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सूप से भाग्य बनाती जोनिया की अनूठी कहानी

१९ मार्च २०११

रसोई और जायका...ये शब्द सुनकर घर के किचन में कड़छी चलाती महिलाओं की याद आती है. लेकिन जर्मनी में 43 साल की जोनिया रिका ने इन यादों को पन्नों में उकेर दिया है. उन्होंने एक किताब लिखी औऱ वह स्टार बन गईं.

तस्वीर: Kunstmann

जोनिया की किताब बताती है कि कैसे स्वादिष्ट सूप बनाया जाए. छह महीने के भीतर 15,000 किताबें हाथों हाथ बिक गईं. जोनिया को नई पहचान मिली. अब जर्मनी के टीवी शोज में उन्हें बुलाया जा रहा है. वह कहती हैं, "मेरे हिसाब से सूप एक जीवित प्रोडक्ट है. अगर आप एक शिनित्जल तैयार करेंगे तो वह हमेशा वही रहेगा. लेकिन सूप की खासियत यह है कि उसके एक हजार तरीके हो सकते हैं. हर मौसम में आप अलग अलग तरह के सूप का मजा ले सकते हैं. चाहे वह मीट वाला हो या शाकाहारी. आप सूप को ठंडा या गरम, दोनों तरह से पी सकते हैं और ये हमेशा सेहत के लिए अच्छा ही होता है."

तस्वीर: picture-alliance / OKAPIA KG, Germany

मजेदार सूप, लज्जतदार नाम

जोनिया रिका कहती हैं कि सूप बनाने का उनका तरीका बेहद आसान है, हर कोई ऐसा कर सकता है. मछली, मीट और सब्जियों के अलावा वे अपने सूपों में फल और चीज़ भी मिलाती हैं. सूपों के नाम भी उनकी कल्पनाओं पर आधारित हैं. उदाहरण के लिए....किसी को वह ऊर्जादायक सूप कहती हैं तो किसी को शांतिमयी. और किसी को गर्माहट वाला सूप कहती हैं.

कैसे शुरू हुआ सफर

जोनिया रिका पेशे से पत्रकार थीं, लेकिन खाना बनाने का प्रेम बचपन से उनकी मन में उबलता था. 2006 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने शौक और मन की सुनी. म्यूनिख में रहने वाली जोनिया रिका को नौकरी छोड़ते समय आर्थिक असुरक्षा की भी चिंता थी. लेकिन अब उनकी हंसी कहती है, "खाने को लेकर मैं जो भी नए प्रयोग करती थी उनका जायका लेने के लिए मैं अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाती थी. शुरू में मैंने 25 वर्गमीटर की दुकान किराये पर ली. सुबह दुकान खोलते वक्त मुझे बहुत अच्छा लगता था. लेकिन दूसरी तरफ डर भी सताता था. मैं इस पेशे में बिल्कुल नई थी. मुझे आगे बढ़ने का कोई तरीका नहीं पता था. मैं बस कोशिशें करती गई और रास्ता बनता चला गया."

और फिर सफलता

इस बीच जोनिया रिका और उनकी रसोई चर्चित होती चली गई. हर दिन वह सुबह सूप ऑफ द डे तैयार करती हैं. यानी हर हफ्ते पांच अलग अलग सूप तैयार किए जाते हैं. वह कहती हैं कि अच्छा खाना हाथ का कमाल है. वह ताजा फल, सब्जियां, जूस, बूटियां और अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं.

यही वजह है कि दोपहर होते ही उनकी दुकान खाने के शौकीनों से खचाखच भर जाती है. उनके एक ग्राहक बताते हैं, "सूप बहुत ही अनोखे हैं. उनका स्वाद मेरी नानी के हाथ के बनाए सूप जैसा है." एक महिला बताती हैं, "सूप बहुत ही ताजा होते हैं. उनमें कई तरह के विकल्प होते हैं. इसीलिए मुझे यह अच्छे लगते हैं."

जर्मन टीवी चैनलों में कुकिंग शो बेहद लोकप्रिय हैं. खाने का प्रेम लोगों में ऐसा उमड़ा हैं कि 2010 में सबसे ज्यादा किताबें कुकिंग ही बिकी. इस माहौल के बीच जोनिया रिका अपनी सफलता को एक परीकथा की तरह देखती हैं. वह कहती हैं, "सफलता के बाद भी मेरी रोजमर्रा की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया है. मैं अब भी हर दिन काम पर जाती हूं. मैं इस सफलता को एक बड़ा तोहफा मानती हूं और शुक्रगुजार भी हूं कि मुझे यह सम्मान मिला. शायद मैंने इसे पूरी श्रद्धा के साथ किया, इसीलिए लोगों को भी यह पसंद आया."

सूप से लक

जोनिया से कई लोग कहते हैं कि एक अच्छा सूप बनाने में कई घंटे लगते हैं, आपको कई तैयारियां करनी पड़ती हैं. लेकिन इस धारणा से जोनिया दुखी हैं. वह कहती हैं कि लोग खाने की अहमियत को भूल रहे हैं. उनके मुताबिक परिवार के साथ एक अच्छे माहौल में खाना खाने से कई तरह के फायदे होते हैं. वह कहती हैं, "दुर्भाग्य है कि भाग दौड़ की जिंदगी में लोगों के पास यह सोचने और करने की फुर्सत नहीं हैं. शायद यही वजह है कि जोनिया ने अपनी किताब का नाम रखा...जूपेन ग्लूक...यानी सूप से लक."

रिपोर्टः प्रिया एसेलबॉर्न

संपादनः वी कुमार

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