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समाज

महिला अधिकारियों को नहीं मिल रही स्थायी सेवा

चारु कार्तिकेय
२३ अगस्त २०२१

भारतीय सेना की कई महिला अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थायी कमिशन नहीं मिल पाया है. इन महिला अधिकारियों ने अब अपने संघर्ष को और आगे ले जाने का फैसला किया है.

Indien Frauen-Sicherheitspersonal
तस्वीर: IANS

भारतीय सेना में 28 महिला अधिकारी ऐसी हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद परमानेंट कमिशन यानी स्थायी सेवा नहीं दी गई. इन महिला अधिकारियों को सेना ने सेवा से मुक्त करने के आदेश भी दे दिए हैं, लेकिन इनमें से कुछ ने अब इस आदेश के खिलाफ सशस्त्र बल अधिकरण में जाने का फैसला लिया है.

क्या होता है स्थायी कमिशन

भारतीय सेना में स्थायी कमिशन का मतलब होता है सेवानिवृत्ति तक सेना में काम करना. इसके लिए पुणे स्थित नेशनल डिफेन्स अकैडमी, देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकैडमी या गया सहित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी में भर्ती होना आवश्यक होता है.

2020 तक महिलाएं अधिकतम 14 साल तक भारतीय सेना में सेवाएं दे सकती थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सेना को महिला अधिकारियों को भी स्थायी सेवा देने का आदेश दिया.

कश्मीर में तैनात असम राइफल रेजिमेंट की महिला सैनिकतस्वीर: imago images/Hindustan Times

हालांकि कई महिला अधिकारियों का कहना है कि अभी भी उन्हें सेना द्वारा स्थायी सेवा के लिए नहीं चुना जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना में करीब 43,000 अधिकारी हैं जिनमें से 1,653 महिलाएं हैं.

अदालत के आदेश का कितना पालन हुआ

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 615 महिला अधिकारियों को स्थायी सेवा देने पर विचार किया गया, लेकिन इनमें से 277 महिलाओं को चुना गया. अनुत्तीर्ण घोषित की गई महिलाओं ने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने सेना को फटकार लगाई. फटकार के बाद सेना ने 147 अतिरिक्त महिला अधिकारियों को स्थायी सेवा दे दी.

इस तरह 615 में से कुल 424 महिला अधिकारियों को स्थायी सेवा मिल गई. मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सेना को फिर से आदेश दिया कि उन सभी महिला अधिकारियों को स्थायी सेवा दी जाए जिन्होंने सेना के आंकलन में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं, मेडिकल कसौटी पर खरी उत्तरी हैं और जिन्हें अनुशासनिक और विजिलेंस मंजूरी भी मिल चुकी है.

भारतीय सेना में अभी भी महिलाओं को स्थायी सेवा के लिए लड़ना पड़ रहा हैतस्वीर: imago images/Hindustan Times

2021 में सेना ने 28 महिला अधिकारियों को स्थायी सेवा नहीं देने का फैसला किया था. जुलाई में इनको सेवा से मुक्त करने के आदेश भी जारी कर दिए गए, लेकिन इनमें से कई अधिकारियों ने इन आदेशों के खिलाफ सशस्त्र बल अधिकरण में जाने का फैसला किया है.

क्या कहना है महिला अधिकारियों का

कई मीडिया रिपोर्टों में बिना अपना नाम बताए हुए कई महिला अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें पहले पांच साल की और फिर 10 साल की सेवा पूरी होने के बाद अतिरिक्त सेवा के लिए भी चुना गया, लेकिन अब जाकर सेना कह रही है कि पहले पांच साल में उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें योग्य नहीं पाया गया है.

इन अधिकारियों का कहना है कि सेना ने अपने 'तुच्छ उद्देश्यों की पूर्ती के लिए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गलत अर्थ लगाया है'. इन महिला अधिकारियों ने यह भी बताया कि अगर मूल्यांकन गलत लगे तो हर अफसर को उसके खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन दिए जाते हैं, लेकिन इन महिला अधिकारियों को यह मौका नहीं दिया गया.

उन्हें नतीजे आने के 58 दिनों के अंदर सेना छोड़ देने के लिए कहा गया. सेना ने अभी तक इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

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