यह तस्वीर भारत में इंसान और वन्य जीवों के टकराव का सबूत है. पश्चिम बंगाल की इस तस्वीर को "नर्क यहीं है" शीर्षक दिया गया है.
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बिलाप हाजरा ने यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में ली. तस्वीर अपने आप में सब कुछ बयान कर रही है. एक मादा हाथी अपने बच्चे के साथ भाग रही हैं. हाथियों के झुंड पर स्थानीय लोगों ने हथगोलों से हमला किया. नन्हा हाथी विस्फोट से झुलस भी गया.
भारत के सेंचुरी नेचर फाउंडेशन ने इस तस्वीर के लिए बिलाप हाजरा को फोटोग्राफर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया. जजों में शामिल वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर नयन खानोल्कर कहते हैं, "हमारे मैदान, हमारी खदानें पशुओं के आवास पर कब्जा कर रही हैं. जमीन की मांग के चलते यह टकराव हो रहा है लेकिन हम भी जमीन के लिए कहां जाएं."
भारत में इस वक्त करीब 30,000 जंगली हाथी हैं. उन्हें संरक्षण और पर्याप्त इलाके की जरूरत है. जगह और भोजन की कमी के चलते हाथी काफी समय से इंसान की बस्तियों में घुस रहे हैं. झुंड में चलने वाले जंगली हाथी घरों को तोड़ देते हैं, फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और सामने आने वाले इंसान को कुचल देते हैं. भारत के वन विभाग के मुताबिक हाथियों के हमले में हर साल करीब 300 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं.
लेकिन इतनी ही भारी कीमत हाथी भी चुकाते हैं. हर साल सैकड़ों हाथी शिकार, सड़क हादसों, बिजली के झटकों या जहर खाने से मारे जाते हैं. जंगली हाथी असल में सैकड़ों साल पुराने रास्ते को पहचानते हैं. वे हमेशा भोजन या पानी तक पहुंचने के लिए उसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन बीते दशकों में इन रास्तों में छोटे छोटे गांव बस गए. टकराव की एक वजह यह भी है.
यह सिर्फ पश्चिम बंगाल की ही दशा नहीं है. भारत के अन्य राज्यों में भी आए दिन वन्य जीवों और इंसान के टकराव की खबरें आती रहती हैं.
(जानवर भी शोक में बिलखते हैं)
दिल पिघला देते हैं शोक में डूबे जानवर
अपने करीबी की मौत से सदमा सिर्फ इंसान को ही नहीं लगता, जानवर भी साथी की मौत से टूट जाते हैं. उनका शोक दिल पिघला देता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Gentsch
बच्चा बिछड़ गया
गुरिल्ला मां गाना को यकीन नहीं हुआ कि उसका बच्चा मर चुका है. कई दिन तक वह मरे हुए बच्चे को अपनी पीठ पर लेकर घूमती रही. बीच बीच में वह बच्चे को जगाने की कोशिश भी करती थी. इस दौरान उसने म्युंस्टर जू के कर्मियों को भी करीब नहीं आने दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Gentsch
कई दिन तक तैराना
विशालकाय व्हेल, डॉल्फिन और अन्य समुद्री स्तनधारी भी अपने करीबी के शव को कई दिन तक साथ रखते हैं. शव को डूबने से बचाने के लिए वो नीचे से अपनी पीठ का सपोर्ट देते हुए तैरते हैं. कुछ महीनों तक ऐसा करने के बाद आखिकार शव डूब जाता है.
तस्वीर: Public Domain
जाग जा, जाग जा
हाथी जबदरस्त याददाश्त वाले होते हैं, लेकिन झुंड में किसी को मौत हो जाए तो सारे हाथी शोक में डूब जाते हैं. वह काफी समय तक शव की देखभाल करते हैं, उसे जगाने की कोशिश करते हैं. जवान हाथी की मौत होने पर दूसरे झुंड के हाथी भी शोक जताने पहुंचते हैं. झुंड कुछ साल बाद भी मृतक की हड्डियों के पास पहुंचता है.
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE/M. Harvey
अंतिम यात्रा
परिवार में किसी की मौत होने पर बंदर बहुत ही ज्यादा भावुक हो जाते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक उनके खून में तनाव संबंधी हॉर्मोन बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है. साथी की अंतिम यात्रा निकालने के बाद भी वे कई दिनों तक एक दूसरे से चिपटकर सदमे से निपटते हैं.
तस्वीर: picture alliance/chromorange
मेरा खेल भी खत्म
झुंड के कौव्वे की मौत होने पर बाकी साथी शव को घेर लेते हैं और कुछ समय के लिए खाना पीना छोड़ देते हैं. जोड़ा बनाकर रहने वाले पंछियों में से अगर एक की मौत हो जाए तो दूसरा परिंदा भी खाना पीना छोड़ देता है. बत्तख और गाने वाले कुछ पक्षी तो भोजन त्यागकर जान भी दे देते हैं.
करीबी की मौत होने पर मछलियां भी एक ही जगह स्थिर हो जाती हैं. एक्वेरियम में किसी मछली के मरने के बाद दूसरी मछलियों का स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है, वे कुछ दिन तक अलग व्यवहार करती हैं.
बिल्ली और भालू प्राकृतिक रूप से दोस्त नहीं होते. लेकिन बर्लिन के चिड़ियाघर में इस बिल्ली की भालू से दोस्ती हो गई. फिर जब भालू की मौत हुई तो बिल्ली कई दिन तक रोती रही. वह भालू का पिंजरा छोड़ने को तैयार ही नहीं हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Rüsche
अंतहीन इंतजार
पालतू कुत्ते के मरने पर जितना दुख इंसान को होता है, उससे कहीं ज्यादा दुख मालिक के मरने पर कुत्ते को होता है. मालिक की मौत के बाद कुत्ते कई दिन तक खाना नहीं खाते हैं. संभव हो तो हर दिन कब्रिस्तान जाकर कब्र के पास घंटों बैठे रहते हैं.