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शादी में पत्नी की खुशी जरूरी

१७ सितम्बर २०१४

गले में माला पहनाने या अंगुली में अंगूठी बदलने के बाद विवाहित जिंदगी की हकीकत से सामना होता है. भारत में एक फीसदी तो जर्मनी में करीब एक तिहाई शादियों का अंत तलाक से होता है. कौन है लंबे, सुखी दाम्पत्य के लिए जिम्मेदार.

Symbolbild - Unter der Bettdecke
तस्वीर: Fotolia/drubig-photo

लंबे समय से शादीशुदा जोड़ों पर नजर रखने वाले रिसर्चरों की मानें तो सुखी दाम्पत्य की डोर महिलाओं के हाथों में होती है. अगर वे खुश हैं तो अच्छा साथ रहता है. इस मामले में पुरुष क्या सोचता है वह उतना अहम नहीं होता. रिसर्चर काफी समय से सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी मसाले ढूंढने में लगे हैं. कौन सी बातें हैं जो जोड़ों को एक दूसरे से दशकों तक बांध कर रखती हैं और कौन सी बातें हैं जिनकी वजह से शादी के बाद जोश धीरे धीरे कम होता जाता है.

पुरुषों की असंतुष्टि का असर नहीं

इसे ठीक से समझने के लिए न्यूजर्सी के रुटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने करीब 400 जोड़ों की जिंदगी को खंगाला जो औसन 39 सालों से शादीशुदा थे. इस रिसर्च से जो सबसे मजेदार बात पता चली वह यह कि दाम्पत्य सुख के लिए महिलाओं का संतुष्ट होना पुरुषों की संतुष्टि से ज्यादा जरूरी है. विवाह और परिवार पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार रिश्तों के बारे में पुरुष भले ही बहुत सकारात्मक तरीके से नहीं सोच रहा हो, जब तक महिला संतुष्ट हो सब कुछ ठीकठाक रहता है.

डेबोराह कार रुटगर्स यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की प्रोफेसर हैं. वे परिवार में निभाई जाने वाली भूमिकाओं और रिश्ते के स्वास्थ्य पर होने वाले असर पर भी काम करती हैं. वैवाहिक सुख में महिलाओं की भूमिका के बारे में वे कहती हैं, "मेरी राय में इसकी वजह यह है कि विवाह से संतुष्ट महिला अपने पति के लिए बहुत कुछ करती है जो उसकी जिंदगी पर सकारात्मक असर डालता है." महिलाओं के विपरीत पुरुष रिश्तों के बारे में ज्यादा बात नहीं करते, इसलिए महिलाएं उनके संतुष्ट या असंतुष्ट होने के बारे में ज्यादा जान भी नहीं पाती. इसका नतीजा यह होता है कि पुरुषों की असंतुष्टि महिलाओं पर असर नहीं डालती.

महिलाएं परिवार के लिए ज्यादा समर्पित

डेबोराह कार और मिशीगन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल रिसर्च की प्रोफेसर विकी फ्रीडमन ने यह रिपोर्ट लिखी है. कार का कहना है कि यह अध्ययन पहले हुए अध्ययनों से इस मामले में अलग है कि पहली बार बुजुर्ग पार्टनरों में दोनों की व्यक्तिगत भावनाओं की जांच की गई है ताकि यह पता किया जा सके कि वैवाहिक रिश्ते बुजुर्गों की मनस्थिति पर क्या असर डालते हैं.

रिसर्चरों ने अध्ययन में भाग लेने वालों से बहुत सारे सवाल किए जिनमें पार्टनर से होने वाले झगड़े, एक दूसरे का सम्मान किए जाने और एक दूसरे की भावनाओं को समझने के बारे में सवाल पूछे गए. उनसे 24 घंटे के दौरान हुई घटनाओं की डायरी रखने को भी कहा गया ताकि पता चल सके कि उस दौरान वे कितने संतुष्ट या असंतुष्ट थे. डेबोराह कार का कहना है, "दोनों पार्टनर उतने ही खुश और जीवन से संतुष्ट दिखे जितना वे अपने रिश्ते को बेहतर समझते थे."

इस अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि महिलाएं परिवार के लिए ज्यादा समर्पित होती हैं. पति के बीमार होने पर वे दुखी और चिंतित होती हैं जबकि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता. कार बताती हैं, "हमें पता है कि पुरुष के बीमार होने पर पत्नी उसकी देखभाल करती है, जो तनावपूर्ण अनुभव हो सकता है." लेकिन महिला के बीमार होने पर पति के बदले देखभाल की जिम्मेदारी अक्सर बेटियां उठाती हैं.

एमजे/आईबी

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