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सीवीसी मुद्दे पर सुषमा को ट्विटर का सहारा

५ मार्च २०११

सीवीसी की नियुक्ति अवैध करार दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मसले पर अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की है. लेकिन पीएम के रुख पर बीजेपी में राय बंटी. सुषमा स्वराज ने कहा कि भ्रम के लिए ट्विटर जिम्मेदार.

तस्वीर: UNI

भारतीय जनता पार्टी नेता सुषमा स्वराज इन दिनों माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर अधिकतर मसलों पर अपडेट देती रही हैं. लेकिन सीवीसी मुद्दे पर बीजेपी में मतभेद के कयास लगने का दोष उन्होंने ट्विटर को ही दिया है. स्वराज का कहना है कि ट्विटर पर बेहद कम शब्दों में ही राय व्यक्त जा सकती है और यही भ्रम की वजह रही हो सकती है.

तस्वीर: Fotoagentur UNI

प्रधानमंत्री के जिम्मेदारी स्वीकार करने पर सुषमा स्वराज ने कहा, "इस मुद्दे पर पार्टी, मेरी और अरुण जेटली की राय बंटी हुई नहीं है. जेटली ने जो मांग की थी उन पर प्रधानमंत्री बोल चुके हैं और संसद में बयान देने का भरोसा दे चुके हैं. इसलिए मैंने इस बात को ट्विटर पर नहीं कहा. ट्विटर पर कुछ लिखने की सीमा है और आप 140 अक्षर ही लिख सकते हैं. इसलिए मैंने ट्विटर पर कुछ बातें नहीं लिखीं."

सुषमा स्वराज से पूछा गया था कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद एक तरफ वो कह रही हैं कि मामले को अब खत्म हो जाना चाहिए लेकिन अरुण जेटली और पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद कह रहे हैं कि यह नाकाफी है और मनमोहन सिंह को संसद में बयान देने की जरूरत है.

स्वराज ने कहा, "अखबारों में मेरे और जेटली के बीच मतभेद दिखाने की कोशिश की गई है. अंतर सिर्फ यही है कि अरुण जेटली ने पीएम से संसद में बयान की मांग की है. पीएम कह चुके हैं कि वह बयान देंगे."

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जम्मू में बयान दिया कि वह सीवीसी की नियुक्ति के मामले में जिम्मेदारी को स्वीकार करते हैं. पीएम के इस बयान के बाद सुषमा स्वराज ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत करती हूं जिसमें वह सीवीसी मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यह काफी है. अब मामला खत्म हो जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस की नियुक्ति के फैसले को अवैध करार दिया है. सीवीसी की नियुक्ति के लिए बनी समिति में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी चिदम्बरम और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज शामिल थे.

स्वराज के आपत्ति जताने के बावजूद पीजे थॉमस के नाम पर मुहर लगाई गई. फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई और अब यह नियुक्ति अवैध करार दी गई है क्योंकि थॉमस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एक केस है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए जमाल

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