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समाज

सेक्स, शराब और तस्करी का अड्डा बने होटल

२७ अक्टूबर २०१८

सेक्स, ड्रग्स और रॉक एन रोल. होटल उद्योग के लिए ये कोई नई बात नहीं हैं. लेकिन तेज संगीत, इस्तेमाल किए हुए कंडोम और शराब, कुछ और भी संकेत देते हैं. जानिए क्या हो रहा है आलीशान होटलों में.

Verheiratet mit einer Puppe Japan
तस्वीर: Getty Images/B.Mehri

क्या होटल आधुनिक गुलामी और मानव तस्करी का अड्डा बन रहे हैं? ऐन वक्त पर होने वाली बुकिंग, कैश में भुगतान करना और बिना किसी सामान के होटल में ठहरने के लिए आना. ये सब बातें होटलों की अंधेरी दुनिया की तरफ इशारा करती हैं.

होटल उद्योग में तीन तरह से आधुनिक गुलामी दिखाई देती है. पहला, होटल के कमरे किसी के यौन शोषण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं. दूसरा, होटलों में जो सामान इस्तेमाल हो रहा है, वह बाल मजदूरी या फिर जबरन मजदूरी के जरिए बना हुआ हो सकता है. तीसरा, ठेकेदारों के जरिए रखे जाने वाले कर्मचारी शोषण और धौंस के माहौल में काम करने को मजबूर होते हैं.

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ब्रिटेन में होटल उद्योग सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले सेक्टरों में शामिल है. लगभग 32 लाख लोग इसमें काम करते हैं और इसका सालाना टर्न ओवर 172 अरब डॉलर है. जानकारों को उम्मीद है कि 2021 तक इस उद्योग में और पांच लाख नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन इस उद्योग का दूसरा पहलू बेहद काला है.

यूरोपीय संघ की तरफ से कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि हर साल यूरोप के होटलों में 93 हजार लोगों का यौन शोषण होता है. इसके तार इंसानी तस्करों से भी जाकर जुड़ते हैं.

2017 में ऐसे गैंग के एक सदस्य को चार साल कैद की सजा सुनाई गई जो 19 एशियाई महिलाओं को तस्करी के जरिए ब्रिटेन लाया. इन महिलाओं को सेक्स के लिए अलग अलग शहरों के होटलों में बेचा गया. पुलिस और अभियोजकों का कहना है कि इस मामले में 'एक संगठित अभियान' के तहत होटल उद्योग को इस्तेमाल किया गया.

मानव तस्करी पर लगाम कसने के लिए 2016 में 'स्टॉप स्लेवरी होटल इंडस्ट्री नेटवर्क' नाम से एक संस्था बनाई गई. इसका गठन शिवा फाउंडेशन किया जो मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाला समूह है और इसकी स्थापना शिवा होटल्स ने की. इस नेटवर्क का मकसद होटल उद्योग में पारदर्शी तरीके से लोगों की नियुक्तियों को बढ़ावा देना, शोषण को रोकना और सेक्स तस्करी से निपटना है.

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ब्रिटेन के होटलों में काम करने वाले कुक से लेकर क्लीनर तक हजारों कर्मचारियों को सिखाया जा रहा है कि कैसे वे संभावित मानव तस्करी के मामलों की पहचान करें. खासकर कमरे में जरूरत से ज्यादा शराब या किसी बच्चे की मौजूदगी गड़बड़ी का संकेत हो सकते हैं. एक क्लीनिंग सर्विस प्रोवाइडर कंपनी डब्ल्यूजीसी के प्रमुख मार्टिन बर्च कहते हैं कि छोटे हो या बड़े, लेकिन ऐसे होटलों की तादाद अब कम ही है जो यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके कर्मचारी शोषण से मुक्त हों. उनका कहना है, "आधुनिक गुलामी एक गर्म मुद्दा है लेकिन होटलों को इससे आगे जाना होगा." डब्ल्यूजीसी में लगभग पांच हजार कर्मचारी काम करते हैं.

होटल उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि होटल जानबूझ कर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं. ट्रेड यूनियनों, कंपनियों और धर्मार्थ संस्थाओं के एक समूह एथिकल ट्रेडिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर मैकएलेस्टर कहते हैं, "होटलों को कॉन्ट्रैक्ट के पीछे छुपना बंद करना होगा. उन्हें अपने कर्मचारियों के सीधे संपर्क में रहना चाहिए."

वह कहते हैं, "बुनियादी तौर पर यह सवाल राजनीतिक इच्छाशक्ति और धन का है, और कुछ मामलों में कानूनी जवाबदेही का भी."

एके/एनआर (थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन)

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