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सेक्स पर सोच बदलनी होगीः शर्लिन

८ जून २०१३

प्लेबॉय पत्रिका के लिए न्यूड फोटोशूट ने माडल और अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा को बदल दिया है. कामसूत्र में मुख्य भूमिका हासिल करने के अलावा इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है. लेकिन उनको लोगों के नजरिए से शिकायत है.

तस्वीर: Getty Images

शर्लिन चोपड़ा मानती हैं कि लोगों को सेक्स के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा. यह कोई अश्लील चीज नहीं, बल्कि प्यार का उत्सव है. उनकी फिल्म कामसूत्र थ्री डी का ट्रेलर हाल में कान फिल्मोत्सव में रिलीज किया गया है. एक रियलिटी शो के प्रमोशन के सिलसिले में कोलकाता पहुंची शर्लिन ने सवालों के बेबाक जवाब दिए. पेश हैं डीडब्ल्यू से उनकी बातचीत के मुख्य अंशः

प्लेबॉय के लिए न्यूड फोटो शूट और कामसूत्र जैसी फिल्मों ने आप पर सेक्स की देवी का ठप्पा लगा दिया है. आपको कैसा महसूस होता है?

देखिए, सेक्स के प्रति लोगों को अपना नजरिया बदलना होगा. इसे अश्लीलता के रूप में देखना सही नहीं है. यह तो प्यार का उत्सव है. मैं खुद को सेक्स की देवी नहीं, बल्कि एक ऐसी महात्वकांक्षी युवती के तौर पर देखती हूं जो जीवन में कामयाबी हासिल करना चाहती है.

आपकी इमेज सेक्सी अभिनेत्री की रही है. लेकिन अब तमाम बड़ी अभिनेत्रियां भी बोल्ड दृश्यों से परहेज नहीं कर रहीं. क्या इससे आप असुरिक्षत महसूस करती हैं ?

तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

असुरक्षा जैसी कोई बात मेरे मन में कभी आई ही नहीं. सबकी अपनी-अपनी जगह है. मैं अपनी ताकत जानती हूं और मुझे यह भी पता है कि फिल्मोद्योग में दूसरी कोई युवती शर्लिन नहीं हो सकती.

कामसूत्र कैसी फिल्म है?

यह वात्स्यायन की कामसूत्र पर आधारित है.लेकिन यह मीरा नायर वाली कामसूत्र का सीक्वल नहीं है. यह फिल्म 21वीं सदी के दर्शकों को ध्यान में रख कर बनाई जा रही है. मैं इसमें एक ऐसी भारतीय राजकुमारी का किरदार निभा रही हूं जिसे अपने पति की तलाश है. फिल्म की शूटिंग केरल के अलावा राजस्थान और अमेरिका में होगी.

आपकी नजर में सेक्स क्या है?

सेक्स दरअसल, सच्चे प्यार का ही विस्तार है. अगर ऐसा नहीं है तो फिर वह सेक्स अर्थहीन या बेमतलब है. पहले मुझे भी कामसूत्र का असली मतलब मालूम नहीं था. लेकिन इस फिल्म को हाथ में लेने के बाद मुझे समझ में आया कि यह सिर्फ सेक्स का मैनुअल नहीं है. प्यार, परिवार और जीवन के आधारभूत सिद्धांतों के साथ इसका गहरा संबंध है.

तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

लेकिन अब तक के सफर को ध्यान में रखते हुए क्या मुख्यधारा की सिनेमा में दर्शक आपको स्वीकार करेंगे?

पता नहीं लोग कपड़ों की लंबाई से चरित्र को क्यों जोड़ने लगते हैं. लोगों को लगता है कि पूरे कपड़े पहन कर ही कोई लड़की चरित्रवान रह सकती है. कपड़े कम होने का मतलब चरित्रहीन होना नहीं है. मेरा अपना एक नजरिया है. हो सकता है कुछ लोगों को वह पसंद नहीं आए. लेकिन अब लोगों के लिए मैं अपने जीने का तरीका तो नहीं बदल सकती.

शादी के बारे में क्या ख्याल है?

मुझे शादी नामक संस्था बेहद पवित्र लगती है और इसमें मुझे पूरा भरोसा है. इसलिए मुझे अरेंज मैरिज पर कोई आपत्ति नहीं है. यह जरूर देखना होगा कि हम दोनों की आदतें मिलती-जुलती हों और दोनों एक-दूसरे को उसके गुण-दोष के साथ स्वीकार कर सकें.मां मेरे लिए लड़का तलाश रही हैं. मुझे नहीं लगता कि मैं कभी अपने लिए किसी को तलाश सकूंगी. मैंने उनसे कह दिया है कि मेरे जीवन में कोई मर्द नहीं है. असली मर्द वह है जो पहनावे में मीन-मेख निकालने की बजाय हर तरह की औरत की इज्जत करना जानता हो.

आगे क्या करना चाहती हैं?

इसी साल काफी धूमधाम से प्लेबॉय पत्रिका का फोटशूट बाजार में आएगा. मैं ऋतुपर्णो घोष के साथ काम करना चाहती थी. उनकी फिल्म रेनकोट ने मेरे दिल को गहराई तक छुआ था. उनकी असामयिक मौत से मुझे काफी सदमा लगा है. इसी तरह यश चोपड़ा के साथ काम करने की भी बेहद इच्छा थी लेकिन वह भी दुनिया से विदा हो गए.मेरी इच्छा है कि इन दोनों की तरह फिल्म उद्योग में कई ऐसे लोग हों जो सिनेमा के व्यापारिक पहलू से ऊपर उठ कर अपनी कलात्मकता को अभिव्यक्त करने के लिए फिल्में बनाएं.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः निखिल रंजन

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