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सेना सत्ता पर कब्जा कर सकती हैः किम जोंग नाम

१७ जनवरी २०१२

उत्तर कोरिया के नए नेता किम जोंग उन के सबसे बड़े भाई ने कहा है कि देश में सुधारों को लागू करना जरूरी है नहीं तो देश की ढहती अर्थव्यवस्था मौजूदा शासन का अंत कर देगी. इसी हफ्ते छपने वाली एक किताब से यह जानकारी मिली है.

किम जोंग नाम के मुताबिक उत्तर कोरिया में सेना की ताकत बढ़ीतस्वीर: AP

किम जोंग उन के सौतेले भाई किंम जोंग नाम ने कहा है कि देश में सेना की ताकत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि वो बैरकों से बाहर आ कर सत्ता पर कब्जा कर लेगी. किम जोंग के इस बयान को एक जापानी पत्रकार योजी गोमी की लिखी किताब में छापा गया है. जापानी पत्रकार का कहना है कि किम जोंग नाम से उनकी मुलाकात बीजिंग में 2004 में हुई और तब से दोनों अच्छे दोस्त हैं.

पिछले साल चीन के मकाउ में गोमी ने जोंग नाम का इंटरव्यू लिया था और तब जोंग नाम ने कहा, "उत्तर कोरिया बेहद अस्थिर है. देश में मेरे पिता की सरकार सेना के समर्थन से चल रही है लेकिन सेना की ताकत काफी बढ़ गई है. अगर उत्तराधिकारी नाकाम हुए तो निश्चित रूप से सेना शासन अपने हाथ में ले लेगी." छोटी मुलाकातों और इंटरव्यू के आधार पर लिखी गई इस किताब में जोंग नाम ने कहा है कि कोरिया की सरकार के हाथों नियंत्रित बीमार अर्थव्यवस्था ने दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है. 17 दिसंबर को किम जोंग इल की मौत से पहले लिए इंटरव्यू में जोंग नाम ने कहा है, "यह जाहिर है कि सुधार के बिना अर्थव्यवस्था ढह जाएगी लेकिन अगर सुधार हुए तो सत्ता गिर जाएगी." जोंग नाम ने नए नेता के बारे में कहा है कि वो बस एक चिन्ह हैं जिनका इस्तेमाल उच्च वर्ग के लोग शासन पर अपनी पकड़ बनाए रकने के लिए करेंगे. गोमी के मुताबिक 3 जनवरी को ईमेल से भेजे सवाल के जवाब में जोंग नाम ने कहा, "कोई भी सामान्य सोच वाला इंसान जान सकता है कि वंशवादी विरासत की तीन पीढ़ियों को सहन करना मुश्किल है." गोमी ने जोंग नाम से पूछा कि महज दो साल के अनुभव वाला एक युवा कैसे इतनी ज्यादा ताकत की विरासत को संभाल पाएगा? जवाब में जोंग नाम ने कहा, "यही होगा कि सत्ता में मौजूद उच्च वर्ग मेरे पिता की विरासत युवा शासक को चिन्ह के रूप में इस्तेमाल कर संभालेंगे."

दो साल पहले जब किम जोंग इल की तबियत खराब हो रही थी तब किम जोंग उन को शासन की विरासत संभालने के लिए सामने लाया गया. जोंग उन को सेना में उच्च पद दिया गया और एक दम से उनका कद काफी ऊंचा कर दिया गया. जोंग नाम ने इस सवाल का तो सीधे जवाब नहीं दिया है कि वो अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने कोरिया गए या नहीं लेकिन जापान की मीडिया का कहना है कि पिता की मौत की खबर मिलने के बाद वो प्योंगयांग गए थे.

गोमी ने कहा है कि जोंग नाम अभी भी सत्ता की कमान चीन की मदद से अपने हाथ में ले सकते हैं. चीन को चिंता है कि उत्तर कोरिया की सरकार ढही तो उसकी सीमा में लाखों कोरियाई शरणार्थी बन कर चले आएंगे और यहां समस्या होगी. टोक्यो शिम्बुन के लिए काम करने वाले गोमी पहले बीजिंग में थे उन्होंने कहा, "चीन की सरकार उनकी रक्षा कर रही है. अगर जोंग उन की सत्ता गिर जाती है तो ऐसा लगता है कि चीन की सरकार उन्हें उत्तर कोरिया का नया नेता बनने के लिए प्योंग्यांग भेजने की योजना में है."

गोमी का कहना है कि वो तय कार्यक्रम के मुताबिक ही अपनी किताब छापेंगे हालांकि जोंग नाम इसे कुछ दिन रोकने के लिए कह रहे हैं. जापान का बुंगाइशुंजु प्रकाशन "माइ फादर किम जोंग इल एंड मी" नाम की यह किताब इसी शुक्रवार को जारी करने वाला है.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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