सीबीआई का दावा है कि उसने भारतीय सेना में एक बड़े भर्ती घोटाले का भंडाफोड़ किया है. एजेंसी ने 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के पांच अधिकारियों समेत सेना के कुल 17 अधिकारी शामिल हैं.
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सैन्य अधिकारियों के अलावा सीबीआई ने अलग अलग अधिकारियों के छह रिश्तेदारों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. सेना ने कहा है कि उसकी अपनी खुफिया एजेंसी पहले ही मामले की जांच कर चुकी है और अब चूंकि इसमें नागरिक भी शामिल पाए गए हैं और तफ्तीश के लिए कई एजेंसियों के बीच समन्वय की जरूरत होगी, इसीलिए जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया गया है.
सीबीआई ने सोमवार 15 मार्च को इस जांच के तहत पूरे देश में 30 अलग अलग ठिकानों पर छापे मारे. इनमें पंजाब में कपूरथला और बठिंडा, दिल्ली, हरियाणा में कैथल और पलवल, उत्तर प्रदेश में लखनऊ, बरेली और गोरखपुर, विशाखापत्तनम, जयपुर और असम में गुवाहाटी, जोरहाट और चिरंगांव में ठिकाने शामिल हैं. सीबीआई ने कहा है कि इन छापों में कई कागजात मिले हैं और इनका अध्ययन किया जा रहा है.
सीबीआई की एफआईआर ब्रिगेडियर (विजिलेंस) वीके पुरोहित की शिकायत पर आधारित हैं. उन्होंने कहा था कि 28 फरवरी 2021 को उन्हें जानकारी मिली थी कि सेना में भर्ती के लिए अस्थायी रूप से ठुकरा दिए गए उम्मीदवारों को दिल्ली के बेस अस्पताल में मेडिकल परीक्षा में पास कराने के लिए सेना के कई कर्मचारियों ने रिश्वत ली. सैन्य कर्मचारियों पर सेना के सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) के कई केंद्रों पर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं.
इस मामले में एक नायब सूबेदार पर आरोप है कि उसने एक हवलदार के बेटे का एसएसबी में चयन कराने के लिए उस हवलदार से पैसे लिए. एक लेफ्टिनेंट पर आरोप है कि उसने अपने चयन के लिए इसी नायब सूबेदार और एक लेफ्टिनेंट कर्नल को 10 लाख रुपये की रिश्वत दी. इस मामले को लेकर सरकार और सेना में उच्च पदों तक चिंता की लहर दौड़ गई है, जिसकी वजह से मामले की तह तक पहुंचने के लिए तुरंत कार्यवाई की जा रही है. सेना से सेवानिवृत्त अधिकारियों ने भी मामले पर आश्चर्य और खेद जाहिर किया है.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल उत्पल भट्टाचार्य ने डीडब्ल्यू से कहा कि सेना में इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं, लेकिन इसके बावजूद इस मामले को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि सेना भ्रष्टाचार से परे है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में और नतीजों तक पहुंचने से पहले जांच पूरी हो जाने का इंतजार करना चाहिए.
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
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कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
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टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
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व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
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बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
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हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
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शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.