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सुरक्षा ढांचे से समझौता नहीं करेगी ब्लैकबेरी

१७ सितम्बर २०१०

ब्लैकबेरी की कंपनी रिसर्च इन मोशन (आरआईएम) को उम्मीद है कि डाटा सिक्योरिटी पर भारत, यूएई और अन्य देशों के साथ चल रहा विवाद जल्द ही हल हो जाएगा. लेकिन कंपनी ने साफ किया है कि वह अपने सुरक्षा ढांचे पर समझौता नहीं करेगी.

तस्वीर: DPA

आरआईएम भारत, यूएई और अन्य देशों के साथ बातचीत जारी रखे हुए है. साथ ही सर्विस प्रोवाइडरों से भी उसकी बात हो रही है. आरआईएम के वरिष्ठ अधिकारी जिम बैलसिली ने कहा, "हमने इस सिलसिले में हो रही बातचीत में प्रगति की है. मुझे विश्वास है कि इसका सकारात्मक नतीजा निकेलगा."

लेकिन बैलसिली ने अपने सुरक्षा ढांचे से समझौता करने से इनकार किया. वह कहते हैं, "हम सरकार की जरूरतों का सम्मान करते हैं और औद्योगिक मानदंडों के आधार पर कानूनी आवश्यकताओं के मुताबिक चलेंगे, लेकिन हम ब्लैकबेरी के सुरक्षा ढांचे पर कोई समझौता नहीं कर सकते."

ब्लैकबेरी से गृह मंत्रालय चिंतिततस्वीर: UNI

लॉस एंजलिस टाइम्स ने बैलसिली के हवाले से लिखा है, "आरआईएम के पास कूट भाषा में संदेश पढ़ने का कोई जरिया नहीं है. इसकी पहुंच हम किसी को दे भी नहीं सकते क्योंकि हमारे पास कोई की या बैकडोर नहीं है."

बैलसिली ने कहा है कि कंपनी जानती है कि उनके ग्राहकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा फीचर है. भारत ने ब्लैकबेरी की ईमेल और मेसेज सेवाओं पर बैन लगाने की धमकी दी है क्योंकि सरकार मानती है कि इन सेवाओं का इस्तेमाल आतंकवादी कर सकते हैं. इसके लिए आरआईएम को भारत सरकार ने 31 अगस्त तक एक ऐसा जरिया निकालने की मोहलत दी थी जिससे अधिकारी भेजे जा रहे संदेशों पर नजर रख सकें. बाद में उसे दो महीने की राहत दी गई. लेकिन इसके लिए भारत सरकार ने कंपनी से वादा लिया कि वह नवंबर तक भारत में एक स्थानीय सर्वर लगाएगी.

भारत में आरआईएम लगभग 10 लाख लोगों को कॉर्पोरेट ईमेल और फौरी संदेश भेजने की सुविधा उपलब्ध करवाती है. पिछले एक साल में कपंनी की आय में खासी बढ़ोतरी हुई है. 28 अगस्त को खत्म हुई साल की दूसरी तिमाही में 79.67 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय दिखाई है. पिछले साल इसी अवधि में कंपनी का आय 47.56 करोड़ रही.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ओ सिंह

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