कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के नाम एक खुला पत्र लिख कर उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार उनका हित चाहती है. आठ पन्नों की इस चिट्ठी को ट्वीट करके प्रधानमंत्री ने भी किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील की है.
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खुले पत्र में कृषि मंत्री ने विवाद का केंद्र बने हुए तीनों नए कृषि कानूनों की आलोचना के सभी बिंदुओं को झूठा और भ्रामक बताया है और सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की है. उनके अनुसार एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी, एपीएमसी मंडियां कायम रहेंगी क्योंकि वे इस कानून की परिधि से बाहर हैं और किसानों की जमीन सुरक्षित है क्योंकि एग्रीमेंट फसल के लिए होगा ना कि जमीन के लिए.
तोमर ने यह भी कहा कि कॉन्ट्रैक्टरों को किसान की जमीन हथियाने नहीं दिया जाएगा, किसानों को सही मूल्य मिलेगा क्योंकि एग्रीमेंट में जो भी मूल्य दर्ज होगा वही किसानों को मिलेगा, उस मूल्य का भुगतान भी तय समय सीमा के अंदर होगा और किसान किसी भी समाय बिना किसी जुर्माने के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म भी कर सकते हैं. कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि इन कानूनों को लेकर देश में दो दशकों तक विचार-विमर्श हुआ है और उसके बाद ही इन्हें लागू किया गया है.
कृषि मंत्री की इस अपील को प्रधानमंत्री और कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी साझा किया. माना जा रहा है कि भाजपा अब इन्हीं बिंदुओं के साथ देश के अलग अलग कोनों में सरकार का संदेश ले जाने के प्रयास शुरू करेगी. हालांकि तोमर की अपील में आंदोलनकारियों की आलोचना भी थी. विपक्षी दलों और कुछ "संगठनों द्वारा रचे गए कुचक्र" के बारे में किसानों को सावधान करते हुए उन्होंने लिखा है, "इन लोगों ने किसानों को राजनीति की कठपुतली बनाने का प्रयास किया है."
नरेंद्र तोमर ने यह भी कहा कि सैनिकों कोआवश्यक रसद पहुंचने से रोकने वाले किसान नहीं हो सकते. इस बीच किसानों ने अपना कड़ा रुख जारी रखा हुआ है और वे अपने प्रदर्शन को नए नए आयाम भी दे रहे हैं. अब आंदोलन के स्थल से ही कुछ युवा किसान मिल कर आंदोलन को सोशल मीडिया पर ले आए हैं और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसी सेवाओं पर 'किसान एकता मोर्चा' नाम से खाते खोल दिए हैं.
युवा किसानों का कहना है कि उन्हें इसकी जरूरत अपनी आवाज सोशल मीडिया पर पहुंचाने की अलावा इसलिए भी महसूस हुई क्योंकि सोशल मीडिया पर कई लोग उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश में दिन-रात लगे हुए हैं. पिछले कई दिनों से बीजेपी से जुड़े कई सोशल मीडिया खाते किसान आंदोलन के बारे में कई तरह की बातें कर रहे हैं. बीजेपी के आईटी विभाग के राष्ट्रीय इन-चार्ज अमित मालवीय ने कई ट्वीटों में प्रदर्शन कर रहे किसानों को लखपति और करोड़पति बताया है.
स्पष्ट है कि अभी तक सरकार और सत्तारुढ़ बीजेपी आंदोलन को शांत कराने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम कर रही थी, लेकिन अब किसानों ने भी हर मोर्चे पर टक्कर देने की ठान ली है.
राज्य सभा में तीन घंटों में सात विधेयकों का पास हो जाना अपने आप में एक नई घटना है. यह तब संभव हुआ जब विपक्ष ने उसकी बात ना सुने जाने के विरोध में सदन का बहिष्कार कर दिया. जानिए क्या है इन विधेयकों में.
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बहिष्कार
मानसून सत्र 2020 के दौरान राज्य सभा से विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन के बाद, अधिकतर विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार कर दिया. लेकिन इसके बावजूद सदन की कार्रवाई चलती रही और साढ़े तीन घंटों में ही एक के बाद एक सात विधेयक पारित हो गए.
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आईआईटीयों पर विधेयक
इनमें सबसे पहले पास हुआ भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020. इसके तहत पांच नए आईआईटीयों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया जाना है. इसके अलावा बाकी छह विधेयक भी लोक सभा से पहले ही पारित हो चुके थे.
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आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक
यह उन कृषि संबंधी विधेयकों में से एक है जिनका किसान और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू को निकालना और उन पर भंडारण की सीमा तय करने की सरकार की शक्ति को खत्म करना है.
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बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक
इस बिल का उद्देश्य सहकारी बैंकों को आरबीआई की देखरेख में लाना है. 2019 में पीएमसी सहकारी बैंक में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था, जिससे आम खाताधारकों की जमापूंजी के डूब जाने का खतरा पैदा हो गया था.
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कंपनी (संशोधन) विधेयक
कंपनी अधिनियम, 2013 का और संशोधन करने वाले इस विधेयक का उद्देश्य है पुराने कानून के तहत कुछ नियमों के उल्लंघन के लिए सजा को कम करना. विपक्ष की आपत्ति थी कि सजा कम करने से कंपनी मालिकों को लगेगा की वे वित्तीय अनियमितताओं के दोषी पाए जाने पर भी बच जाएंगे.
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राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य गुजरात स्थित गुजरात न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय बनाना और उसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना है.
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राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य है गुजरात में ही स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय बनाना और उसे भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना.
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कराधान संबंधी विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य कराधान यानी टैक्सेशन संबंधी नियमों में कुछ संशोधन करना था, जिससे कंपनियों को कोरोना वायरस महामारी की वजह से हुए नुक्सान को देखते हुए कर संबंधी नियमों के पालन और भुगतान आदि के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सके. यह एक धन विधेयक यानी 'मनी बिल' था, इसलिए इसे लोक सभा वापस लौटा दिया गया.
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पहले भी हुआ
शोरगुल के बीच बिलों को पास कराने का काम पहले भी हुआ है. 2008 में लोक सभा में शोरगुल के बीच 17 मिनटों में आठ विधेयक पास करा लिए गए थे.