संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में सीरिया सरकार और विपक्ष की बातचीत का दूसरा दौर जेनेवा में शुरू होना है. उधर सीरिया में संघर्ष विराम के तीन दिन में कई सौ सीरियाई नागरिक होम्स से निकल सके.
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यूएन के मध्यस्थ लखदर ब्राहिमी की कोशिशों से हुए तीन दिन के संघर्ष विराम के दौरान विद्रोहियों के कब्जे वाले होम्स के पुराने इलाके से फंसे नागरिक निकल सके. इस विराम के खत्म होने के साथ ही स्विट्जरलैंड में बातचीत का दूसरा दौर शुरू हो रहा है.
होम्स शहर पहला सीरियाई शहर है, जहां 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोध में सबसे पहले प्रदर्शन शुरू हुए. यहां भारी हवाई और जमीनी हमले किए गए हैं.
पिछले साल के दौरान सरकार ने फिर से शहर के अधिकतर हिस्सों को अपने नियंत्रण में ले लिया लेकिन ऐतिहासिक केंद्र के आसपास के इलाके अभी भी उसके हाथ के बाहर हैं. यहां करीब 2,500 नागरिक बिना खाने पीने के सामान के महीनों से फंसे हैं.
यूएन और सीरियाई रेड क्रॉस के कर्मचारियों ने गोलीबारी के बावजूद करीब 600 महिलाएं, बच्चे और वृद्ध लोगों को होम्स से निकाला है. इस गोलीबारी के लिए विद्रोही और सरकार एक दूसरे पर इलजाम लगा रहे हैं. राहतकर्मी शहर में राहत सामग्री और दवाइयां पहुंचाने में भी सफल हुए.
जेनेवा में प्रतिनिधिमंडल
सीरियाई सरकार के प्रतिनिधि बातचीत के लिए रविवार की रात जेनेवा पहुंच गए. माना जा रहा है कि विपक्षी नेशनल गठबंधन के साथ यूएन मध्यस्थता वाली यह बातचीत पांच दिन चलेगी.
लेकिन कई विपक्षी गुट ऐसे हैं जो बातचीत से इनकार कर रहे हैं. रविवार को सीरियाई विपक्ष का सबसे बड़ा धड़ा नेशनल कोऑर्डिनेशन फॉर डेमोक्रेटिक चेंज और सीरियाई नेशनल काउंसिल ने कहा कि वे इसमें हिस्सा नहीं लेंगे. नेशनल काउंसिल सीरियाई विपक्षी गुटों का धड़ा है जो इस्तांबुल में है.
सीरिया में लड़ रहे इस्लामिक फ्रंट और सीरियन रिवोल्यूशनरीस फ्रंट ने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया है. इससे राष्ट्रीय गठबंधन पर संदेह पैदा हो गया है कि वह अलग अलग सशस्त्र गुटों को साथ रख भी सकता है या नहीं. विपक्षी गठबंधन की कानून कमेटी के अध्यक्ष हैताम अल मालेह ने कहा, "सीरिया में और बाहर के राजनीतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय गुटों के साथ हमारी बातचीत चल रही है. हम प्रतिबद्ध हैं कि हम पूरे सीरिया का प्रतिनिधित्व करें, सिर्फ एक दल का नहीं."
2013: सीरिया का अंतहीन दर्द
1,20,000 से ज्यादा लोग गृह युद्ध में मारे गए हैं लेकिन सरकार और विरोधी दोनों ही तरफ से सुलह के कोई संकेत नहीं हैं
तस्वीर: Reuters/Nour Kelze
अस्तित्व की लड़ाई
सेना ने अलेपो में पेट्रोल और ईंधन डिपो में आग लगा दी. औरतें, बच्चे और पुरुष जान बचाने के लिए भागते हुए. सीरिया में जारी गृह युद्ध में अब तक सवा लाख लोग मारे जा चुके हैं. लाखों लोग जान बचाने के लिए सीरिया छोड़ चुके हैं. कूटनीतिक हल अब भी नजर नहीं आता.
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दमिश्क में जहरीली गैस
21 अगस्त 2013: विपक्षियों ने आरोप लगाया कि सीरिया सरकार ने विरोधियों पर काबू पाने के लिए दमिश्क के दो शहरों में जहरीली गैस का इस्तेमाल किया. जल्द ही इंटरनेट पर इससे जुड़ी तस्वीरें और वीडियो जारी किए गए. इस तस्वीर में दिखने वाले दो बच्चे भाग्यशाली हैं, जो बच गए.
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ओबामा की चेतावनी
जहरीली गैस के हमले में 1400 से ज्यादा लोग मारे गए. अमेरिकी सरकार ने पहले ही सीरिया को केमिकल हमला न करने की चेतावनी दी थी. इसके बाद ओबामा सरकार को कड़े कदम उठाने पड़े. 30 अगस्त को ओबामा ने एलान किया कि हमले के लिए दोषी लोगों को सजा मिलेगी.
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बेगुनाही का दावा
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने सेना का बचाव करते हुए रासायनिक हमले से इनकार किया. असद सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष जोड़ तोड़कर तथ्यों को पेश कर रहा है ताकि पश्चिमी देशों को भड़काया जा सके. हालांकि रूस में भी असद के सहयोगी उलझन में थे. अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद असद ने यूएन के निरीक्षकों को सीरिया में आकर जांच की इजाजत दी.
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सबूतों की तलाश
यूएन के निरीक्षकों ने दमिश्क के उपनगरों की कई बार यात्रा की. उन्होंने पीड़ितों से हमले के बारे में पूछा और अपने साथ नमूना ले गए. उन्होंने जांच में पाया कि हमले के लिए सरीन गैस का इस्तेमाल किया गया. लेकिन उन्हें यह बताने की इजाजत नहीं थी कि हमले के पीछे कौन था. यह उन्हें दिए गए अधिकारों का हिस्सा नहीं था. अमेरिकी सरकार के लिए स्पष्ट था कि असद इसके लिए जिम्मेदार हैं.
तस्वीर: Reuters/Mohammad Abdullah
ओबामा के पास सैन्य विकल्प
चूंकि ओबामा की खींची गई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन हुआ था, अमेरिकी राष्ट्रपति को मजबूरी में दखल के बारे में सोचना पड़ा. और वास्तव में सरीन गैस के हमले के कुछ दिनों के भीतर ऐसा लग रहा था कि अमेरिकी सैन्य कार्रवाई करीब है. लेकिन अमेरिकी जनता सीरिया पर सैन्य हमले के पक्ष में नहीं थी.
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कूटनीति के लिए अवसर
आखिरकार असद के साथी रूस ने ओबामा को एक विकल्प की पेशकश की. मॉस्को ने सीरिया में यूएन निरीक्षकों की जांच और असद के केमिकल हथियारों को नष्ट करने का प्रस्ताव दिया. सीरिया ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. 14 सितंबर को अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस समझौते का एलान किया.
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अछूत से भागीदार
असद समर्थकों ने इस समझौते की सराहना की. असद की सरकार को केमिकल हथियार मजबूरी में सौंपने पड़े. लेकिन सैन्य कार्रवाई टल गई. असद की स्थिति मजबूत हो गई. एक बार फिर असद बातचीत की मेज तक पहुंचने में कामयाब हुए. असद विरोधियों के हाथ हताशा लगी. पश्चिमी हस्तक्षेप की उनकी उम्मीदें धराशायी होती नजर आई.
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दबाव में विपक्ष
सैन्य नजरिए से विद्रोही लड़ाके धकेल दिए गए. सीरिया के जानकार हमादी अल आउनी के मुताबिक, ''असद की सेना ने 80 फीसदी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है.''
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रोजमर्रा की जिंदगी
फ्री सीरियन आर्मी के लड़ाके लड़ाई से दूर खाली समय में स्वीमिंग पूल में मजा लेते हुए. यह तस्वीर अलेपो की है. यह शहर भी देश की तरह दो गुटों में बंटा हुए है. कहीं सरकार का कब्जा है तो कहीं विद्रोहियों ने कब्जा किया हुआ है. खाद्य सामग्री की किल्लत है.
तस्वीर: Reuters/Hamid Khatib
संकट में बच्चे
शरणार्थियों में 10 लाख बच्चे भी शामिल हैं. वे उन परिवारों में पलते बढ़ते जहां पिता का साया नहीं होता. गृह युद्ध की वजह से परिवार बिखर गए हैं. कुछ बच्चों को अपने परिवार के लिए काम करना पड़ता है. इस तस्वीर में दिख रहा बच्चा अपनी मां के साथ लेबनान के शरणार्थी कैंप में रहने को मजबूर है.
तस्वीर: Reuters
संशय में भविष्य
उत्सुकता से सीरिया शांति सम्मेलन का इंतजार हो रहा है लेकिन वह कई बार स्थगित कर दिया गया है. अब यह जिनेवा में 22 जनवरी के लिए निर्धारित है. लेकिन ज्यादातर विरोधी संगठन इसमें शामिल नहीं होने वाले हैं. समझौते की तरफ असद का झुकाव बेहद कम है.
तस्वीर: Reuters/Nour Kelze
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गठबंधन के अध्यक्ष अहमद अल जरबा ने सीरियाई उप राष्ट्रपति फारुक अल शारा को सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व देने की मांग की है. अल जरबा की दलील है कि अल शारा ऐसे बहुत कम अधिकारियों में हैं जिन पर विपक्ष का भरोसा और विश्वास है.
जेनेवा में पहले दौर की बातचीत में हिंसा रोकने पर कोई ठोस नीति नहीं बन सकी लेकिन राजनीतिक बदलाव और राहत की सुनिश्चितता पर सहमति के साथ पहला दौर खत्म हुआ था.