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सूरज की लपटों से बचाएगी सैटेलाइट रिंग

४ अगस्त २०१४

अंतरिक्ष में भी मौसम खराब होता है. कुछ दशकों पहले तक हमें इसकी भनक भी नहीं लगती थी लेकिन अब इंटरनेट और फोन लाइनों पर इसका असर दिखने लगा है. वैज्ञानिक अंतरिक्ष के मौसम को भांपने के लिए खास उपकरण बना रहे हैं.

तस्वीर: AP/NASA

सोलर फ्लेयर यानी सूरज से निकलने वाली गर्म लपटें. कुछ सालों से वैज्ञानिक इनकी चेतावनी दे रहे हैं. सौर लपटों से मोबाइल और इंटरनेट कनेक्शन पर फर्क पड़ता है और कभी कभी तो बिजली भी चली जाती है. अब वैज्ञानिकों ने एक खास सैटेलाइट रिंग बनाने का प्रस्ताव रखा है. इसके मुताबिक 16 उपग्रह सूरज के चक्कर काटेंगे और वहां के मौसम के बारे में जानकारी देंगे.

फिजिक्स वर्ल्ड नाम की पत्रिका में लिख रहे वैज्ञानिक ऐशली डेल का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में 500 करोड़ डॉलर लगेंगे और सैटेलाइट सिर्फ ब्रेड रखने वाले बक्से जितना बड़ा होगा. ब्रिटेन की वैज्ञानिक डेल सोलरमैक्स नाम के विशेष आयोग का हिस्सा हैं. इस संगठन में 40 इंजीनियर हैं जो श्ट्रासबुर्ग के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष के मौसम पर शोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि अगर सौर लपटों के लिए चेतावनी का सिस्टम बनाया जाए तो सूरज के चुंबकीय क्षेत्र पर बेहतर नजर रखी जा सकेगी. दूसरी ओर अगर सौर लपटों की सूचना मिली तो धरती पर पावर स्टेशनों को समय से बंद किया जा सकेगा ताकि इनको नुकसान न हो.

तस्वीर: Reuters

सोलर स्टॉर्म या फ्लेयर की जानकारी 1859 से ही है. उस वक्त ब्रिटिश खगोलविज्ञानी रिचर्ड कैरिंगटन ने एक सौर तूफान की खोज की. माना जाता है कि उस वक्त सूरज से जो ऊर्जा निकली, वह हिरोशिमा के 10 अरब एटम बमों के फटने के बराबर थी. उस वक्त इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि धरती पर इतनी टेलिग्राफ लाइनें नहीं थीं. लेकिन आज स्थिति अलग हो सकती है क्योंकि लंबे वक्त तक बिजली न होने से काफी दिक्कत आ सकती है. शहरों का यातायात आजकल बिजली पर निर्भर है और अस्पतालों का काम भी पूरी तरह बंद हो सकता है. हो सकता है कि परमाणु रिएक्टरों में बिजली उड़ जाए और रिएक्टरों में परमाणु ईंधन वाली छड़ें पिघलने से दूसरी आपदा शुरू हो जाए.

सैटेलाइट से ली गई जानकारी से पता चला है कि अंतरिक्ष में कई सौर तूफान आते हैं. अमेरिकी खगोलशास्त्रियों ने हाल ही में बताया कि 23 जुलाई 2012 को आया सौर तूफान 1859 जितना खतरनाक हो सकता था लेकिन धरती में इसका कम असर दिखाई दिया.

ऐशली डेल कहती हैं, "एक नस्ल की हैसियत से हमें कभी भी अपने करीबी तारे के मौसम से नुकसान नहीं हुआ लेकिन हमें मनुष्य होने के नाते अपनी तकनीकी काबलियत का इस्तेमाल करना चाहिए और अपनी रक्षा करनी चाहिए."

एमजी/एएम (डीपीए)

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