सोवियत काल के टैबू को तोड़ने की कोशिश में आज अधिक से अधिक संख्या में रूसी लोग सेक्स कोचिंग के लिए जाने लगे हैं. कोच भी सिखा रहे हैं कि कैसे अपनी यौन इच्छाओं को खुल कर जाहिर किया जाए.
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इरोटिक सेक्स टॉएज से घिरे कमरों में अकसर लोग मॉस्को में किसी इमारत के बेसमेंट में क्लास अटेंड करते हैं. दीवार पर व्हाइटबोर्ड के पास खड़ा सेक्स कोच उन्हें सिखाता है कि कैसे वे अपनी यौन इच्छाओं को खुल कर जाहिर करें. ऐसा ही एक कोर्स करने वाली एक "छात्रा", जो तलाकशुदा है और जिसकी उम्र करीब 45 साल है, बताती है, "अब तो मैं जानना ही चाहती हूं कि महिला की संतुष्टि क्या होती है. यौन सुख क्या होता है."
इस बारे में सार्वजनिक रूप से ना तो सोवियत काल में बात होती थी और ना ही हाल के सालों में जब सरकारें समाज में एक से एक दकियानूसी मूल्यों को बढ़ावा देने में लगी रही. ऐसे में सेक्स पर खुल कर बात करना तो दूर, उसका जिक्र भी मुश्किल से ही होता था. मगर आज कई टीवी कार्यक्रमों और महिला पत्रिकाओं में लोगों को उनकी शर्मिंदगी से बाहर निकल कर यौन सुखों के बारे में बात करने, सेक्सोलॉजिस्ट के साथ ट्रेनिंग कोर्स करने, साइकोलॉजिस्ट और तथाकथित सेक्स कोचों से परामर्श लेने को प्रेरित किया जा रहा है.
ऐसी ही एक साइकोलॉजिस्ट एवं सेक्सोलॉजिस्ट विक्टोरिया एकाटेरीना फ्रांक कहती हैं, "उनके कोर्स का लक्ष्य लोगों को सेक्स की मुद्राएं सिखाना नहीं बल्कि महिलाओं के दिमाग में गहरी बसी हुई सोच को बदलना है." वे बताती हैं कि कई महिलाएं तो "सेक्स के बारे में बात करने में इतनी शर्मिंदगी महसूस करती हैं कि उन्हें सांसें मुश्किल से आती हैं.
सोवियत संघ को टूटे हुए करीब तीन दशक हो गए हैं लेकिन रूसी समाज अब भी सेक्स के टैबू को लेकर उसी युग में जी रहा है. उस काल में इस विचार को बढ़ावा दिया गया कि "सेक्स केवल प्रजनन के लिए होना चाहिए." समाजशास्त्री येलेना कोचकीना बताती हैं, "इसका अर्थ ये हुआ कि यौनिकता को लेकर ना तो परिवार में और ना ही स्कूल में कोई बात होती थी."
भले ही सार्वजनिक रूप से बात ना हो लेकिन समाजशास्त्री दिमित्रि रोगोजीन कहते हैं कि सोवियत काल में लोग "शायद कुछ ज्यादा ही सेक्स कर रहे थे." रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर रोगोजीन बताते हैं सोवियत काल में खूब गर्भपात करवाए जाते क्योंकि तब इसकी गोलियां या कंडोम उपलब्ध नहीं थे. 1990 के शुरुआती दशक तक यहां गर्भपात की दर दुनिया में सबसे ऊंची हो गई थी. फिर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही वहां सेक्स इंडस्ट्री अचानक फलनी फूलनी शुरु हो गई. सिनेमा और वीडियो कैसेट में कामुक फिल्में बिकने लगीं, उत्तेजक तस्वीरों वाली पत्रिकाएं और प्रचार पॉपुलर प्रेस का हिस्सा बन गए.
सेक्स कोच येलेना रिदकिना बताती हैं कि इस शुरुआती दिलचस्पी के धमाके के बाद लोगों को धीरे धीरे इससे बोरियत होने लगी. वे बताती हैं, "पिछले 10 सालों से देश की राजनीति में भी यौनिकता पर खुल बात करने के बजाए पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को ही बढ़ावा देने पर जोर रहा है." हालांकि अब वे सेक्स से जुड़े मुद्दों को लेकर एक "असल मांग" उठती देख रही हैं. शायद यही वजह है कि रूस में सेक्स के बारे में ब्लॉगिंग करने का ट्रेंड भी जोर पकड़ चुका है. तीन साल पहले ऐसा ही एक ब्लॉग शुरु करने वाली तात्याना दिमित्रियेवा बताती हैं तब ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां इस विषय पर गंभीरता से बात हो सके. वे कहती हैं कि "मैं इसे बदलना चाहती थी, इसके इर्दगिर्द संवाद शुरु करना चाहती थी."
आरपी/एए (एएफपी)
सेक्स में दिक्कत है तो आजमाएं ये 5 उपाय
फिल्म शुभ मंगल सावधान में पहली बार पुरुषों में मिलने वाली आम बीमारी इरेक्टाइल डिसफंक्शन के बारे में बात की गयी. अपनी जीवनशैली में छोटे से बदलाव कर इस बीमारी से निपटा जा सकता है.
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क्या है इरेक्टाइल डिसफंक्शन
यह एक ऐसी समस्या है जिसमें लिंग संभोग के लिए पर्याप्त उत्तेजित नहीं हो पाता. ऐसा कई कारणों से हो सकता है. कभी कभार तो किसी दवा के दुष्प्रभाव से भी ऐसा हो सकता है. इसके अलावा कई तरह की बीमारियों जैसे वस्क्यूलर, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों, मधुमेह या प्रोस्टेट संबंधी उपचार या सर्जरी से यह समस्या पैदा हो सकती है.
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किसे होती है यह बीमारी
तकरीबन 75 प्रतिशत मर्दों में यह जटिल कारणों से होता है. एक अध्ययन के अनुसार 40 से 70 साल के आयु वर्ग में करीब 60 प्रतिशत पुरुषों में कुछ हद तक यह समस्या पाई जाती है. अगर आप इस समय इस समस्या से ग्रस्त हैं या फिर इस स्थिति से बचना चाहते हैं तो सेक्स स्पेशलिस्ट डॉ. अनूप धीर के सुझाए पांच उपायों को अपनाएं.
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नियमित रूप से घूमें
अगर आप दिन भर दफ्तर में और शाम में घर जा कर टीवी के आगे बैठ जाते हैं, तो अब नियमित रूप से घूमना शुरू करें. हार्वर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक रोजाना 30 मिनट की वॉक से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 41 प्रतिशत कम हो जाता है. औसत व्यायाम करने से भी मोटापे के शिकार मर्दों में यह समस्या कम हो जाती है.
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सही आहार लें
मैसाच्युसेट्स मेल एजिंग स्टडी के अनुसार, प्राकृतिक आहार जैसे फल, सब्जियों, अनाज और मछली जैसे पौष्टिक आहार और कुछ मात्रा में रेड मीट और रिफाइंड ग्रेंस से इस जोखिम को कम किया जा सकता है. विटामिन बी12 और विटामिन डी की भारी कमी से भी यह समस्या पैदा हो जाती है. रोजाना मल्टीविटामिन और फोर्टिफाइड फूड से उम्रदराज लोगों में भी यह समस्या दूर हो सकती है.
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वस्क्यूलर हैल्थ पर ध्यान दें
हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल और उच्च ट्रिगलीसेराइड्स हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं और इससे हृदयाघात और मस्तिष्काघात भी हो सकता है. इसका नतीजा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के रूप में भी सामने आता है. अपने डॉक्टर से मिलें और जानें कि कहीं कोई वस्क्यूलर प्रणाली तो प्रभावित नहीं है ताकि आपका दिल, दिमाग ठीक रहे और सेक्स स्वास्थ्य बना रहे.
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अपने आकार का ध्यान रखें
दुबला पतला रहने का प्रयास करें. कमर की मोटाई अगर 40 इंच तक पहुंच जाए तो ऐसे पुरुषों में 32 इंच कमर वाले मर्दों के मुकाबले इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है. लिहाजा वजन नियंत्रण में रखें. मोटापे से वस्क्यूलर विकार और मधुमेह का जोखिम बढ़ता है और ये इरेक्टाइल डिसफंक्शन के प्रमुख कारण हैं. अतिरिक्त फैट पुरुषों के हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं और यह भी समस्या की जड़ हो सकता है.
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मांसपेशियों का व्यायाम करें
मतलब डोले बढ़ाने से नहीं है. कूल्हे मजबूत रहेंगे तो लिंग में सख्ती लाने में मदद मिलती है और रक्त प्रवाह उसी ओर बना रहता है. एक ब्रिटिश परीक्षण के दौरान तीन महीने की रोजाना कमर और कुल्हों की एक्सरसाइज के साथ बायोफीडबैक और जीवनशैली में परिवर्तनों जैसे धूम्रपान छोड़ना, वजन कम रखना, शराब का सेवन सीमित करना आदि से बहुत अच्छे नतीजे मिलते हैं.