सुपर कंप्यूटरों की होड़ में जर्मनी भी अग्रणी
१२ जनवरी २००९डानियेल मालमान इस बार निराश हैं क्योंकि सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटरों की टॉप 10 सूची में इस बार उन्हें अपने युलिश शोध केंद्र वाले "यूगेने" का नाम नहीं मिला. साल भर पहले वह अमेरिकी सेना के सुपर कंप्यूटर के बाद दूसरे नंबर पर था. संसार का सबसे तेज़ असैनिक सुपर कंप्यूटर माना जाता था. इस समय संसार का सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर है "रोडरनर" लेकिन, वह असैनिक नहीं है.
अमेरिकी सेना उसे अपनी सैनिक गणनाओं के लिए इस्तेमाल करती है. "रोडरनर" प्रति सेकंड एक "पेटाफ्लॉप", यानी एक हज़ार खरब (1000000000000000) गणनाएं कर सकता है. हमारे घरेलू कंप्यूटर केवल "मेगा" या "गीगा" फ्लॉप तक ही पहुँच पाते हैं, यानी प्रति सेकंड दस लाख और एक अरब के बीच की गिनती तक ही रह जाते हैं.
हर छह महीनों पर प्रकाशित होने वाली टॉप-500 लिस्ट तेज़ गति कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियों के लिए एक मानदंड बन गयी है. इसलिए युलिश के वैज्ञानिक भी आगामी मई में अपने सुपर कंप्यूटर की गणना क्षमता पांच गुना बढ़ाने का काम शुरू करेंगे. तब उनका कंप्यूटर भी आज के "टेराफ्लॉप", यानी प्रति सेकंड सौ अरब की गणना सीमा पार कर अमेरिका के "रोडरनर" के बराबर की "पेटाफ़्लॉप" क्षमता प्राप्त कर लेगा. तब वह भी एक सेकंड में 'एक हज़ार खरब' गणनाएं करने लगेगा. तुलना के लिए यह एक लाख पर्सनल कंप्यूटरों की सम्मिलित गणना क्षमता के बराबर है. अब सवाल यह है कि इतनी अकल्पनीय गणना क्षमता की ज़रूरत ही कब और क्यों पड़ती है.
डानियेल मालमान कहते हैं कि वैज्ञानिक शोधों के समय एक साथ ऐसी ढेर सारी गणनाएं करने की ज़रूरत पड़ सकती है, जो पहले या तो संभव ही नहीं थीं या बहुत अधिक समय और साधनों की मांग करती थीं. यूगेने की सहायता से, एक ही साथ, कई अलग-अलग विषयों से जुड़ी शोध परियोजनाओं के आंकड़ों के विश्लेषण किये जा सकते हैं.
उदाहरण के लिए, उसकी सहायता से हृदय रोग के रोगियों के लिए ज़रूरी रक्तपंप को सही आकार देने की गणनाएं की गयीं. मौसम विज्ञान और मूलकण भौतिकी ऐसे ही दो क्षेत्र हैं, जहाँ सुपर कंप्यूटर के बिना काम नहीं चल पाता. इस का एक सबसे ज्वलंत उदाहरण है, 21 नवंबर, 2008 को विज्ञान पत्रिका "साइंस" में प्रकाशित एक लेख. लेख में कहा गया है कि जर्मनी के युलिश विज्ञान शोध केंद्र के वैज्ञानिकों ने अपने सुपर कंप्यूटर यूगेने की सहायता से सिद्ध कर दिया है कि अल्बर्ट आइनस्टाइन का प्रसिद्ध फ़ॉर्मूला E=mc2 परमाणु के संघटक मूलकणों के संदर्भ में भी सही है. यह फ़ार्मूला दिखाता है कि पदार्थ और ऊर्जा को किस अनुपात में एक-दूसरे में बदला जा सकता है. पदार्थ का द्रव्यमान अर्थात भार होता है, जबकि ऊर्जा भारहीन होती है.
युलिश के सुपर कंप्यूटर से जुड़े डानियेल मालमान कहते हैं कि इस तरह के कंप्यूटरों की सहायता से ऐसे मौसम की भविष्यवाणी भी की जा सकती है, जिससे, कह सकते हैं, कि कैलीफ़ोर्निया के जंगलों में आग लग सकती है और आग फैलने की दिशा क्या हो सकती है. इसी तरह बाढ़ की भी भविष्यवाणी की जा सकती है.
जर्मनी का सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर दुनिया में फ़िलहाल भले ही 11वें नंबर गिर गया हो, पूरे यूरोप में वह अब भी पहले नंबर पर है. इसीलिए जर्मनी सहित पूरे यूरोप के 200 से अधिक वैज्ञानिक अपने शोधकार्यों के लिए उसी का उपयोग करते हैं. छह महीने बाद विश्व के 500 सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटरों की जब नई सूची प्रकाशित होगी, तब वह "टेराफ्लॉप" को पीछे छोड़ कर "पेटाफ्लॉप" की श्रेणी में पहुँच गया होगा. हो सकता है कि तब वह 11वें स्थान के बदले शुरू की 10 पायदानों पर कहीं नज़र आये.
सुपर कंप्यूटरों की इस दौड़ में भारत में पुणे की शोध प्रयोगशाला सीआरएल का सुपर कंप्यूटर एचपी क्लस्टर प्लेटफ़ार्म जून 2008 तक आठवें नंबर पर रहने के बाद अब टॉप 10 की सूची से बाहर हो गया है. उसकी गणना-क्षमता 132.8 टेराफ़्लॉप है. तब भी भारत के लिए यह सम्मान की बात है कि टॉप 500 में उसके सुपर कंप्यूटरों की संख्या अब 6 से बढ़ कर 8 हो गयी है.
इस सूची में चीन के कंप्यूटरों की संख्या 12 से बढ़ कर 22 हो गयी है, जबकि जापान के कंप्यूटरों की संख्या 22 से घट कर 18 पर आ गयी है. विश्व के 500 सुपर कंप्यूटरों में से 291 अकेले अमेरिका में काम कर रहे हैं. सूची में शामिल जर्मन सुपर कंप्यूटरों की संख्या एक ही छमाही में 46 से घट कर 24 पर आ गयी है.