सूरज से खुद की मरम्मत करने वाला प्लास्टिक
२२ अप्रैल २०११![colorful plastic cutlery in a wooden crate isolated over white © Sander #27984934](https://static.dw.com/image/6416879_800.webp)
घरेलू इस्तेमाल में आने वाली थैलियों और टायर ट्यूब से लेकर महंगे चिकित्सकीय उपकरणों में इस जादुई पदार्थ का इस्तेमाल किया जा सकता है.
पोलीमर एक बड़ा अणु या मैक्रोमॉलिक्यूल है. यह एक जैसी संरचना वाली ईकाइयों से बना है जो परमाणु के इलेक्ट्रॉन साझा करने के कारण बने बॉन्ड्स से बनते हैं.
रबर प्लास्टिक से बेहतर
रबर प्लास्टिक आजकल कई उत्पादों में इस्तेमाल होते हैं. लेकिन यह आसानी से स्क्रैच, कट और पंचर का शिकार हो जाते हैं. टूटने या क्रैक पड़ने के कारण कई उत्पादों को ऐसे ही फेंक दिया जाता है. ये सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा होते हैं. इसे ठीक करने का एक ही तरीका है कि टूटे या खराब हिस्सों को गर्म किया जाए और फिर उस पर पैच लगा दिया जाए.
अमेरिका के ओहायो में केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफ वेडर के नेतृत्व में कुछ वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च की. उन्होंने अपने आप ठीक हो जाने वाला रबर जैसा पदार्थ खोज निकाला. इसमें एक धातु होती है जो पराबैंगनी किरणों को सोख लेती हैं और इसे हीट में बदल देती है. स्टुअर्ट रोवन ने बताया, "हमने नया प्लास्टिक मटीरियल विकसित किया है जिसमें बहुत छोटी छोटी चेन्स हैं जो एक दूसरे से चिपकी रहती हैं और मिल कर एक बड़ी चेन बनाती हैं. लेकिन हमने इस अणु में एक नई क्षमता डिजाइन की है कि जब वह सूरज की रोशनी में आते हैं तो अलग हो जाते हैं. और अलग होने के कारण ये अणु दरार में या छेद में चले जाते हैं जिससे प्लास्टिक अपने आप ठीक हो जाता है."
सूरज का फायदा ज्यादा
नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में देखा जा सकता है कि सूरज की किरणों से ठीक हो जाने के फायदे गर्म करने से ज्यादा हैं. रोशनी से ठीक होने में टूटे या दरार वाले हिस्से को एकदम सही जगह पर ठीक किया जा सकता है. साथ ही ऐसे पदार्थों को भी ठीक किया जा सकता है जिनमें सामान भरा हुआ है या दबाव है.
अपने आप ठीक होने वाले इस स्मार्ट मटीरियल का उपयोग ट्रांसपोर्टेशन, निर्माण, पैकेजिंग और कई अन्य जगह पर हो सकता है. इलिनॉय यूनिवर्सिटी के नैन्सी स्कॉट और जेफरी मूरे कहते हैं, "अपने आप ठीक होने वाला पोलीमर खराब होने के बाद फेंक देने वाली प्रणाली के लिए एक अच्छा विकल्प है. एक ऐसे पोलीमर के विकास की दिशा में यह पहला कदम है जो लंबे समय तक चल सके."
लेकिन साथ ही उन्होंने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि इसके औद्योगिक उपयोग में अभी कई मुश्किलें हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः वी कुमार