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समाज

सेक्स वर्करों से बलात्कार क्या बलात्कार नहीं

५ नवम्बर २०१९

पुलिस और अभियोजक सेक्स वर्करों की बलात्कार की शिकायत पर कार्रवाई करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते. ये आरोप ब्रिटेन की सेक्स वर्करों ने लगाया है.

Großbritannien - Modern Slavery Act: Menschenhandel Europa
तस्वीर: picture-alliance/PA Wire/D. Lipinski

1995 के बलात्कार से जुड़े ऐतिहासिक मुकदमे के 25 साल बीत जाने के बाद भी सेक्स वर्करों को बलात्कार और उन पर होने वाले दूसरे हमलों में न्याय के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. ब्रिटेन में सेक्स वर्करों के स्वयंसेवी संगठन इंग्लिश कलेक्टिव ऑफ प्रॉस्टिट्यूट्स का कहना है कि उन्हें अकसर अधिकारियों के अविश्वास और खुद को ही सजा मिलने की आशंका से जूझना पड़ता है. ईसीपी की सदस्य निकी एडम्स कहती हैं, "एक समय लग रहा था कि चीजें बेहतर हो रही हैं लेकिन अब लग रहा है कि सब कुछ पीछे जा रहा है."

ईसीपी का आकलन है कि करीब दो तिहाई सेक्स वर्करों को किसी ना किसी तरह की हिंसा झेलनी पड़ती है. हाल ही में उनकी समस्याओं को लेकर लंदन में एक प्ले भी हुआ. निकी एडम्स बताती हैं, "नो बैड वीमेन: रेप ऑन ट्रायल, ने दिखाया है कि सेक्स वर्करों को कोर्ट में किस तरह से हमले झेलने पड़ते हैं और कैसे बलात्कारियों की बजाय उन्हीं का ट्रायल शुरू हो जाता है. वो अकसर यह मान लेते हैं कि अगर आपने सेक्स के लिए सहमति दे दी है तो आपको बलात्कार से इनकार का कोई हक नहीं है."

पुलिस सेक्स वर्करों की सुरक्षा को बेहतर करने और उनमें भरोसा बनाने की कोशिश कर रही है. नेशनल पुलिस चीफ्स काउंसिल का कहना है कि हाल ही में उसने ऐसे अधिकारियों को ऐसे दिशानिर्देश जारी किए हैं कि जब कोई सेक्स वर्कर कोई रिपोर्ट करे तो उन्हें अपराधी मान कर उसकी छानबीन नहीं करनी है. 

तस्वीर: picture-alliance/dpa/K.-J. Hildenbrand

ब्रिटेन के क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस का कहना है कि वह पर्याप्त सबूत होने पर ही कार्रवाई कर सकता है और उसने अपने कर्मचारियों को इस बात के लिए प्रशिक्षित किया है कि वे सहमति की बात को समझें और अकसर सेक्स वर्करों के बारे में बनी हुई छवि और मिथकों को तोड़ें. प्रॉसिक्यूशन सर्विस के एक प्रवक्ता ने कहा, "सेक्स वर्करों के अधिकार सहमति को लेकर वैसे ही हैं जैसे किसी और के, जिस लेन देन के लिए ग्राहकों के साथ मोलभाव करती हैं वह सहमति से किए गए कामों के लिए होता है बलात्कार या फिर यौन उत्पीड़न के लिए नहीं."

सितंबर में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि इंग्लैंड और वेल्स में साल 2018-19 में बलात्कार के मामलों में सबसे कम लोगों को दोषी ठहराया गया जबकि पुलिस में दर्ज हुई शिकायतों में इस दौरान काफी इजाफा हुआ था.

1995 के मशहूर मुकदमे का ब्यौरा "नो बैड वीमेन" में भी दिखाया गया. यह दो सेक्स वर्करों के बारे में हैं जिनसे एक ही आदमी अलग अलग समय पर चाकू की नोक पर बलात्कार करता है. बाद में सेक्स वर्कर शिकायत करती हैं लेकिन मुकदमे खारिज कर दिए जाते हैं. ईसीपी का कहना है कि यह मुकदमा पूर्वाग्रह के कारण खारिज किया गया था.

इस फैसले से नाराज इसीपी और वीमेन अगेंस्ट रेप ने एक कानूनी टीम जुटाई और उन महिलाओं की मदद की जिसके बाद बलात्कारी को गिरफ्तार किया गया और उसे जेल हुई. एडम्स ने इस मुकदमे में अहम भूमिका निभाई थी.

नाटक का ज्यादातर हिस्सा मुकदमे की प्रतिलिपियों पर ही आधारित था. जिसमें यह दिखाया गया कि पीड़ित सेक्स वर्करों के चरित्र को लेकर कैसे सवाल किए गए. कैसे उनकी कहानियों पर अविश्वास जताया गया.

एडम्स का कहना है कि सेक्स वर्करों से लेकर ड्रग का इस्तेमाल करने वाली और यहां तक कि मानसिक असंतुलन वाली महिलाओं को "अच्छी पीड़िता" नहीं माना जाता. ऐसे में उन पर हमला करने वालों को सजा दिलाने में उन्हें जंग लड़नी पड़ती है. एडम्स ने कहा, "बहुत से अलग अलग कारण है जिनके कारण कोर्ट में महिलाओं को खारिज कर दिया जाता है. हम एक बात पूछना चाहते हैं कि आखिर इतना सम्मानित कौन है जिसे संरक्षण मिलेगा, सच में? क्योंकि फिर तो इसमें बहुत कम ही लोग आएंगे."

करीब दर्जनों सेक्स वर्करों से सबूत इकट्ठा करने के बाद गृह मंत्रालय के लिए बनाई गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि "बहुत सी" औरतों ने काम के दौरान शारीरिक या फिर यौन हिंसा झेली है लेकिन ये लोग अकसर पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं.

इसमें एक चिंता देह व्यापार के लिए बनाए नियमों को लेकर भी है. ब्रिटेन में देह व्यापार अपराध नहीं है लेकिन सेक्स वर्करों को ग्राहक पटाने या फिर साथ मिल कर देहव्यापार के अड्डे चलाने के लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है. उन्हें डर लगता है कि अगर वो पुलिस में शिकायत करेंगी तो उन पर ही मुकदमा चल जाएगा. एडम्स कहती हैं, "हर कोई यह मानता है कि सेक्स वर्करों के खिलाफ बहुत हिंसा होती है. पुरुष यह जानते हैं कि अगर वो सेक्स वर्करों पर हमला करेंगे तो ज्यादा उम्मीद इसी बात की है कि वो छूट जाएंगे."

एनआर/एमजे(रॉयटर्स)

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