सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के प्रतिनिधि और विपक्षी नेता कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना पहुंचे हैं. अभी यह पता नहीं चला है कि दोनों खेमे सीधे एक दूसरे से संवाद करेंगे या फिर किसी तीसरे पक्ष का सहारा लेंगे. बीते साल संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुई बातचीत की कोशिश नाकाम होने के बाद पहली बार सीरिया सरकार और उसके विरोधी एक मेज पर आए हैं.
बातचीत शुरू होने से पहले कजाखस्तान के उप विदेश मंत्री रोमान वासिलेन्को ने कहा कि दोनों पक्ष सीधी बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं. सीरिया में 2011 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद हिंसा शुरू हुई और देखते ही देखते गृह युद्ध छिड़ गया. तब से लेकर अब तक सरकार और विद्रोहियों के बीच सीधी बातचीत नहीं हुई है.
अब रूस, तुर्की और ईरान बातचीत करवा रहे हैं. सीरिया के सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर सेना के नियंत्रण के बाद यह बातचीत होने जा रही है. हालांकि मंगलवार दोपहर तक चलने वाली इस बातचीत से आयोजकों को भी बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं. सीरिया सरकार की तरफ से कोई भी बड़ा अधिकारी अस्ताना नहीं पहुंचा है.
(देखिये हिंसा के चलते क्या से क्या हो गया अलेप्पो)
वो एक दमकता शहर था, जहां हमेशा खूब सैलानी दिखते थे. बाजार भरे रहते हैं. अब वह एक डरावना खंडहर है. देखिये अलेप्पो के अतीत और वर्तमान की तस्वीरें.
सन 715 में बनी उमवी मस्जिद सीरिया की शान थी. यह विश्व सांस्कृतिक धरोहर भी रही.
तस्वीर: Reuters/K. Ashawi2013 में गृहयुद्ध इस मस्जिद तक भी पहुंच गया. इबादत की जगह गोलियां चलने लगीं. मार्च 2016 में एक मीनार ढह गई. अब यह खंडहर सी लगती है.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadikiपुराने अलेप्पो का यह हमाम सैलानियों की पसंदीदा ठिकाना हुआ करता था.
तस्वीर: Reuters/K. Ashawiछह साल बाद अब इस जगह को देखकर नहीं लगता कि यहां आराम किया जा सकता है. अब यहां पानी और नहाने के सामान के बजाए युद्ध के सबूत मिलते हैं.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadikiअलेप्पो का किला दुनिया के सबसे पुराने और बड़े किलो में शुमार था. इसके कई हिस्से 13वीं शताब्दी में बनाए गए.
तस्वीर: Reuters/S. Augerसमय की लंबी मार झेलने वाला किला अपने ही बांशिदों का झगड़ा नहीं सह पाया. किले के कई हिस्से बिखर चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadikiयह तस्वीर नवंबर 2008 की है. पुराना शहर रौनक से सराबोर है.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadikiयह तस्वीर 13 दिसंबर 2016 की है. पुराने शहर का वैभव अब कहीं नहीं बचा है.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadikiदिसंबर 2009 में इस मॉल को क्रिसमस के लिए सजाया गया. 2008 में बने इस शॉपिंग मॉल के डेकोरेशन को देखने कई लोग आए.
तस्वीर: Reuters/K. Ashawi"हमेशा के लिए बंद" अब गूगल पर इस मॉल को सर्च करें तो यही मैसेज आता है. 2014 में हुए हवाई हमलों में यह तबाह हो गया.
तस्वीर: Reuters/A. Ismailअल-जराब बाजार का मुख्य द्वार. पुराने जमाने के इस बाजार की यह तस्वीर 2008 में ली गई.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadikiउसी बाजार की यह तस्वीर दिसंबर 2016 में ली गई. बाजार का अच्छा खासा हिस्सा बर्बाद हो चुका है.
तस्वीर: Reuters/O. Sanadiki अलग अलग लक्ष्य
विपक्षी खेमे और सीरिया सरकार के बीच कई मतभेद हैं. दोनों पार्टियों के लक्ष्य भी एक दूसरे से अलग हैं. विद्रोही मानवीय मदद को आधार बनाना चाहते हैं. वे दिसंबर 2016 में रूस और तुर्की की मध्यस्थता से हुए संघर्ष विराम के कथित उल्लंघन का मुद्दा भी उठाना चाहते हैं. विरोधी पक्ष के प्रवक्ता याहया अल अरिदी कहते हैं, "हम किसी राजनीतिक बातचीत में नहीं जाएंगे और सब कुछ संघर्ष विराम व बंदी के चलते पीड़ा झेल रहे सीरियाई लोगों की मानवीय मदद और हिरासत में लिये गए लोगों की रिहाई व राहत सामग्री पहुंचाने के इर्द गिर्द होगा."
दूसरी ओर राष्ट्रपति असद की मांग है कि माफी की डील तक पहुंचने के लिए विद्रोहियों को हथियार डालने होंगे. वह विवाद का राजनीतिक हल खोजने पर भी जोर दे रहे हैं. रविवार को रूस, तुर्की और ईरान के राजनयिक अस्ताना के होटल में मिले. रूस सीरिया सरकार की मदद कर रहा है तो तुर्की विद्रोहियों के साथ खड़ा है. बैठक में हिस्सा लेने के लिए यूएन के विशेष सीरिया दूत स्टाफान दे मिस्तुरा भी कजाखस्तान पहुंचे हैं.
इस बातचीत में पश्चिमी देशों का कोई प्रतिनिधि नहीं है. हालांकि डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद मॉस्को को सीरिया विवाद के हल की उम्मीद है. रूस ने आखिरी पलों में अस्ताना वार्ता के लिए ट्रंप को भी निमंत्रण दिया.
(क्या है सीरिया का संकट)
दुनिया भर में शरणार्थियों के मुद्दे ने उथल पुथल मचा रखी है. लेकिन अगर आप भी यह सोच कर हैरान हैं कि रातों रात ये लाखों शरणार्थी आए कहां से, तो पढ़िए..
तस्वीर: Reuters/Y. Behrakisरातों रात कुछ भी नहीं हुआ. सीरिया में पिछले पांच साल से गृहयुद्ध चल रहा है. मार्च 2011 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. चार महीनों के अंदर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके थे. यह वही समय था जब कई देशों में अरब क्रांति शुरू हुई.
तस्वीर: Reutersउस समय सीरिया की आबादी 2.3 करोड़ थी. इस बीच करीब 40 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं, 80 लाख देश में ही विस्थापित हुए हैं और दो लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. ये आधिकारिक आंकड़े हैं. असल संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Messinisपश्चिमी एशिया के देश सीरिया के एक तरफ इराक है, दूसरी तरफ तुर्की. इसके अलावा लेबनान, जॉर्डन और इस्राएल भी पड़ोसी हैं. सीरिया की तरह इराक में भी संकट है. दोनों ही देशों में कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने तबाही मचाई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Z. Al-Rifaइस वक्त तुर्की में सीरिया से आए 18 लाख शरणार्थी हैं, लेबनान में 12 लाख, जॉर्डन में करीब 7 लाख और इराक में ढाई लाख. लेबनान, जिसकी आबादी 45 लाख है, वहां चार में से हर एक व्यक्ति सीरिया का है. इराक पहुंचने वालों के लिए आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति है.
तस्वीर: picture-alliance/Balkis Pressसीरिया के साथ इस्राएल की भी सरहद लगी है पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध ना होने के कारण इस्राएल ने एक भी शरणार्थी नहीं लिया है और कहा है कि भविष्य में भी नहीं लेगा.
तस्वीर: DAN BALILTY/AFP/Getty Imagesसंयुक्त राष्ट्र के जेनेवा कन्वेंशन में 'शरणार्थी' को परिभाषित किया गया है. यूरोपीय संघ के सभी 28 देश इस संधि के तहत शरणार्थियों की मदद करने के लिए बाध्य हैं. यही कारण है कि लोग यूरोप में शरण की आस ले कर आ रहे हैं.
तस्वीर: Georges Gobet/AFP/Getty Imagesसीरिया से यूरोप का रास्ता छोटा नहीं है. अधिकतर लोग पहले तुर्की, वहां से बुल्गारिया, फिर सर्बिया, हंगरी और फिर ऑस्ट्रिया से होते हुए जर्मनी पहुंचते हैं. इसके आगे डेनमार्क और फिर स्वीडन भी जाते हैं. कई लोग समुद्र का रास्ता ले कर तुर्की से ग्रीस और फिर इटली के जरिए यूरोप की मुख्य भूमि में प्रवेश करते हैं.
यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर का कहना है कि यूरोप को हर हाल में 1,60,000 शरणार्थियों के लिए जगह बनानी होगी. उन्होंने एक सूची जारी की है जिसके अनुसार शरणार्थियों को यूरोप के सभी देशों में बांटा जा सकेगा. हालांकि बहुत से देश इसके खिलाफ हैं.
ओएसजे/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)