ह्यूमनॉयड यानि इंसानों जैसे दिखने वाले रोबोट अब कल्पना नहीं हैं. इन्हें रिसर्च के काम तो लाया ही जा रहा है लेकिन जल्द ही ये आपके लिविंग रूम में भी जगह बनाने वाले हैं. सेबिट में इस बार इस तरह के कई रोबोट देखने को मिले. इनमें से एक है 'रोबॉय'. बड़ी बड़ी नीली आंखों वाला रोबॉय जब आपकी तरफ देख कर अपनी पहचान बताएगा तो आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे, "हैलो, आय एम रोबॉय." हालांकि सेबिट में आया हर शख्स इस प्यारे से रोबोट से बातें करना चाहता है, लेकिन रोबॉय के पास इतना समय नहीं. इसे तैयार किया है स्विट्जरलैंड की एक कंपनी डेवानथ्रो ने जो इसे स्कूल और कॉलेजों तक पहुंचाना चाहती है.
हाथ ही सफाई
इसी तरह जर्मनी का रिसर्च सेंटर फॉर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (डीएफकेआई) भी यहां ह्यूमनॉयड ले कर पहुंचा. रोबोट 'ग्रैस्पी' महज 60 सेंटीमीटर का है. जैसा कि इसका नाम बताता है, यह चीजों को 'ग्रैस्प' यानि पकड़ सकता है. रोबोट में लगे कैमरा चीजों को पहचानते हैं और फिर मोशन रिकगनिशन की मदद से रोबोट उन तक पहुंचता है. इसके हाथों को कुछ इस तरह से विकसित किया गया है कि यह ग्लास या अन्य चीजों को वैसे ही पकड़ सके जैसे कि इंसान पकड़ते हैं. इसका इस्तेमाल अस्पतालों में किया जा सकेगा.
जर्मनी के हनोवर शहर में सालाना कंप्यूटर मेला सेबिट शुरू हुआ है. इस साल सहयोगी देश ब्रिटेन है. यहां सत्तर देशों के करीब साढ़े तीन हजार प्रदर्शक अपने उत्पादों के साथ पहुंचे हैं.
तस्वीर: Reutersइंसानों जैसे इस रोबोट के जोड़ों में मोटर नहीं बल्कि मांसपेशियां हैं. पहला रोबोट जो इंसानों की तरह चल फिर सकता है. इतना ही नहीं वह महसूस भी कर सकता है और रात को थक कर सो भी जाता है.
तस्वीर: Getty Images/Afp/John MacDougallहवाई अड्डों पर सुरक्षा के लिए बनाया गया खास सिस्टम. जैसे ही पासपोर्ट को स्कैनर पर रखता है, मशीन जानकारी की जांच के साथ फिंगर प्रिंट भी ले लेती है. फिर बायोमैट्रिक डाटा की पहचान की जाती है. म्यूनिख में ये सिस्टम इस्तेमाल हो रहा है.
तस्वीर: Reuters/Wolfgang Rattayइंसान जैसे दिखने वाले रोबोट में एक और इनोवेशन. ये फीमेल ह्यूमनॉयड पोल डांस कर सकती हैं और इस दौरान उनके माथे पर लगी लाइटें अलग अलग रंगों में जलती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकई साल से मशीनी हाथ को और इंसानी बनाने पर काम चल रहा है. इस साल के सेबिट में ऐसे कई हाथ दिखाए जा रहे हैं. तस्वीर में जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ऐसे ही एक हाथ को देखते हुए.
तस्वीर: Reuters/Fabrizio Benschकुछ मशीनी हाथ दिमाग से चलते हैं तो कुछ मोबाइल ऐप से. इस साल सेबिट में सहयोगी देश ब्रिटेन है. उद्घाटन के दौरान अंगेला मैर्केल और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन रोबोट से हाथ मिलाते हुए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Rainer Jensen/Deutsche Messeडाटा सुरक्षा इस साल के सेबिट का अहम मुद्दा है. चांसलर मैर्केल का फोन सुनने का विवाद हो या ब्रिटेन से हुई इंटरनेट जासूसी. इस जासूसी से कैसे बचा जा सकता है इसी से जुड़ी तकनीक इस साल सेबिट में दिखाई जा रही है.
तस्वीर: DW/H. Böhmeवोडाफोन और सिक्यू्समार्ट मिल कर मोबाइल कॉल को सुरक्षित बनाना चाहते हैं. कंपनी का दावा है कि इस ऐप के जरिए मोबाइल का डाटा और फोन कॉल सुरक्षित होगा और कोई उसे हैक नहीं कर सकेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस साल दुनिया के सबसे बड़े कंप्यूटर मेले सेबिट का विषय है डेटाबिलिटी. इसमें एक ऐसा एडैप्टर भी दिखाया जा रहा है, जिसे मोबाइल फोन में लगाते ही 3डी तस्वीरें दिखने लगती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaदुनिया के सबसे बड़े तकनीकी मेले सेबिट में इस साल इंटरनेट और डेटा सुरक्षा पर जोर है. दुकानों, मकानों और सरकारी इमारतों पर नजर रखने के लिए एक से एक हाई टेक सुरक्षा कैमरा बाजार में आ रहे हैं.
तस्वीर: Getty Imagesआईटी का हब माने जाने वाले भारत से करीब 62 प्रदर्शक सेबिट 2014 में मौजूद हैं.
तस्वीर: DW/Arafatul Islam
डीएफकेआई का इसी तरह का एक और रोबोट है 'चिम्पैंजी'. इस रोबोट में रीढ़ का पूरा ढांचा है और यह इतना लचीला है कि रोबोट उठ बैठ भी सकता है. साथ ही इसके हाथ पैर इस तरह से बने हैं कि वह किसी भी सतह पर चल सके, भले ही रास्ता पथरीला हो या रेतीला. उम्मीद की जा रही है कि इसे अंतरिक्ष भेजा जा सकेगा जहां वह दूसरे ग्रह पर चल फिर सकेगा और वहां से आंकड़े जमा कर भेजने में कामयाब होगा.
पोल डांस करते रोबोट
वैसे ये रोबोट केवल शोध के लिए ही नहीं, मनोरंजन के भी काम आ रहे हैं. सेबिट के एक लाउंज में तो रोबोट को पोल डांस करते भी देखा गया. एक रोबोट डीजे बन कर टेक्नो म्यूजिक बजा रहा है, तो दो अन्य पोल के आसपास ठुमके लगा रहे हैं. दूर से देख कर शायद ही कोई माने कि ये केवल मशीन है, इंसान नहीं. नाचते हुए इनकी परफेक्ट मूवमेंट को देख कर तो ऐसा ही लगता है मानो इंसानों ने ही रोबोट की पोशाक पहन रखी हो. उम्मीद है कि भविष्य में भी ये रोबोट बस इंसानों जैसे दिखेंगे, उनकी जगह नहीं ले लेंगे.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया, सेबिट, हनोवर
संपादन: आभा मोंढे