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सेना में तालिबान की घुसपैठ

१७ अगस्त २०१२

अफगान तालिबान को ईद के मौके पर इंसानियत याद आ रही है. मुल्लाह उमर ने अपने लड़ाकों से आम नागरिकों को न मारने को कहा है. उमर के बयान में विदेशी सेनाओं के लिए चेतावनी भी छुपी है.

तस्वीर: dapd

यह आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी कि तालिबान ने अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों में भी घुसपैठ कर ली है. मुल्लाह उमर ने बयान जारी कर इसका दावा किया है, "बीते साल की योजना के मुताबिक मुजाहिद्दीन दुश्मनों के पाले में घुसपैठ कर चुके हैं. वे दुश्मन के ठिकानों, दफ्तरों और खुफिया तंत्र तक पहुंचने में सफल हुए है. अब वे आसानी से निर्णायक और सुनियोजित हमले कर सकते हैं."

हाल ही में पश्चिमी देशों की सेनाओं पर हुए हमलों को देखकर तालिबान का दावा सही भी लग रहा है. नाटो की अगुवाई वाली सेनाएं अब धीरे धीरे मान रही हैं कि उनके सैनिक भीतरघात की वजह से भी मारे जा रहे हैं. अब तक सेनाएं ये कहती थी कि अफगान पुलिस या फौज के साथ उनके व्यक्तिगत मतभेद हिंसक हो जाया करते थे. अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा मान रहे हैं कि हाल में हुए कुछ हमलों के पीछे तालिबान ही है. पनेटा के मुताबिक तालिबान खोयी जमीन वापस पाने में सक्षम नहीं है और ताजे हमलों के जरिए वह अफरातफरी फैलाना चाह रहा है.

हाल फिलहाल अफगानिस्तान में आतंकवादी हमलों में तेजी आई है. इसी हफ्ते अब तक 63 लोग मारे जा चुके हैं. आए दिन आम नागरिकों की मौतों से अब अफगान जनता झल्ला रही है. माना जा रहा है कि ईद से ठीक पहले जारी किए गए इस बयान के जरिए तालिबान अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है. तालिबान हल्की उदारता भी दिखा रहा है. हो सकता है कि इससे शांति वार्ता का रास्ता दोबारा खुले.

मुल्लाह उमर ने तालिबान लड़ाकों को आदेश देते हुए कहा, "ऐसी रणनीति अपनाओ कि आम देशवासी की जिंदगी और संपत्ति को नुकसान न पहुंचे."

तालिबान नेता ने सात पन्नों का एक बयान तैयार किया. बयान का पांच भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है. बयान के मुताबिक, "आम नागरिकों के नुकसान को बचाने के लिए आपको जो निर्देश दिए गए हैं वो गौर करने लायक धार्मिक बाध्यताएं हैं. मैं जोर देकर आपसे यह कहता हूं कि आम लोगों के नुकसान को लेकर सावधान रहें."

तालिबान के शीर्ष नेता के मुताबिक अगर उनके लड़ाकों की वजह से आम आदमी को नुकसान पहुंचा तो उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी.

संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में 80 फीसदी आम नागरिकों की मौत के लिए तालिबान जिम्मेदार है. कई आम नागरिक नाटो की अगुवाई वाली पश्चिमी देशों की सेनाओं के हमले में भी मारे जा चुके हैं. पश्चिमी देशों की सेनाएं 2014 के अंत तक अफगानिस्तान से निकल जाएंगी.

ओएसजे/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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