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सुंदरबन की ओर सोलर पैनल

१६ सितम्बर २०१३

हैम्बर्ग से कुछ सोलर पैनल और सौर ऊर्जा से चलने वाला रेफ्रिजरेटर पश्चिम बंगाल के सुंदरबन भेजा गया है. उद्देश्य है बिना बिजली वाले इलाकों में दवाइयों को रखने और आपात ऑपरेशनों की सुविधा मुहैया करवाना.

तस्वीर: Michael Rahn/kommunikateam

इस प्रोजेक्ट के जरिए सुंदरबन के तीन इलाकों में सौर ऊर्जा से स्वास्थ्य सेवा की सुविधाएं दी जाएंगी. सोलर मेडिकस और सिलेक्टेड इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी कंपनी सोलर पैनल के साथ दो उपकरण भारत भेज रही है. इनमें सौर ऊर्जा से चलने वाले 50 लीटर के कूल बॉक्स भी हैं, जिनमें वैक्सीन्स और आपात स्थिति में खून भी कुछ समय के लिए रखा जा सकता है.

इन उपकरणों को भारत भिजवाने में हैम्बर्ग के हंसियाटिक इंडिया फोरम ने मदद की. फोरम के अध्यक्ष डॉ अमल मुखोपाध्याय ने बताया, "यह प्रोजेक्ट पहले तो लैटिन अमेरिका के दूर दराज के गांवों में शुरू हुआ था. मुझे जब इसके बारे में पता चला तो मैंने सोचा कि यह भारत के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. देश के कई इलाकों में जहां बिजली और स्वास्थ्य की सुविधाएं नहीं हैं, वहां इस तरह के सोलर पैनल काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं. पूरी जानकारी मिलने के बाद हमने इस प्रोजेक्ट के लिए स्पॉन्सर ढूंढना शुरू किया."

हैम्बर्ग से सोलर पैनलों के साथ ही कूल बॉक्स भी भेजे गए हैं. जहाज से इन्हें पहुंचने में कम से कम तीन हफ्ते का समय लगेगा. ये सोलर पैनल वहां के अस्पताल की छतों पर लगाए जाएंगे. जिससे बिजली भी बनेगी. आपात स्थिति में इन मेडिकल सेंटरों में छोटे ऑपरेशन भी किए जा सकेंगे.
डॉ मुखोपाध्याय ने सुंदरबन जाकर हालात का जायजा लिया और फिर वहां की जरूरतों के हिसाब से एक कार्यक्रम तैयार किया. इसके बाद तय किया गया कि कौन से उपकरणों की वहां जरूरत है कि बीमारियों की रोकथाम और शुरुआती चिकित्सा में वो काम आ सकें. इतना ही उपकरण आसानी से इस्तेमाल करने लायक भी हों. उन्होंने उम्मीद जताई, "इन तीन सोलर स्टेशनों के लगने के बाद स्थानीय प्रशासन, नेताओं और स्वास्थ्य मंत्रालय की भी रुचि इसमें बढ़ेगी. और फिर दूसरे इलाकों में भी इस तरह के प्रोजेक्ट शुरू किए जा सकेंगे."

हैमबर्ग में भारत के कंसुल डॉ. विधु पी नायरतस्वीर: Michael Rahn/kommunikateam

सुंदरबन के कुछ हिस्सों में सोलर प्रोजेक्ट पहले से चल रहे हैं और काफी लोगों को इसका फायदा हुआ है. सुदंरबन की ज्यादातर बस्तियों और टापुओं पर बिजली नहीं पहुंच सकी है. इलाके का बीहड़ होना और आवाजाही की सुविधा का अभाव इसकी प्रमुख वजह है. पश्चिम बंगाल सौर ऊर्जा विकास निगम की पहल पर सागरद्वीप में पहला सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया. इसके बाद इलाके के लोगों का जीवन काफी हद तक बदला.

2011 की रिपोर्ट के मुताबिक बलियारा गांव के चार हजार में से डेढ़ हजार लोग फिलहाल सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे थे पश्चिम बंगाल सौर ऊर्जा विकास निगम के निदेशक एस.पी. गणचौधरी ने डॉयचे वेले को बताया कि भौगोलिक प्रतिकूलता की वजह से सुंदरबन डेल्टा में रहने वाले लगभग 40 लाख लोगों को पारंपरिक तरीके से बिजली मुहैया करना संभव नहीं था. सुंदरबन इलाके में सौर ऊर्जा की लगभग 20 परियोजनाओं के जरिए लगभग एक लाख लोगों को बिजली मुहैया कराई जा रही है.

हंसियाटिक इंडिया फोरम के सदस्यतस्वीर: Amal Mukhopadhyay

सुंदरबन में करीब 102 टापू हैं जिनमें से 54 बसे हुए हैं. यहां अभी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इसलिए वैकल्पिक ऊर्जा के जरिए बिजली और उपकरण चलाना यहां बहुत फायदेमंद साबित होता है.
रिपोर्टः आभा मोंढे
संपादनः एन रंजन

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