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सूडान के बंटवारे पर जनमत संग्रह

९ जनवरी २०११

50 साल के खूनखराबे और जबरदस्त हिंसा के बाद दक्षिणी सूडान में रहने वाले लोगों को फैसला कर लेना है कि वे अफ्रीका के सबसे बड़े देश का हिस्सा बने रहना चाहते हैं या फिर अपना अलग देश बनाना चाहते हैं.

तस्वीर: AP

रविवार से शुरू होने वाला जनमत संग्रह पूरे हफ्ते भर चलेगा और इस दौरान लोग अलग राष्ट्र के बनने या न बनने पर अपना फैसला देंगे. अगर लोगों ने अलग राष्ट्र बनाने का फैसला किया, तो वह दुनिया का 193वां देश बनेगा.

दक्षिणी सूडान की राजधानी जुबा में लोगों का मजमा लगा हुआ है और वे चाहते हैं कि दशकों से चला आ रहा खूनखराबा अब खत्म हो. हॉलीवुड स्टार जॉर्ज क्लूनी जाने माने लोगों के साथ वहां पहुंचे हुए हैं. इनमें जॉन केरी, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर भी हैं.

लेकिन वोटिंग से ठीक पहले उत्तर दक्षिण सीमा पर तेल उत्पादक दो जिलों में कबीलायी हथियारबंदों और चरमपंथियों में मुठभेड़ की खबरें हैं. इस इलाके ने 1983 से 2005 के बीच जबरदस्त गृह युद्ध देखा है.

दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति सलवा कीर ने चुनाव से ठीक पहले कहा है कि उत्तरी हिस्से के साथ शांति से रहना ही विकल्प है. उन्होंने कहा, "हमारे सामने कुछ ही घंटे बचे हैं, जब हम अपने जीवन का सबसे बड़ा फैसला लेने वाले हैं. हम जंग में नहीं लौटेंगे. दोनों हिस्से शांति से रहेंगे." वह जब भाषण दे रहे थे, तो डेमोक्रैट जॉन केरी भी वहां मौजूद थे. कीर ने कहा कि यह किसी चीज का अंतिम अध्याय नहीं है, बल्कि नए अध्याय की शुरुआत है.

तस्वीर: AP

अमेरिकी दूत ने हरसंभव कोशिश की है कि जनमत संग्रह शांति से और नीयत समय पर हो. सूडान में अमेरिका के राजदूत स्कॉट ग्रेशन ने इस इलाके का 24 बार दौरा किया है. मूल रूप से अफ्रीका से रिश्ता रखने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी चाहते हैं कि इलाके में शांति आए. उनका कहना है कि पिछली बार जब उत्तर और दक्षिण में झगड़ा हुआ तो 20 लाख लोगों की जान गई. ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए.

सूडान 1956 तक ब्रिटेन का उपनिवेश था. लेकिन आजादी के बाद से ही वह दो हिस्सों में बंटा रहा. उत्तर का हिस्सा मुख्य रूप से मुसलमान आबादी है, जबकि दक्षिण में ईसाई हैं. यहां धर्म, जाति, नैतिक मूल्यों और संसाधनों को लेकर झगड़ा होता है. सूडान में भारी मात्रा में तेल पाया जाता है और यह भी फसाद की वजह है.

सूडान के राष्ट्रपति उमर अल बशीर ने कहा है कि अगर जनमत संग्रह का नतीजा पारदर्शी और साफ होता है, तो वह इसे मानने को तैयार हैं. बशीर सैनिक कमांडर रह चुके हैं, जिनकी अगुवाई में उत्तर सूडान ने 10 साल तक दक्षिण के साथ संघर्ष किया है. लेकिन 2005 में दोनों हिस्सों में शांति समझौता हो गया.

उमर अल बशीर पर नरसंहार और युद्ध अपराध के मामले चल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध अदालत को उनकी तलाश है. लेकिन इसके बाद भी संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को बशीर की सराहना की.

जनमत संग्रह का फैसला मामूली बहुमत से होगा लेकिन शांति समझौते के मुताबिक वोटिंग में कम से कम 40 लाख लोगों की हिस्सेदारी जरूरी है, तभी इसे वैध माना जाएगा. मतपत्र अंग्रेजी और अरबी में छपे हैं. लेकिन यहां की 80 फीसदी जनता निरक्षर है, जो गृह युद्ध में फंस कर रह गई थी.

अगर दक्षिण सूडान अलग राष्ट्र बनता है, तो यह दुनिया के सबसे गरीब राष्ट्रों में एक होगा और इसे ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मदद के भरोसे रहना होगा.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

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