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सुंदरबन में बाघों की गिनती पूरी

१५ मार्च २०१०

सुंदरबन यानी दुनिया में रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा घर. वहां बाघों की गिनती का काम पूरा हो गया है. ख़ास बात यह है कि इस बार यह गिनती पदचिन्हों के अलावा डीएनए परीक्षण के ज़रिए भी की गई है.

रॉयल बंगाल टाइगरतस्वीर: AP

बांग्लादेश की सीमा से लगे पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में में इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते टकराव और बाघों की तादाद पर विवाद के बीच यहां नए तरीक़े से बाघों की गिनती का काम अब पूरा हो गया है. इन नतीजों का विश्लेषण देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट और कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान मिल कर करेंगे.

इससे पहले हुई गिनती में यहां बाघों की तादाद 260 से 280 के बीच बताई गई थी. लेकिन भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने गिनती का तरीक़ा सही नहीं होने की बात कह कर वन विभाग के दावे पर सवाल खड़ा कर दिया था. इसलिए इस बार गिनती के लिए पदचिन्हों के पारंपरिक तरीक़े के अलावा बाघों के डीएनए परीक्षण का भी सहारा लिया गया है.

तस्वीर: AP

सुंदरबन टाइगर रिज़र्व के फ़ील्ड डायरेक्टर सुब्रत मुखर्जी कहते हैं कि बाघों की तादाद कम नहीं है. सही तादाद तो आंकड़ों के विश्लेषण के बाद ही सामने आएगी. लेकिन पिछली गिनती को पैमाना मानें तो उनकी तादाद उससे कम नहीं होगी.

हाल के दिनों में बाघों के जंगल से मानव बस्तियों में आने की घटनाएं बढ़ी हैं. सुंदरबन में बाघों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनको रेडियो कॉलर भी पहनाए जा रहे हैं. वन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि रेडियो कालर से बाघों की गतिविधियों की पूरी जानकारी मिलती रहेगी. यह रेडियो कॉलर सेटेलाइट से जुड़ा है.

सुंदरबन बायोस्फेयर रिज़र्व के निदेशक प्रदीप व्यास नहीं मानते कि जंगल में बाघों के भोजन में कमी आई है. वह कहते हैं कि सुंदरबन में बाघों के लिए शिकार की कोई कमी नहीं है. व्यास बताते हैं कि पांच दिनों तक चली इस गिनती के लिए वन विभाग के ढाई सौ कर्मचारियों और कुछ गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को लेकर 35 टीमों का गठन किया गया था.

तस्वीर: AP

वन विभाग ने मानव बस्तियों में बाघों का प्रवेश रोकने के लिए जंगल से सटी बस्तियों में जाल लगाने के अलावा स्थानीय लोगों को साथ लेकर वन रक्षक समितियां गठित की हैं. लोगों से जंगल के पेड़ों की कटाई से बचने को कहा गया है.

आख़िर सुंदरबन में कितने बाघ बचे हैं? इस सवाल का सही जवाब तो बाघों के मल के नमूनों के डीएनए विश्लेषण से ही मिलेगा. लेकिन इस काम में अभी समय लगेगा. इसलिए नतीजे सामने नहीं आने तक तो इस बारे में अनुमान ही लगाया जा सकता है.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः ए कुमार

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