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समाज

सुशांत प्रकरण पर क्यों है बिहार व मुंबई पुलिस आमने-सामने

मनीष कुमार, पटना
४ अगस्त २०२०

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला फिर सुर्खियों में है. जांच को लेकर बिहार व मुंबई पुलिस आमने-सामने हैं. बिहार सरकार ने आत्महत्या की सीबीआई जांच की मांग कर मुंबई पुलिस को मात देने की कोशिश की है.

Filmstill | Schauspieler Sushant Singh Rajput im Film Chhichhore
तस्वीर: picture-alliance/Everett Collection

इस मामले ने तब यू-टर्न लिया जब सुशांत के पिता केके सिंह ने बिहार की राजधानी पटना के राजीवनगर थाने में रिया चक्रवर्ती व कुछ अन्य लोगों के खिलाफ बेटे को आत्महत्या के लिए साजिश के तहत उकसाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दिया. इसी एफआईआर के आधार पर बिहार पुलिस की एक टीम जांच करने मुंबई पहुंच गई. मुंबई व पटना पुलिस की तनातनी उस समय जगजाहिर हो गई जब पटना के सिटी एसपी व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विनय तिवारी जांच को बेहतर दिशा देने के उद्देश्य से मुंबई पहुंचे लेकिन वहां पहुंचते ही मुंबई बृहननगरपालिका (बीएमसी) ने उन्हें क्वारंटीन कर दिया.

आइपीएस अधिकारी को क्वारंटीन करते ही आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला तेज हो गया. बिहार व मुंबई पुलिस भी खुलकर आमने-सामने आ गई. मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कहना पड़ गया कि मुंबई में हमारे अधिकारियों के साथ ठीक नहीं हो रहा. लगे हाथ शिवसेना के नेता संजय राउत ने भी बिहार सरकार को नसीहत दे डाली. बिहार विधानमंडल के एकदिवसीय मानसून सत्र में भी सुशांत की आत्महत्या का मामला गूंजता रहा.

परिवार जांच से संतुष्ट नहीं

दरअसल, सुशांत के घरवालों, करीबियों व उन्हें जानने वालों को उनकी खुदकुशी के दिन यानि 14 जून से ही कुछ अटपटा लग रहा था. सुशांत के पिता ने भी कहा था कि उन्हें बेटे के साथ कुछ अनहोनी की आशंका थी और इस संबंध में उन्होंने मुंबई पुलिस को फरवरी में ही सूचना दी थी. हाल में वायरल हुए एक वीडियो में भी वे कह रहे हैं, "उनके बेटे की जान को खतरा था और उन्होंने इसकी सूचना मुंबई पुलिस को दी थी लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया. सुशांत की मौत के बाद भी मुंबई पुलिस यथोचित तरीके से जांच नहीं कर रही थी. इसके बाद ही मैं बिहार सरकार के मंत्री संजय झा और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिला. इसके बाद ही पटना में एफआईआर दर्ज किया जा सका. मुंबई पुलिस उनके द्वारा दी जा रही सूचनाओं को दबाए बैठी है और अब जब बिहार पुलिस इसकी जांच कर रही है तो उसे भी रोक रही है. आखिर मुंबई पुलिस क्यों नहीं जांच करने दे रही."
सुशांत के पिता केके सिंह ही नहीं, बिहार सरकार को भी मुंबई पुलिस का रवैया समझ में नहीं आ रहा. बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय कहते हैं, "मुंबई पुलिस सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण में रिया चक्रवर्ती की भाषा बोल रही है. बिहार पुलिस की टीम जब पहले से वहां थी तो उन्हें उसी समय रोकना चाहिए था. जांच में आ रहे व्यवधान के बावजूद हमने कुछ नहीं कहा लेकिन अब तो हद कर दी. हमारे आइपीएस अधिकारी को ही क्वारंटीन कर दिया."

डीजीपी पांडेय कहते हैं, "मैंने स्वयं महाराष्ट्र के डीजीपी व मुंबई पुलिस कमिश्नर को कई बार फोन किया, मैसेज भी भेजा. लेकिन न फोन रिसीव किया और न ही मैसेज का जवाब दिया. वहां गई हमारी टीम को मुंबई पुलिस कुछ देने को राजी नहीं चाहे वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट हो या एफएसएल की रिपोर्ट. बिहार के पुलिस प्रमुख कहते हैं कि महाराष्ट्र पुलिस जितनी भी जुगत लगा ले, हम सचाई सामने लाकर ही रहेंगे. उनका कहना है, "पांच अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आने के बाद हम अपनी रणनीति तय करेंगे."

अधिकार क्षेत्र का मामला

रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना में दर्ज मामले को मुंबई स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत के बहनोई व फरीदाबाद (हरियाणा) के पुलिस आयुक्त आइपीएस अफसर ओपी सिंह जांच को लगातार प्रभावित कर रहे हैं. इसी मामले की सुनवाई पांच अगस्त को होनी है. हालांकि डीजीपी के निर्देश पर पटना के आईजी संजय सिंह ने बीएमसी को पत्र लिखकर बिहार के आइपीएस अफसर को होम क्वारंटीन किए जाने के संबंध में आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा है कि गृह मंत्रालय द्वारा क्वारंटीन के संदर्भ में जारी दिशा-निर्देशों की अनुचित व्याख्या कर आइपीएस अधिकारी विनय तिवारी को क्वारंटीन किया गया है. यह देश के संघीय ढांचे पर प्रहार और जांच में अवरोध पैदा करने की कोशिश है.

बिहार पुलिस को असहयोग पर मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह सिंह ने कहते हैं, "सहयोग नहीं करने का कोई सवाल ही नहीं है. हम जांच कर रहे हैं कि कानूनन यह बिहार पुलिस के क्षेत्राधिकार में है या नहीं और अगर ऐसा है तो उन्हें यह साबित करना चाहिए." महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि बिहार पुलिस को जांच का अधिकार नहीं है. इसलिए इस मामले से जुड़े कोई भी कागजात बिहार पुलिस को नहीं सौंपे जाएंगे. वैसे अबतक की जानकारी के अनुसार मुंबई पुलिस इस मामले में यूडी केस दर्ज कर कार्रवाई कर रही है जो अमूमन ऐसे मामलों में किया जाता है.

मुंबई पुलिस का दावा

मामले में मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में परमवीर सिंह ने कहा, "सुशांत का परिवार पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रहा." उन्होंने कहा है कि मुंबई पुलिस प्रोफेशनल तरीके से सही दिशा में चल रही है. मुंबई में रहने वाली सुशांत की एक बहन को बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया जा रहा है लेकिन वे सहयोग नहीं कर रहीं. सुशांत के खाते से पैसा निकालने की जांच चल रही है. रिया के खाते में पैसा जाने का कोई सबूत नहीं मिला है. सुशांत के खाते में करीब 18 करोड़ रुपये आए थे जिनमें से साढ़े चार करोड़ रुपये खाते में हैं. सुशांत के सीए का बयान भी दर्ज किया गया है. इससे जुड़े सभी पक्षों की जांच की जा रही है. अभी तक 56 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. 16 जून को सुशांत के परिवारवालों का बयान दर्ज किया गया था और उस वक्त तक किसी को कोई शक नहीं था. सभी के बयान हमारे पास मौजूद है." 

बिहार पुलिस को सुशांत प्रकरण की जांच का अधिकार है या नहीं इस पर पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता शेखर सिंह कहते हैं, "निर्भया मामले के बाद 0 (जीरो) एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान आया था. इसके लिए ज्यूरिसडिक्शन कहीं आड़े नहीं आता है. लेकिन केस दर्ज करने के बाद उस एफआईआर को संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप देना होता है जहां का वह मामला है. सुशांत सिंह राजपूत के इस मामले में भी गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 06.02.2014 को जारी एडवायजरी के अनुसार पटना के राजीव नगर थाने में जीरो एफआईआर ही दर्ज हुआ. इसे बिहार पुलिस को मुंबई पुलिस के संबंधित थाने को सौंप देना चाहिए था. किंतु भारतीय दंड संहिता की धारा 156(2) के अनुसार उस थाने की पुलिस जांच कर सकती है जहां जीरो एफआईआर दर्ज किया गया है. इसी वजह से बिहार पुलिस इस मामले की जांच कर सकती है और उस पर कहीं प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता है. धारा 156 के सब सेक्शन 2 के तहत वह प्रोटेक्टेड है."

जांच पर सियासत 

हालांकि इस मामले को लेकर सियासत ने भी अपनी राह पकड़ ली. सोमवार को बिहार विधानसभा के एकदिवसीय सत्र में इस कांड की सीबीआई जांच की मांग उठी. सत्ता पक्ष व विरोधी दल इस मुद्दे पर एक दिखे. सुशांत के चचेरे भाई व भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा सुशांत की हत्या कर उसे आत्महत्या का रूप दे दिया गया. पूरे देश में इसकी सीबीआई जांच की मांग की जा रही है. पटना में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मुंबई पहुंची बिहार पुलिस को जांच से रोका जा रहा है. यहां के आइपीएस अफसर को क्वारंटीन कर दिया गया. पूरी स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री को इस मामले को सीबीआई को सौंपने की अनुशंसा कर देनी चाहिए. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा राजद तो पहली पार्टी है जो सीबीआई जांच कराने की बात कह रही है.

कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने सीबीआई जांच के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कराने की मांग कर डाली. सदन के बाहर भी इस मुद्दे पर राजनीति गर्म रही. जनअधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद राकेश रंजन यादव उर्फ पप्पू यादव ने तो यहां तक कह दिया कि रिया का संबंध अंडरवर्ल्ड से है. उन्होंने कहा, वे पहले दिन से सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री को पत्र लिखा लेकिन उनलोगों ने ध्यान नहीं दिया. इसी तरह सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि जिस अधिकारी को इसकी जांच सौंपी गई है वह खुद ही दागी है. इसकी जांच तत्काल सीबीआई करे.

सीबीआई जांच की मांग

राजनीति अपनी राह चलती रही लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रहे कि अगर सुशांत के पिता सीबीआई जांच की मांग करते है तो राज्य सरकार इसके लिए अनुशंसा कर देगी. अपने वादे पर कायम रहते हुए नीतीश कुमार ने मंगलवार को सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी, जब सुशांत के पिता केके सिंह ने बिहार के डीजीपी से कहा कि मुंबई पुलिस लापरवाही कर रही है. उन्हें भरोसा नहीं है. उनके बेटे के आत्महत्या की जांच सीबीआई से कराई जाए. इसके बाद नीतीश सरकार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.

सुशांत आत्महत्या प्रकरण की सीबीआई जांच होगी या नहीं, यह तो केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा लेकिन इतना तो तय है कि इस मामले में सच सामने आना चाहिए. अगर सुशांत के पिता व परिजनों को किसी तरह का अंदेशा है तो उसकी जांच पूरी मुस्तैदी से होनी चाहिए. बिहार पुलिस को यदि अति सक्रियता दिखाने से परहेज करना चाहिए तो महाराष्ट्र सरकार को भी संयम बरतते हुए इस मामले का सच सामने लाना चाहिए ताकि कहीं किसी को कोई मलाल न रह जाए. अब ये मामला ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है जहां पुलिस को अपनी छवि की भी चिंता करनी चाहिए.

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