रूस 2015 में राष्ट्रपति असद के समर्थन में सीरियाई गृह युद्ध में कूदा. इसके अलावा सीरियाई सरकार को ईरान का भी समर्थन मिल रहा है. इसी के बूते सरकारी बल बड़े इलाके को फिर हासिल करने में कामयाब रहे हैं. विद्रोहियों के कई बड़े गढ़ अब सरकार के नियंत्रण में हैं.
तस्वीर: picture alliance/landov
कानूनी जंग
माना जा रहा है कि सीरिया के लोग 20 लाख से ज्यादा मुकदमे ठोंक सकते हैं ताकि उन्हें अपने ध्वस्त घरों और संपत्ति की बर्बादी का हर्जाना मिल सके. (स्रोत: यूनिसेफ, यूएनएचसीआर, विश्व खाद्य कार्यक्रम, सीरियन ऑब्जरवेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Sy
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रासायनिक हमले की भयानक तस्वीरें
सीरिया में काम करने वाली स्वैच्छिक संस्था व्हाइट हेल्मेट्स ने सीरियन अमेरिकन मेडिकल सोसायटी के साथ दिए अपने साझा बयान में बताया कि डूमा शहर पर हुए रासायनिक हमले में 70 लोगों की जान गई है. व्हाइट हेल्मेट्स ने ट्विटर पर कई वीडियो और तस्वीरें भी पोस्ट की हैं जिनमें लोगों पर रासायनिक हथियार के असर को देखा जा सकता है. दिल दहलाने वाली इन तस्वीरों में ज्यादातर बच्चे हैं, जिनका रंग फीका पड़ चुका है और मुंह से झाग निकल रहा है. डूमा शहर पूर्वी गूटा प्रांत में है. व्हाइट हेल्मेट्स के अनुसार यहां हेलीकॉप्टर से बैरल बम फेंका गया. संस्था ने ट्वीट किया, "अपने घरों में छिपे हुए पूरे पूरे परिवार जहर के कारण मारे गए हैं."
राहत कार्यकर्ताओं ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि हमले के एक दिन बाद भी सड़कों पर लाशें पड़ी हुई थीं और अस्पताल घायलों से भरे हुए थे. रिपोर्टों के अनुसार हमले का असर कम से कम 500 लोगों पर हुआ है और मरने वालों की संख्या 100 से ऊपर जाने की आशंका है.
रूस का विद्रोहियों के साथ समझौता
इस हमले के कुछ ही घंटों बाद रूसी सेना ने विद्रोही संगठन जैश अल इस्लाम के साथ एक समझौता किया जिसके तहत विद्रोहियों और उनके परिवारों को डूमा से बाहर निकाला जाएगा. रूसी सेना के मेजर जनरल यूरी येवतुशेंको ने इस बात की पुष्टि की है कि डूमा में 100 बसें भेजी गई हैं, जो 8,000 विद्रोहियों और 40,000 नागरिकों को शहर से बाहर सुरक्षित जगह पर ले जाएंगी. बदले में विद्रोहियों को बंधक बनाए हजारों लोगों को भी छोड़ना होगा. हालांकि इस विद्रोही संगठन ने अब तक इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.
स्थानीय समाचार एजेंसी सना के अनुसार यह समझौता 48 घंटे के अंदर लागू किया जाएगा. माना जा रहा है कि इस कदम के बाद एक बार फिर सीरियाई सेना की पकड़ पूर्वी गूटा पर बन सकेगी. रूसी सेना पिछले लगभग दो महीनों से इस इलाके से विद्रोहियों को हटाने की कोशिश में लगी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह शक भी है कि रासायनिक हमला रूस ने एक युद्धनीति के तहत किया. हालांकि रूस इससे इंकार कर चुका है.
आईबी/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)
नर्क जैसा बना सीरिया का पूर्वी गूटा
सीरिया के गूटा इलाके के पूर्वी हिस्से में हालात बद से बदत्तर हो चुके हैं. विद्रोहियों के सफाये के चक्कर में सीरिया और रूस ने पूरे शहर को तबाह कर दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/Syrian Civil Defense White Helmets
अंधाधुंध हवाई हमले
सीरिया की राजधानी दमिश्क से सटे पूर्वी गूटा में 19 फरवरी से 26 फरवरी तक रूस ने खूब हवाई हमले किए. हवाई हमलों की आड़ में सीरियाई सेना ने विद्रोहियों के आखिरी गढ़ कहे जाने वाले गूटा में जमीनी सैन्य कार्रवाई की. इसकी कीमत 500 लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/Syrian Civil Defense White Helmets
धरती पर नर्क
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव आंतोनियो गुटेरेश ने पूर्वी गूटा के हालात को धरती पर नर्क जैसा बताया. गुटेरेश ने पूर्वी गूटा में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने की मांग की. पूर्वी गूटा में करीब चार लाख लोग रहते हैं.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
रासायनिक हथियारों का शक
इलाके के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों के मुताबिक पूर्वी गूटा के कई लोगों में रासायनिक हमले जैसे लक्षण दिखे हैं. लक्षण क्लोरीन गैस के हमले से मिलते जुलते हैं. सीरिया की सरकार का कहना है कि उसने कभी रासायनिक हथियारों का प्रयोग नहीं किया.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
रॉकेट के अवशेष
पूर्वी गूटा के दूमा में मिसाइलों और रॉकेटों से भी हमले किए गए. 27 फरवरी से हर दिन पांच घंटे का संघर्ष विराम लागू हुआ है. लाखों लोगों को वहां से बाहर निकाला जाना है.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
घर की जगह मलबा
सीरिया और रूस की हालिया सैन्य कार्रवाई ने दूमा में खासी तबाही मचाई. दूमा में अपने घर मलबा साफ करता एक युवक.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
न खाना, न पीना
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक दूमा के लाखों आम लोगों के पास न तो पर्याप्त पानी है और न ही खाना. जान बचाने के लिए शिविरों में रह रहे लोगों के लिए खाना पीना जुटाना भी मुश्किल हो गया.
तस्वीर: Reuters/B. Khabieh
रूस और सीरिया पर दबाव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एकमत से सीरिया में 30 देश के संघर्ष विराम का प्रस्ताव पास हुआ. इसके बाद रूस ने 27 फरवरी से पूर्वी गूटा में हर दिन पांच घंटे के संघर्ष विराम का एलान किया. (रिपोर्ट: निकोल गोएबल/ओएसजे)