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समाज

भारतीय सेना में महिलाओं को बराबरी का हक

आमिर अंसारी
२४ जुलाई २०२०

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है. अब सेना में पुरुषों की ही तरह अलग-अलग अहम पदों पर महिला अफसरों की तैनाती हो पाएगी.

Indien Neu Delhi | Weibliche Offiziere in der indischen Armee
तस्वीर: Mohsin Javed

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पांच महीने बाद भारतीय सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन को लेकर केंद्र सरकार ने आदेश पत्र जारी कर दिया है. लंबी चली कानूनी लड़ाई के बाद सेना में जो महिला अफसर शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए भर्ती हुईं हैं उन्हें भी स्थायी कमीशन मिल जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार 23 जुलाई को इस विषय पर औपचारिक सरकारी मंजूरी पत्र जारी कर दिया है.

सरकार की मंजूरी  के बाद सेना में महिला अफसर बड़ी भूमिका निभाती नजर आएंगी. यह आदेश भारतीय सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस (एफडी), सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कोर (एएसजी), आर्मी ऑर्डिनेंस कोर (एओसी) और इंटेलिजेंस कोर को स्थायी कमीशन देता है.

साथ ही जज और एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशनल कोर (एईसी) को भी ये सुविधा मिलेगी. एक पर्मामेंट कमीशन सेलेक्शन बोर्ड की ओर से महिला अधिकारियों को तैनात किया जाएगा. सेना ने एक बयान में कहा, "भारतीय सेना महिला अधिकारियों समेत सभी सैन्यकर्मियों को देश की सेवा करने के समान अवसर मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध है."

गुजरात के सूरत में एक साड़ी दिखाते व्यापारी जिस पर भारतीय सेना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्र छपे हुए हैं.तस्वीर: Reuters/A. Dave

इसी साल 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमांड पोस्ट दिए जाने का आदेश दिया था और सरकार को इसे लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया था. इस मामले को फिर उठाए जाने पर सात जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक महीने की मोहलत और दी थी.

केंद्र की ओर से आदेश पत्र जारी होने के बाद सेना ने एक बयान में कहा, "इस कदम का पूर्वानुमान करते हुए, सेना मुख्यालय ने प्रभावित महिला अधिकारियों के लिए स्थायी आयोग चयन बोर्ड के संचालन के लिए तैयारी संबंधी कार्रवाई शुरू कर दी थी. जैसे ही सभी प्रभावित एसएससी महिला अधिकारी अपने विकल्प का उपयोग करेंगी और योग्य दस्तावेजों को पूरा करेंगी, चयन बोर्ड अनुसूचित हो जाएगा."  

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सैनिक महिला अधिकारियों के नेतृत्व में काम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है. इस पर अदालत ने कहा था कि लिंग के आधार पर आक्षेप करना महिलाओं की मर्यादा और देश का अपमान है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं का उनके अधिकारों से कोई संबंध नहीं है और इस तरह की सोच बढ़ाने वाली मानसिकता अब बदलनी होगी.

दरअसल स्थायी कमीशन वाले अफसर रिटायरमेंट की उम्र तक सेवा में रहते हैं जबकि एसएससी के जरिए किसी उम्मीदवार की भर्ती 10 साल तक के लिए ही होती है. हालांकि उनकी सेवा अवधि 14 साल तक बढ़ाई जा सकती है. साथ ही पुरुष अफसर को स्थायी कमीशन में आने का विकल्प मिला करता था लेकिन अब महिलाओं को भी यह विकल्प मिलने का रास्ता साफ हो गया है. इस मामले में 2010 में ही दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए सेना में भर्ती हुई महिलाएं भी पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन की हकदार हैं.

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