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सुई के बजाए क्रीम से सुरक्षा

१९ दिसम्बर २०१४

अलग अलग बीमारियों से बचने के लिए टीका लगवाना- बड़ों और बच्चों, दोनों को पसंद नहीं. जर्मनी के कुछ वैज्ञानिकों के पास एक जबरदस्त सुझाव है. हो सकता है कि जल्द ही अस्पताल और टीका पुरानी बात बन जाए.

तस्वीर: Getty Images

जर्मनी के हेल्महोल्स इंस्टीट्यूट एचजेडआई के वैज्ञानिक एक खास प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. अगर उनका प्रोजेक्ट सफल हुआ तो भविष्य में क्रीम लगाकर बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकेगा. इसका मतलब है कि चेचक, टाइफॉयड और हैजे के लिए इंजेक्शन नहीं, खास क्रीम लगाना होगा. प्रोजेक्ट पर काम करने वाले क्लाउड मिशेल लेर कहते हैं कि यह क्रीम "टैक्सी" का काम करेगी, यानी इनके जरिए टीके वाली दवा त्वचा से होते हुए खून तक पहुंच सकेगी.

ऐसी क्रीम के आम टीके के मुकाबले ज्यादा फायदे हैं. क्लाउड मिशेल लेर कहते हैं कि पहले तो इसे बनाने में बहुत वक्त लगता है और इसे लगाने के लिए नर्सों को ट्रेनिंग देनी होती है. क्रीम में दवा वाले नैनोपार्टिकल के साथ साथ कैमिकल पदार्थ डाले जाते हैं जिससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाया जाता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि इस क्रीम को वह लोग भी इस्तेमाल कर सकेंगे जिन्हें अलग अलग चीजों से एलर्जी होती है.

तस्वीर: Novartis Vaccines

यह टैक्सी त्वचा में बालों से चिपक जाती हैं और फिर अंदर चली जाती हैं. लेर बताते हैं, "त्वचा को चोट नहीं पहुंचती. भविष्य में हो सकता है कि आप क्रीम लगा लें और यही आपका टीका होगा. यह क्रीम साधारण इंजेक्शन के मुकाबले सस्ती होंगी और इन्हें इस्तेमाल करना भी आसान होगा. जर्मनी में स्किन डॉक्टर संघ के राल्फ फॉन कीडरोव्स्की कहते हैं कि यह तरीका काम कर सकता है और विकासशील देशों में यह बहुत काम आएगा.

हालांकि ऐसे भी कई टीके हैं जो मुंह के अंदर की त्वचा के रास्ते शरीर में जाते हैं इसलिए क्रीम वाली तरकीब बहुत अलग नहीं है. क्रीम का फायदा यह भी है कि सुई से डरने वाले लोग इसे लगाने से नहीं हिचकेंगे. लेकिन क्या ऐसी क्रीम सब के काम आएगी. डॉक्टर बताते हैं कि क्रीम में दवा का काम करने वाले नैनोपार्टिकल्स ऐसे होने चाहिए जिनसे एलर्जी न हो. क्रीम भी उतनी ही लगानी होगी जिससे शरीर में इसकी सही मात्रा जाए.

हेल्महोल्स के शोधकर्ताओं की बनाई हुई क्रीम अब भी परीक्षण के स्तर पर है. इसे अभी सिर्फ जानवरों पर टेस्ट किया गया है. क्लाउड मिशेल लेर कहते हैं कि अब तक इतने स्पॉन्सर सामने नहीं आए हैं.

एमजी/एएम (डीपीए)


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