पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ राजनीतिक दल के मुखिया भी नहीं रह सकते. भ्रष्टाचार के आरोप में घिरने के बाद छह महीने पहले उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया गया.
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पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अयोग्य ठहराया गया कोई शख्स किसी राजनीतिक दल का प्रमुख नहीं हो सकता. नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने कानून में एक बदलाव किया था जिसके बाद सार्वजनिक पदों के लिए अयोग्य ठहराए जाने के बाद भी नवाज शरीफ राजनीतिक पार्टी के प्रमुख रह सकते थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने इस कानून को अब बेकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को होने वाले सीनेट के चुनाव पर भी फिलहाल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ के फिर से पार्टी प्रमुख चुने जाने के बाद लिए गए सभी फैसलों को अमान्य करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने आदेश दिया है, "चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया जाता है कि वह पीएमएल एन के प्रमुख के तौर पर नवाज शरीफ का नाम सभी दस्तावेजों से हटा दे."
नवाज शरीफ ने झेले हैं ये सियासी तूफान
नवाज शरीफ पाकिस्तानी सियासत के एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं. लेकिन अपने सियासी करियर में उन्होंने कई बड़े तूफान झेले हैं. एक नजर उनके राजनीतिक सफर पर.
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तीन बार प्रधानमंत्री
नवाज शरीफ पाकिस्तान के अकेले ऐसे नेता है जिन्होंने रिकॉर्ड तीन बार प्रधानमंत्री का पद संभाला. पहली बार वह नवंबर 1990 से जुलाई 1993 तक पीएम रहे. दूसरी बार उन्होंने फरवरी 1997 में सत्ता संभाली और 1999 में तख्तापलट तक प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद 2013 में आम चुनाव जीतने के बाद फिर उन्हें प्रधानमंत्री की गद्दी मिली.
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कब आये सुर्खियों में
नवाज शरीफ को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर राजनेता के तौर पर पहचान सैन्य शासक जनरल जिया उल हक के शुरुआती दौर में मिली. वह 1985 से 1990 तक पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे. इससे पहले प्रांतीय सरकार में उन्होंने वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली.
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सियासी मोड़
1988 में जिया उल हक की मौत के बाद उनकी पार्टी पाकिस्तानी मस्लिम लीग (पगारा गुट) दो धड़ों में बंट गयी. एक धड़े का नेतृत्व उस वक्त के प्रधानमंत्री मोहम्मद खान जुनेजो को हाथ में था तो जिया समर्थक नवाज शरीफ के पीछे लामबंद थे.
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पहली बार प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में 1990 के आम चुनाव में नवाज शरीफ ने शानदार जीत दर्ज की और वह देश के 12वें प्रधानमंत्री बने. लेकिन तीन साल बाद ही उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और इसके बाद बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में सरकार बनी.
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दूसरा मौका
1997 के चुनाव में नवाज शरीफ को स्पष्ट बहुमत मिला और देश की बागडो़र फिर एक बार उनके हाथ में आयी. यह वह दौर था जब विपक्ष चारों खाने चित्त होने के बाद हताशा का शिकार था, तो नवाज शरीफ पाकिस्तान के सियासी परिदृश्य पर छाये हुये थे.
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परमाणु परीक्षण
नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री रहते ही पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार परमाणु परीक्षण किये थे. भारत के पोखरण-2 परमाणु परीक्षणों के चंद दिनों के बाद पाकिस्तान के इस परीक्षण ने दुनिया को हैरान किया और वह परमाणु शक्ति संपन्न पहला मुस्लिम देश बना.
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भारत से दोस्ती
पाकिस्तान में जब नवाज शरीफ की सरकार थी तो भारत में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. दोनों देशों के बीच तब शांति उम्मीद बंधी जब वाजपेयी बस के जरिए लाहौर पहुंचे. लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद कारगिल की लड़ाई ने ऐसी सभी उम्मीदों को गलत साबित किया.
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तख्तापलट
1999 में नवाज शरीफ ने अपनी सियासी जिंदगी का सबसे बड़े तूफान झेला, जब सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने उनका तख्तापलट कर उन्हें जेल में डाल दिया था. उन्हें उम्रैकद की सजा सुनायी गयी और उनके राजनीति में हिस्सा लेने पर भी आजीवन रोक लगा दी गयी.
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निर्वासन
सऊदी अरब के जरिए हुई एक डील के बाद नवाज शरीफ जेल की कालकोठरी से निकले. उन्हें परिवार के 40 सदस्यों के साथ सऊदी अरब निर्वासित कर दिया गया. वहां वह कई साल तक रहे. लेकिन 2007 में सेना के साथ उनकी फिर डील हुई और उनके पाकिस्तान लौटने का रास्ता साफ हुआ.
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तीसरा कार्यकाल
2008 के संसदीय चुनाव से पहले बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को सहानुभूति लहर का फायदा मिला और वह सत्ता में आयी. लेकिन बाद 2013 के चुनाव में नवाज शरीफ सब पर भारी साबित हुए. युवाओं के बीच इमरान खान की बढ़ती लोकप्रियता भी उसके रास्ता की बाधा नहीं बनी.
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भ्रष्टाचार के आरोप
इमरान खान को चुनाव मैदान में भले ही शिकस्त मिली, लेकिन उन्होंने नवाज शरीफ के खिलाफ अपना अभियान रोका नहीं. पनामा पेपर्स में शरीफ खानदान का नाम आने के बाद तो उनके आरोपों को नई धार मिल गयी. महीनों तक चली छानबीन के बाद आखिरकार नवाज शरीफ को इस जंग में हार का मुंह देखना पड़ा.
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अयोग्य करार
28 जुलाई 2017 को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए नवाज शरीफ को अयोग्य करार दिया, जिसके बाद उनके लिए प्रधानमंत्री पद पर बने रहना संभव नहीं रहा. हालांकि नवाज शरीफ और उनका परिवार अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
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10 साल की सजा
भ्रष्टाचार के एक मामले में नवाज शरीफ को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई. लंदन में आलीशान फ्लैंटों की खरीद से जुड़े मामले में उन्हें यह सजा हुई. अदालत का कहा है कि शरीफ परिवार यह बताने में नाकाम रहा कि लंदन में संपत्ति खरीदने के लिए पैसा कहां से आया. आम चुनाव से ठीक पहले नवाज शरीफ को हुई सजा.
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पांच साल का फेर
पाकिस्तान में अब तक कोई भी पूरे पांच साल तक प्रधानमंत्री नहीं रहा है. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान सबसे ज्यादा 1,524 दिन इस पद पर रहे. उनके बाद यूसुफ रजा गिलानी का नाम आता है जो 1,494 दिन तक प्रधानमंत्री रहे.
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सुप्रीम कोर्ट ने सीनेट के चुनाव के लिए नवाज शरीफ की तरफ से चुने गए सभी उम्मीदवारों के टिकट को भी रद्द किया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उसका फैसला 28 जुलाई 2017 से लागू माना जाए. यह वह दिन था जब नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया गया और उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट में जज साकिब निसार ने कानून में किए गए बदलाव को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई करने के तुरंत बाद फैसला सुना दिया. तीन जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की.
17 याचिकाओं में से एक के वकील फैसल चौधरी ने बताया, "मैं समझता हूं कि उम्मीदवार अब भी चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर ना कि नवाज शरीफ की पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर."
नवाज शरीफ ने उन्हें पद से हटाए जाने को राजनीतिक साजिश कहा था. उन्होंने और उनकी पार्टी ने हाल के दिनों में न्यायपालिका के खिलाफ बहुत जुबानी जंग छेड़ रखी है.
पीएमएल एन नेशनल एसेंबली में बहुमत में है और 3 मार्च के चुनाव के बाद उसे सीनेट में भी बहुमत हासिल कर लेने की उम्मीद थी. दोनों सदनों में बहुमत के बाद शरीफ की पार्टी के लिए कानून में बदलाव कर इसी साल होने वाले चुनाव के बाद उन्हें फिर प्रधानमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो जाता.
नवाज शरीफ इससे पहले भी दो बार प्रधानमंत्री रहे लेकिन दोनों बार उन्हें कार्यकाल के बीच में ही पद से हटा दिया गया.