सेक्स टॉयज, बेवफाई जैसे मुद्दों पर खुलकर बोल रही यह युवती
२२ जून २०१८
सेक्स टॉयज, लिंग का साइज या फिर बेवफाई, ये ऐसे विषय हैं जिन पर सिर्फ फुसफुसाहट होती है. कंबोडिया में इस वर्जना के खिलाफ "ए डोज ऑफ कैथ" नाम का एक वीडियो ब्लॉग शुरू हुआ है. इसे आलोचना और समर्थन, दोनों मिल रहा है.
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यह ब्लॉग सेक्स और महिलाओं के उन मुद्दों पर बात करता है जिस पर आम तौर पर लोग चर्चा नहीं करना चाहते. इसे वीडियो ब्लॉग को 23 वर्षीय कैथरीन हैरी चलाती है. कंबोडिया जैसे देश में जहां #MeToo कैंपेन के बारे में लोग जागरूक नहीं है, वहां पिछले दिनों फेसबुक वीडियो के जरिए कैथरीन ने एक शो किया जिसमें सेक्स एजुकेशन, महिलाओं के स्वास्थ्य, लिंगानुपात आदि पर चर्चा की गई.
कैथरीन के प्रोफेसर रेमंड लिओस का कहना है कि नई पीढ़ी तकनीकी रूप से जागरूक है और अपने विचारों को बेबाकी से सामने लाती है. ´अ डोज ऑफ कैथ´ को देश में लाखों लोग सुन चुके हैं जिसमें 30 साल से कम के स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले युवाओं की संख्या 1.5 करोड़ है. फेसबुक पर कैथ के 2 लाख से ज्यादा फॉलोअर है.
सिलिकॉन की गुड़िया के प्यार में पड़े जापानी
जापान में कुछ कंपनियां इतनी असली सी लगने वाली सेक्स डॉल बनाती हैं कि कई जापानी पुरुष अब केवल उन्हें खरीद कर इस्तेमाल ही नहीं कर रहे बल्कि उनके प्यार में पड़ रहे हैं. देखिए सिलिकॉन डॉल के साथ जीने मरने की कसमें खाते लोग.
तस्वीर: Getty Images/B.Mehri
टोक्यो में रहने वाले 45 साल के मासायुकी ओजाकी पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं. अपनी शादी में खुशी ना पाने के बाद उन्होंने अपनी रोमांटिक चाहतों को पूरा करने के लिए एक अनोखा रास्ता चुना. वे एक सिलिकॉन की बनी सेक्स डॉल को घर लाये, जिसे अब अपने जीवन का सबसे बड़ा प्यार बताते हैं.
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उनका प्यार यानि मायु, कद काठी में एक जीती जागती महिला के बराबर ही है. मायु के साथ ओजाकी वैसे ही एक ही छत के नीचे रहते हैं जैसे कोई आम व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता है. लेकिन अंतर यह है कि इसी छत के नीचे उनकी असल पत्नी और एक टीनएज बेटी भी रहती है.
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जाहिर है कि एक परिवार में ऐसे हालात आम तौर पर नहीं बनते और ओजाकी का उनकी पत्नी से इसको लेकर खूब झगड़ा भी हुआ. लेकिन बाद में पत्नी ने स्थिति से समझौता कर लिया. ओजाकी का कहना है कि बच्ची के जन्म के बाद से उनके और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं रहे और वे बेहद अकेला महसूस करने लगे थे.
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ओजाकी मानते हैं कि उन्हें इंसानों के साथ संबंध बहुत जटिल लगते हैं, खासकर महिलाओं के साथ. उनका कहना है कि उनकी मायु दूसरी महिलाओं की तरह नहीं है और शाम को काम से वापस आने पर इत्मीनान से उन्हें सुनती है. ओजाकी जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी उसी के साथ दफनाया जाना चाहते हैं.
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ऐसे विशेष टॉय बेचने वाली एक दुकान में मायु को देखते ही ओजाकी उसके प्यार में पड़ गये. आज अपने साथ सिलिकॉन डॉल को घर में रखने के अलावा वे उसे लेकर बाहर घूमने जाते हैं, उसके लिए नये नये कपड़े और गहने खरीदते हैं और खुद उसे सजाते संवारते भी हैं. जापान में ओजाकी जैसे पुरुषों की तादाद बढ़ रही है.
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जापान में हर साल ऐसी 2,000 से भी अधिक डॉल्स बिक रही हैं. इनकी कीमत 6,000 डॉलर के आसपास है और यूजर उनका सिर, बाल, उंगलियां और अन्य अंग भी हिला डुला सकता है. डॉल मेकर कंपनी ओरिएंट इंडस्ट्री के प्रमुख हिडियो सूचिया बताते हैं कि 1970 के दशक की मामूली डॉल से सेक्स डॉल की तकनीक बहुत आगे आ चुकी है.
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आजकल की सिलिकॉन डॉल देखने और छूने में असली सी लगती हैं और ज्यादा से ज्यादा पुरुष इन्हें खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे इन डॉल्स से संवाद भी स्थापित कर सकते हैं. ऐसी गुड़िया अब तक विकलांग और विधुर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हुआ करती थी लेकिन अब इनका दायरा बढ़ा है. आरपी/एमजे(एएफपी)
हाल के एक एपिसोड में 19वीं सदी की एक कविता की आलोचना हुई जिसमें महिलाओं को जोर से न हंसने की हिदायत दी गई थी. इस वीडियो को 3.5 लाख लोगों ने देखा. पिछले दिनों महिलाओं की वर्जिनिटी को लेकर वीडियो शेयर किया क्योंकि कंबोडिया में महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे शादी से पहले सेक्स न करे. इस मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए कैथ कहती हैं कि महिलाएं चलती-फिरती सेक्स का कोई सामान नहीं हैं जिसे सिर्फ शादी के बाद ही इस्तेमाल करना है. इस पोस्ट को 20 लाख से ज्यादा बार देखा गया. कमेंट बॉक्स में किसी ने कैथ के हिम्मत की तारीफ की तो किसी ने लिखा कि महिलाओं को इस्तेमाल करो और नया खरीदो.
एक रेस्तरां जहां खाना खाओ और सेक्स का आनंद पाओ
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लगातार मिलती धमकियां
यह वीडियो ब्लॉग चलाना कैथरीन के लिए आसान नहीं है. वह कहती हैं कि उन्हें कई युवा पॉर्न फोटो या खेमर की संस्कृति को बर्बाद करने वाला कह चुके हैं. इस साल फोर्ब्स ने कैथरीन को "30 अंडर 30" की लिस्ट में बेहतरीन लीडर और एशिया का उभरता उद्यमी माना है. 10 साल पहले परिवार से अलग कर दी गईं कैथरीन अब कंबोडियन राइटर्स और पत्रकारों के नक्शेकदम पर चलकर ब्लॉग और सोशल मीडिया के जरिए अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. सोशल मीडिया पर वह लोगों की आलोचनाओं का करारा जवाब भी देती हैं.
बतौर कैथरीन, "मैंने वीडियो के जरिए बात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि लोग सेक्स जैसे मुद्दों पर आमने-सामने बात नहीं करना चाहते. इसमें शादी से पहले शारीरिक संबंध, रिलेशनशिप में रहते हुए पॉर्न का देखना, सर्वाइकल कैंसर और सेक्सुअल हमले जैसे मुद्दे शामिल हैं." युवती का कहना है कि इन मामलों पर बातचीत शुरू करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यूएन स्टडी के मुताबिक हर 5 में से 1 कंबोडियाई पुरुष ने रेप की बात कबूली है.
यूरोप की ये बदनसीब सेक्स वर्कर
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यौन हिंसा पर पीड़िता को ही दोषी मानता है समाज
हाल ही में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने युवाओं से जुड़ने के लिए फेसबुक का सहारा लिया. वीडियो में वह महिलाओं को सलाह देते दिखे कि उन्हें कैसे रहना चाहिए और एड्स से बचाव के लिए सिर्फ एक साथी के साथ संबंध बनाने चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका यह फेसबुक कार्यक्रम युवाओं की भलाई के लिए है. इस कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री की आलोचना हुई थी.
शादी के बंधन में बंधने की आजादी
30 जून 2017 को जर्मन संसद में समलैंगिक शादियों को वैधता देने का प्रस्ताव पास हुआ. दुनिया के करीब 20 देशों में अब तक सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता मिल चुकी है, जिनमें से ज्यादातर यूरोप में ही हैं, देखिए.
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नया जर्मनी
जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने पर सहमति बन गयी. 2017 के अंत तक इस कानून के लागू हो जाने की उम्मीद है.
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अगुआ नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 में नीदरलैंड्स दुनिया का पहला देश बना, जहां गे और लेस्बियन जो़ड़ों को सिविल सेरेमनी में बंधने का अधिकार मिल गया. इसके बाद 12 अन्य यूरोपीय देशों में भी इसे मान्यता मिली.
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यूरोपीय देशों में प्रसार
नीदरलैंड्स के बाद यूरोप के अन्य देशों बेल्जियम, ब्रिटेन (उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर), डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जेमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन में भी सिविल सेरेमनी की अनुमति मिली.
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सिविल पार्टनरशिप
कुछ यूरोपीय देशों में समलैंगिक जोड़ों को सिविल पार्टनरशिप में रहने की व्यवस्था है. ये देश हैं ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, हंगरी, इटली, माल्टा और स्विट्जरलैंड. 2014 में एस्टोनिया भी इस सूची में जुड़ा.
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पूर्वी यूरोप
बुल्गारिया, लात्विया, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमेनिया और स्लोवाकिया जैसे पूर्वी यूरोप के देशों में समलैंगिक लोगों को शादी करने का हक मिला हुआ है. दिसंबर 2015 में स्लोवेनिया ने जनमत संग्रह में गे मैरिज के खिलाफ फैसला लिया.
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बच्चे गोद लेना
पश्चिमी यूरोप के 15 देशों में समलैंगिक जोड़े बच्चों को गोद ले सकते हैं, चाहे वे शादीशुदा हों या सिविल पार्टनरशिप में रह रहे हों. ऐसे देश हैं बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्पेन और स्वीडन. इसके अलावा फिनलैंड, जर्मनी और स्लोवेनिया में समलैंगिकों को अपने पार्टनर के बच्चों को गोद लेने का अधिकार देता है.
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उत्तरी अमेरिका में अगुआ
यहां सबसे पहले कनाडा ने समलैंगिक शादी और बच्चा गोद लेने को जून 2005 में ही मान्यता दे दी थी. अमेरिका में 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गे मैरिज को देशव्यापी वैधता मिली.
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लैटिन अमेरिका में
पहला देश रहा मेक्सिको, जहां 2007 में सिविल यूनियन और 2008 में पूर्ण विवाह की अनुमति मिल गयी. अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया और उरुग्वे में भी समलैंगिक शादियां कानूनी रूप से वैध हैं.
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अफ्रीका का हाल
अफ्रीकी महाद्वीप के 30 देशों में समलैंगिकता पर ही प्रतिबंध है. केवल दक्षिण अफ्रीका में ही समलैंगिक लोगों को शादी करने और बच्चे गोद लेने का अधिकार है. ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)
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कैथ ने #MeToo कैंपेन के तहत अपने कड़वे अनुभव भी शेयर किए. हालांकि उनका मानना है कि कंबोडिया में ऐसा करने पर पीड़िता को ही दोष दिया जाता है और कई बार हिंसा तक हो जाती है. अगर कोई महिला अपने साथ हुए यौन शोषण या हिंसा के बारे में बताए तो सबसे पहले परिवार वाले ही साथ छोड़ देते हैं.
कंबोडिया में हर क्षेत्र पर पुरुषों का कब्जा
विडंबना यह है कि कंबोडिया में 65 फीसदी कारोबार को महिलाएं चला रही हैं जबकि देश की सत्ता और वित्तीय संस्थानों पर पुरुषों का कब्जा है. पन्नासास्ट्रा यूनिवर्सिटी से मास मीडिया की पढ़ाई कर रही कैथरीन ने 2016 में फेसबुक ब्लॉग शुरू किया था और अब यह उनका फुल टाइम जॉब है. छात्रा का कहना है कि वह बिल्कुल नहीं चाहती कf लोग उनकी हर बात का समर्थन करे, लेकिन वह रूढ़िवादी समाज से सवाल जरूर पूछे.
बच्चों को यौन दुर्व्यवहार से बचाएं
बाल दिवस यानि 14 नवंबर 2012 को भारत में लागू हुए पॉक्सो (POCSO) कानून में बच्चों से यौन अपराधों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान है. बच्चों को पहले से सिखाएं कुछ ऐसी बातें जिनसे वे खुद समझ पाएं कि उनके साथ कुछ गलत हुआ.
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सबसे ज्यादा शिकार बच्चे
भारत में हुए कई सर्वे में पाया गया कि देश के आधे से भी अधिक बच्चे कभी ना कभी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से केवल 3 फीसदी मामलों में ही शिकायत दर्ज की जाती है.
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बच्चों को समझाएं
बच्चों को समझाना चाहिए कि उनका शरीर केवल उनका है. कोई भी उन्हें या उनके किसी प्राइवेट हिस्से को बिना उनकी मर्जी के नहीं छू सकता. उन्हें बताएं कि अगर किसी पारिवारिक दोस्त या रिश्तेदार का चूमना या छूना उन्हें अजीब लगे तो वे फौरन ना बोलें.
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बच्चों से बात करें
बच्चों को नहलाते समय या कपड़े पहनाते समय अगर वे उत्सुकतावश बड़ों से शरीर के अंगों और जननांगों के बारे में सवाल करें तो उन्हें सीधे सीधे बताएं. अंगों के सही नाम बताएं और ये भी कि वे उनके प्राइवेट पार्ट हैं.
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क्या सही, क्या गलत
ना तो बच्चों को और लोगों के सामने नंगा करें और ना ही खुद उनके सामने निर्वस्त्र हों. बच्चों को नहलाते या शौच करवाते समय हल्की फुल्की बातचीत के दौरान ही ऐसी कई बातें सिखाई जा सकती हैं जो उन्हें जानना जरूरी है.
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बात करें
बच्चों के साथ बातचीत के रास्ते हमेशा खुले रखें. उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे आपसे कुछ भी कह सकते हैं और उनकी कही बातों को आप गंभीरता से ही लेंगे. मां बाप से संकोच हो तो बच्चे अपनी उलझन किसी से नहीं कह पाएंगे.
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चुप्पी में छिपा है राज
बच्चों का काफी समय परिवार से दूर स्कूलों में बीतता है. बच्चों से स्कूल की सारी बातें सुनें. अगर बच्चा बेवजह गुमसुम रहने लगा हो, या पढ़ाई से अचानक मन उचट गया हो, तो एक बार इस संभावना की ओर भी ध्यान दें कि कहीं उसे ऐसी कोई बात अंदर ही अंदर सता तो नहीं रही है.
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सही गलत की सीख दें
बच्चों को बताएं कि ना तो उन्हें अपने प्राइवेट पार्ट्स किसी को दिखाने चाहिए और ना ही किसी और को उनके साथ ऐसा करने का हक है. अगर कोई बड़ा उनके सामने नग्नता या किसी और तरह की अश्लीलता करता है तो बच्चे माता पिता को बताएं.