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सुरक्षा के लिए पुलिस का प्रशिक्षण जरूरी

२६ नवम्बर २०११

मुंबई आतंकी हमलों के तीन साल बाद भारत में पुलिस बल के आधुनिकीकरण का काम अभी भी अधूरा पड़ा है. बड़े शहरों में सुरक्षा में चौकसी आई है लेकिन छोटे शहर अभी भी असुरक्षित हैं. बड़े पुलिस अधिकारी भी निराश हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद पुलिस और सुरक्षा बलों का असहाय चेहरा सामने आ गया था. मुंबई में आतंक विरोधी दस्ते के आला अधिकारियों के पास काम की सुरक्षा वेस्ट तक नहीं थी. होटलों पर कब्जा किए आतंकियों को पकड़ने में काफी देर इसलिए हुई कि शहर में प्रशिक्षित राहतकर्मी नहीं थे. भारत का पूरा सुरक्षा तंत्र बेसहारा दिख रहा था. क्या भारत की पुलिस पिछले तीन सालों में ऐसी स्थिति से निबटने के लिए बेहतर स्थिति में है, यह बात मैंने मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक दिनेश चंद्र जुगरान से पूछी. उनका कहना है, "आतंकवाद से निबटने के लिए हमारे देश की पुलिस न तो प्रशिक्षित है, न ही उसके पास हथियार हैं और न ही हमारा खुफिया तंत्र इतना व्यापक और अच्छा नेटवर्क है कि हम मुंबई जैसी आतंकवाद की घटनाओं पर काबू पा सकें."

तस्वीर: AP

पिछले सालों में भारत में आतंकवाद की समस्या पर गहन विचार किया गया है, संरचनाओं की कमी पर चर्चा हुई है, विदेशी पुलिस बल के साथ सहयोग की पहल हुई है, लेकिन देश में सुरक्षा के लिए जितने संसाधनों की जरूरत है उसका अभाव दिखता है. देश के कई हिस्सों में अभी भी चुस्त पुलिसकर्मियों का अभाव दिखता है. चार दशकों तक पुलिस सेवा में रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी जुगरान कहते हैं, "प्रदेशों में स्थिति बहुत खराब है, न तो बड़े ट्रेनिंग स्कूल हैं और न ही इस तरह के आतंकी हमलों के लिए हमारी पुलिस तैयार है."

तस्वीर: AP

सुरक्षा बलों को चुस्त दुरुस्त बनाने में, उन्हें आधुनिक साजो सामान से लैस करने और काम की मानवीय परिस्थितियां उपलब्ध कराने में सरकार विफल रही है. कई राज्यों में आतंकी खतरे के अलावा स्थानीय विद्रोह भी हो रहे हैं. सीमावर्ती इलाके में तो विद्रोह से निबटने के लिए सेना को लगा दिया जाता है. चुस्त पुलिस बल बनाने में सरकार की विफलता के बारे में श्री जुगरान कहते हैं, "दिक्कत राजनीतिक इच्छा और नौकरशाही बाधा की है. वहां की जो प्रक्रिया है उसमें किसी चीज को लागू करने में इतनी देर हो जाती है कि इसका महत्व खत्म हो जाता है."

पूर्व पुलिस अधिकारी दिनेश चंद्र जुगरान मानते हैं कि मुंबई आतंकी हमले के बाद लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है. सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करने पर सहमत हैं, लेकिन अभी भी प्रदेश की पुलिस के पास छोटे शहरों में आतंकी हमले से निबटने की क्षमता नहीं है. "अगर किसी प्रदेश में आप किसी पुलिस से कहें कि क्या आपके पास किसी बी क्लास टाउन में कोई आतंकी हमला हो तो उससे निबटने के लिए आपके पास ट्रेंड आदमी हैं तो मेरा बड़ा भारी उत्तर होगा, नहीं."

तस्वीर: AP

भारत ने मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाया है, जिसके बाद से आतंकी हमलों में कमी आई है. लेकिन भविष्य में इस तरह के हमलों को रोकने के लिए और यदि हमले हो जाते हैं तो उस पर काबू पाने के लिए पुलिस बल को और मजबूत किए जाने की जरूरत है.

रिपोर्ट: महेश झा

संपादन: एन रंजन

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