यूक्रेन युद्ध ने सबसे ज्यादा बढ़ाया यूरोप का सैन्य खर्च
२५ अप्रैल २०२३
दुनिया भर में सेना पर होने वाला खर्च यूक्रेन पर रूसी हमले के साल में एक और नई ऊंचाई को छू गया है. कई यूरोपीय देश रूस के कारण चिंता में हैं और अपना सैन्य खर्च बढ़ा रहे हैं.
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2022 में दुनिया भर में कुल 2.24 हजार अरब अमेरिकी डॉलर की रकम सेना पर खर्च हुई. महंगाई के कारण आया फर्क समायोजित करने के बाद यह एक साल पहले के आंकड़े से करीब 3.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी है. अगर महंगाई को इसमें शामिल ना किया जाये तो यह बढ़ोत्तरी करीब 6.5 फीसदी की होगी.
दुनिया भर में सेनाओं, हथियारों के निर्माण और खर्च पर नजर रखने वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट यानी सिपरी ने ये जानकारी दी है. सिपरी हर साल ये आंकड़ा जारी करती है. इससे दुनिया भर में रक्षा खर्चों के बारे में अहम जानकारी मिलती है.
यूरोप का सैन्य खर्च सबसे ज्यादा बढ़ा
बीते तीस सालों में पहली बार यूरोप में सेना पर खर्च में सबसे ज्यादा 13 फीसदी का इजाफा हुआ है. यह आंकड़ा महंगाई को शामिल करने के बाद का है. रूस और यूक्रेन में हथियारों पर खर्च बढ़ने के कारण ये नौबत आई है. सिपरी के मुताबिक यूक्रेन को सैन्य मदद और रूस की तरफ से खतरे की वजह से भी यूरोप के दूसरे में हथियारों पर बीते साल ज्यादा पैसे खर्च हुए. यूक्रेन का सैन्य खर्च पहले रूस की तुलना में महज 10 फीसदी था जो एक साल में ही बढ़ कर 50 फीसदी पर पहुंच गया है.
इस बीच दुनिया के बाकी देशों ने पिछले आठ सालों की तरह इस साल भी बीते साल की तुलना में सैन्य खर्च बढ़ाने का सिलसिला बनाये रखा है. सिपरी के रिसर्चर नान तियान का कहना है, "वैश्विक सैन्य खर्च में हाल के वर्षों में हो रहा लगातार इजाफा यह दिखा रहा है कि हम एक असुरक्षित दुनिया में जी रहे हैं."
अमेरिका अब भी सबसे आगे
सैन्य खर्चों में सबसे आगे अब भी अमेरिका सबसे आगे है. अमेरिका ने कुल मिला कर 877 अरब डॉलर की रकम खर्च की है इसमें यूक्रेन को सैन्य सहायता के रूप में 19.9 अरब डॉलर खर्च किये गये हैं. इस तरह से दुनिया भर में कुल सैन्य खर्च का 39 फीसदी केवल अमेरिका ने खर्च किया. तीन शीर्ष देशों अमेरिका, चीन और रूस ने कुल सैन्य खर्च में 56 फीसदी की हिस्सेदारी निभाई है.
अमेरिका के बाद चीन और रूस का नंबर आता है. रूस एक साल में पांच स्थानों की छलांग लगा कर तीसरे नंबर पर पहुंच गया है. रूस ने 9.2 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ कुल 86.4 अरब डॉलर की रकम खर्च की है. उधर यूक्रेन ने सैन्य खर्च में 640 फीसदी की बढ़ोत्तरी की और अब वह इस सूची में 11वें नंबर पर है.
नाटो के सदस्य देशों ने कुल मिला कर 2022 में 1,232 अरब डॉलर खर्च किये हैं. यह 2021 की तुलना में 0.9 फीसदी ज्यादा है. रूस को लेकर दुनिया के कई देशों में खतरा महसूस किया जा रहा है. भूतपूर्व ईस्टर्न ब्लॉक के कई देशों ने 2014 के बाद से अपना सैन्य खर्च दोगुने से भी ज्यादा कर दिया है. 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्राइमिया को अपने साथ मिला लिया था.
महंगाई को शामिल कर लें तो ये देश पहली बार 1989 सैन्य खर्च के आंकड़े के पार गये हैं. यह वो साल था जब शीतयुद्ध खत्म हुआ. मध्य और पश्चिमी यूरोप में ब्रिटेन ने सबसे ज्यादा 68.5 अरब डॉलर खर्च किये है. इनमें से करीब 2.5 अरब डॉलर यूक्रेन को आर्थिक सैन्य सहायता के रूप में दिये गये.
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चौथे नंबर पर भारत
भारत का सैन्य खर्च 2022 में 81.4 अरब डॉलर रहा और वह इस मामले में चौथे नंबर पर है. 2022 में सऊदी अरब सेना पर खर्च के मामले में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है. करीब 16 फीसदी का इजाफा करके उसने तकरीबन 75.0 अरब डॉलर की रकम खर्च की है. सऊदी अरब की सेना पर खर्च में 2018 के बाद पहली बार बढ़ोत्तरी हुई है.
जिन देशों ने खर्च घटाया है उनमें एक नाम नाइजीरिया का है. वहां 2022 में सैन्य खर्च 38 फीसदी घट कर 3.1 अरब डॉलर था. इससे पहले 2021 में नाइजीरिया ने सेना पर खर्च 56 फीसदी बढ़ाया था.
एनआर/वीके (डीपीए)
जर्मन सेना अलग से मिले 100 अरब की रकम से क्या खरीदेगी
कई दशकों से पुराने हथियार और साजो सामान से काम चलाने वाली जर्मन सेना को आधुनिक बनाने के लिए जर्मनी 100 अरब यूरो की रकम अलग से खर्च करने जा रहा है. आखिर इतनी बड़ी रकम से सेना के लिए क्या क्या खरीदा जाएगा.
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सबसे बड़ा हिस्सा वायु सेना को
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक 100 अरब में से तकरीबन 40 अरब रकम से ज्यादा की रकम वायु सेना पर खर्च होगी. जर्मन नौसेना के लिए 19.3 और थल सेना के लिए 16.6 अरब यूरो की रकम खर्च की जाएगी. बाकी रकम संयुक्त रूप से सेना के लिये नई तकनीकों के विकास पर खर्च होगी.
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लड़ाकू विमान
जर्मन वायु सेना के पास फिलहाल टोरनाडो लड़ाकू विमान है जो बहुत पुराना हो चुका है और कई विमान तो अब उड़ने के काबिल भी नहीं रहे. जर्मन सरकार अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने की इच्छा रखती है. इतना ही नहीं वायु सेना में नया यूरोफाइटर और टोरनाडो की जगह लेने के लिए एक और विमान बेड़ा भी तैयार होगा.
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एयर डिफेंस सिस्टम
जर्मनी इस्राएल से एक नया एयर डिफेंस सिस्टम एरो खरीदने की तैयारी में है. जर्मनी के पास पहले से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम है लेकिन यह कम ऊंचाई और दूरी की मिसाइलों के लिए है. एरो पृथ्वी से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर और लंबी दूरी तय कर के आने वाली मिसाइलों को रोकता है.
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अर्ली वार्निंग सिस्टम
जर्मनी एक अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने की भी तैयारी में है. यह वार्निंग सिस्टम अंतरिक्ष में रहते हुए काम करेगा और मिसाइलों से हमले की जानकारी मुहैया करायेगा जिससे कि समय रहते एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हमलावर मिसाइल को बेकार किया जा सके. एक ड्रोन डिफेंस सिस्टम भी विकसित करने की बात हो रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हथियारबंद ड्रोन
जर्मनी की संसद ने हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए 140 मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी है. इसके लिए करीब 15.26 करोड़ यूरो का करार होगा. हाल के महीनों तक जर्मन सेना को हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी लेकिन अब मिल गयी है.
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कमांड और कंट्रोल सिस्टम
सेना के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए जर्मन सेना 20.7 अरब यूरो की रकम खर्च कर रही है. इसमें एनक्रिप्टेड रेडियो, बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और कई दूसरी चीजें शामिल हैं. इससे पहले माली जैसे देशों में जर्मन सेना उधार के एनक्रिप्टेड रेडियो का इस्तेमाल करती थी ताकि संयुक्त अभियानों में समस्या ना हो.
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लड़ाकू जलपोत और पनडुब्बी
नौसेना के लिए जंगी जहाज, मिसाइल और पनडुब्बी भी जर्मन सेना की खरीदारी की लिस्ट में शामिल है. जर्मनी के-130 टाइप के पांच और लड़ाकू जलपोत खरीदेगा. ये जलपोत इसी तरह के पुराने जहाजों की जगह लेंगे. इसके साथ ही एफ-126 टाइप के दो और फ्रिगेट भी खरीदने के विकल्प पर भी विचार हो रहा है.
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समुद्री गश्ती विमान
जर्मन सेना को बोइंग के बनाये पी8ए विमान भी मिलेंगे जो समुद्र में गश्त के लिए इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा भारी हथियारों से लैस लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी सेना में शामिल होंगे. फिलहाल सेना एच145एम इस्तेमाल कर रही है जिन्हें भारी हथियारों से लैस करने के बाद इनमें भी हमलावर हेलीकॉप्टर की क्षमता आ जायेगी.
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वर्दी और हेलमेट
सरकार जर्मन सैनिकों के यूनिफॉर्म, हेलमेट और नाइट विजन जैसे उपकरणों पर करीब 2 अरब यूरो की रकम खर्च करेगी.
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मार्डर टैंक बदला जायेगा
थल सेना के लिए खरीदारी में मार्डर टैंक के दस्ते को बदलना भी शामिल है. इसके लिए नये टैंकों के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.