1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सू ची को मिला इंटरनेट

२१ जनवरी २०११

म्यांमार में लोकतंत्र का झंडा बुलंद करने के लिए संघर्ष कर रही सू ची को आखिरकार इंटरनेट कनेक्शन मिल गया है. दशकों से नजरबंद रही सू ची को दो महीने पहले ही आजादी मिली है. अब इंटरनेट के जरिए वो दुनिया से सीधे जुड़ सकेंगी.

तस्वीर: AP

सू ची के सुरक्षा प्रमुख विन हेन्टिन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया,"इंटरनेट का कनेक्शन मिलने के बाद सू ची बेहद खुश हैं हालांकि उनकी तबियत ठीक नहीं होने के कारण वह इसका अभी इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं. उन्हें खांसी और कुछ दूसरी परेशानियां हैं." इंटरनेट की दुनिया में सू ची के लिए बहुत सम्मान है और लोग उनके बारे में बात करने और उनके समर्थन में खड़े होने में गौरव महसूस करते हैं पर यह कम ही लोगों को पता होगा कि सू ची के लिए इंटरनेट बिल्कुल नई चीज है जिससे उनका सामना कभी नहीं हुआ. नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाली सू ची ने इंटरनेट कभी इस्तेमाल नहीं किया.

तस्वीर: AP

पिछले सात साल तो लगातार उन्होंने कैद में बिताए इस दौरान उनका बाहरी दुनिया से संपर्क बिल्कुल कट गया. इंटरनेट की तो बात ही छोड़िए उनके पास फोन और संपर्क के दूसरे माध्यमों की भी सुविधा नहीं थी. सू ची ने इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर और फेसबुक के जरिए युवाओं से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है.

रिहा होने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने एक निजी कंपनी के पास इंटरनेट कनेक्शन के लिए आवेदन भेजा. कंपनी ने उनका आवेदन सरकारी टेलिकॉम कंपनी के पास भेज दिया जिस पर देश के सैनिक शासन का नियंत्रण है. म्यांमार के सभी नागरिकों को इंटरनेट कनेक्शन लेने के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है. यही वजह है कि देश में इंटरनेट की भी कालाबाजारी हो रही है.

सू ची ने आधिकारिक रूप से अपने नाम से इंटरनेट का कनेक्शन मांगा है क्योंकि वह ईमेल सेवा का इस्तेमाल करना चाहती हैं. मीडिया संगठनों ने म्यांमार में इंटरनेट इस्तेमाल करने के नियमों को दुनिया में सबसे सख्त बताया है. 2009 में 455 में से सिर्फ एक आदमी इंटरनेट इस्तेमाल करता था. इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले कुछ लोगों का ये भी मानना है कि म्यांमार के सैनिक शासन ने जान बूझ कर देश में इंटरनेट के विस्तार को धीमा रखा है. दो दशकों में पहली बार हुए चुनाव के लिहाज से ऐसा किया गया. कुछ लोग ये भी मानते हैं कि उनके ऑनलाइन संपर्कों पर सरकार की निगरानी रहती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें