सुंदरबन का 15 फीसदी हिस्सा अगले 10 सालों में डूब जाएगा
१३ जुलाई २०१०संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यानी यूएनडीपी ने चेतावनी दी है कि अगर जल्दी ही कुछ नहीं किया गया तो सुंदरबन इतिहास बन जाएगा. सुंदरबन के लोहाचारा द्वीप औऱ न्यू मूर द्वीप पहले ही पानी में समा चुके हैं जबकि गोरमारा द्वीप का आधा हिस्सा डूब चुका है. इतना ही नहीं इसके खत्म होने का असर पूरी दुनिया के जलवायु पर पड़ेगा. सोमवार को कोलकाता में यूएनडीपी की ज़िलों के आधार पर मानव विकास रिपोर्ट जारी करते वक्त ये बात कही गई.
सुंदरबन इलाके के 102 द्वीपों में 54 पर इंसान बसते हैं. ये लोग बेहद गरीब हैं और उनके पास पेट पालने के लिए जंगल के अलावा दूसरा कोई जरिया नहीं. इन जंगलों पर इनकी जरूरत से अधिक निर्भरता सुंदरबन के लिए मुसीबत बन गई है. समस्या यह है कि अब जंगल की सीमाएं जवाब दे रही हैं. जंगल धीर-धीरे खत्म हो रहे हैं.
दरअसल जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का असर ये हुआ है कि इलाके में समुद्र का तल तेजी से बढ़ रहा है. इतना ही नहीं सुंदरबन के आसपास के सागर में गंगा के पानी का स्तर बढ़ गया है. नतीजा ये कि पानी का खारापन कम हुआ है और यही बात सुंदरबन के मैंग्रोव के खिलाफ जा रही है वो खत्म हो रहे हैं.
सुंदरबन का करीब 60 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश में है और दोनों देशों के हिस्सों को संयुक्त राष्ट्र ने अपनी अनमोल विरासत की सूची में शामिल किया है. बावजूद इसके इन जंगलों को बचाने की दिशा में सरकारों की कोशिशें निराश करने वाली हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादानः उ.भ.