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सुरक्षा पर जर्मनी इस्राएल के साथ

२ दिसम्बर २०१२

सुरक्षा के मुद्दे पर जर्मनी ने इस्राएल का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र में फलीस्तीन का दर्जा बढ़ाए जाने के बावजूद जर्मन चासलंर अंगेला मैर्केल ने कहा, सुरक्षा के मुद्दे पर जर्मनी हमेशा इस्राएल के साथ रहेगा.

तस्वीर: Reuters

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा, सुरक्षा की गारंटी की बात आई तो "जर्मनी हमेशा इस्राएल के साथ खड़ा रहेगा. इस्राएल को न सिर्फ अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है बल्कि यह उसकी जिम्मेदारी भी है." जर्मनी ने यह बात ऐसे समय में कही है जब मध्य पूर्व में राजनीतिक असमंजस फैलता दिख रहा है.

शुक्रवार को इस्राएल ने पश्चिमी तट पर और 3,000 घर बनाने शुरू कर दिये. इस्राएल का समर्थन करने वाला अमेरिका भी इस कदम से नाराज है. ऐसे वक्त में मैर्केल ने इस्राएल को ढांढस बंधाने की कोशिश की है.

इससे पहले 29 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फलीस्तीन को गैर सदस्य पर्यवेक्षक देश का दर्जा दिया.यह फैसला स्वतंत्र फलीस्तीन की मांग करने वालों के लिए बड़ी जीत और इस्राएल के लिए करारी हार थी. फलीस्तीन के पक्ष में 138 वोट पड़े, विरोध में नौ. जर्मनी समेत 41 देश मतदान से दूर रहे. फलीस्तीनी इलाके में गजा पट्टी, पश्चिमी तट और पूर्वी येरुशलम शामिल हैं.

यूएन के फैसले से खुश फलीस्तीनतस्वीर: AP

मतदान से दूर रहने की वजह से जर्मनी को किरकिरी का सामना करना पड़ा है. जर्मनी को यूरोप में इस्राएल का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता है. शांति और मानवाधिकारों के मुद्दे पर फलीस्तीनियों के साथ भी जर्मनी की हमदर्दी दिखाता है. ऐसे में जर्मनी के मतदान से दूर रहने के फैसले ने इस्राएल और फलीस्तीन दोनों को नाराज किया.

यूएन में मतदान और फिर इस्राएली बस्ती के निर्माण के बाद यह पहला मौका है जब किसी देश ने इस्राएल का समर्थन किया है. गुरुवार को इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू जर्मनी आ रहे हैं. इस्राएल में चुनावों का सामना करने जा रहे नेतन्याहू बर्लिन में जर्मन चांसलर से मुलाकात करेंगे.

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में नाजीवाद के कारण लाखों यहूदियों की हत्या की गई. इसे जर्मनी अतीत की भारी गलती के रूप में देखता है. यही वजह है कि जर्मनी हमेशा कूटनीतिक तौर पर इस्राएल का समर्थन करता है.

ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)

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