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कानून और न्याय

ड्रग्स की समस्या की जड़ पर ध्यान देने की जरूरत

४ अक्टूबर २०२१

भारत में सेलिब्रिटियों द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन की खबरें अक्सर सुर्खियां बटोर लेती हैं और इन पदार्थों की आपूर्ति की समस्या पर ध्यान ही नहीं जा पाता. जानिए भारत में ड्रग्स की समस्या कितनी बड़ी है.

Drogenmissbrauch in Indien
तस्वीर: AP

तीन अक्टूबर को बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स लेने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने की खबर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी. आर्यन को मुंबई के तट के करीब समुद्र में एक क्रूज शिप पर हो रही पार्टी पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा मारे गए छापे के दौरान गिरफ्तार किया गया.

एनसीबी के अनुसार इस छापे में कुल 13 ग्राम कोकीन, 21 ग्राम चरस, एमडीएम प्रतिबंधित दवा की 22 गोलियां और पांच ग्राम एमडी बरामद की गई. अगर आप इसे कोई बहुत बड़ी मात्रा समझ रहे हैं तो जान लीजिए कि भारत में हर साल दो से चार टन चरस और कम से कम 300 टन गांजा बरामद किया जाता है.

करोड़ों लोग करते हैं सेवन

इसके अलावा 2017 में देश में कुल 69 किलो कोकीन जब्त की गई थी. ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (आईएनसीबी) ने 2018 में अपनी एक रिपोर्ट में दिए थे.

भोपाल के पास स्थित अफीम का एक खेततस्वीर: AP

भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में नशे के लिए शराब के बाद सबसे ज्यादा सेवन भांग, गांजा, चरस और अफीम का किया जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में कम से कम तीन करोड़ लोगों ने भांग, गांजा और चरस का सेवन किया और कम से कम 2.26 करोड़ लोगों ने अफीम, डोडा, फुक्की और हेरोइन का इस्तेमाल किया. इनके अलावा कोकीन (0.10 प्रतिशत), एम्फेटामाइन जैसे उत्तेजक पदार्थ (0.18 प्रतिशत) और हैलूसिनोजेन पदार्थों (0.12 प्रतिशत) का सेवन तुलनात्मक रूप से कम ही होता है.

भांग, गांजा और चरस का सबसे ज्यादा सेवन उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में पाया गया. अफीम और उसके अलग अलग प्रकारों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में पाया गया.

अफीम की खेती

संयुक्त राष्ट्र की ड्रग्स और जुर्म संस्था (यूएनओडीसी) कहती है कि भारत दुनिया के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादन के इलाकों के ठीक बीच में है. इन्हें गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल कहा जाता है. इसकी वजह से भारत अफीम और उसके अलग अलग प्रकारों के व्यापार का ना सिर्फ एक बड़ा रास्ता है बल्कि ठिकाना भी है.

हिमाचल का मलना गांव चरस की खेती के लिए मशहूर हैतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. R. Jain

देश के अंदर अभी भी भारी मात्रा में अवैध अफीम उगाई जाती है, जो अपने आप में चिंता का विषय है. अफीम का इस्तेमाल खाने के कुछ उत्पादों में और दवा के रूप में भी होता है जिसके लिए नियंत्रित मात्रा में इसे उगाने के लिए एनसीबी लाइसेंस देता है.

लेकिन 2017 में जहां 2,322.5 हेक्टेयर भूमि पर अफीम की वैध खेती की अनुमति थी, उसके मुकाबले 3,000 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर अफीम की अवैध खेती पाई गई. इन खेतों को नष्ट कर दिया गया. उसी साल 3,400 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर भांग की अवैध खेती भी पाई गई और नष्ट कर दिया गया.

भ्रष्टाचार से मदद

भारत में इस तरह के नशीले पदार्थों का कितना बड़ा बाजार है इसका अंदाजा इनके दामों से लगाया जा सकता है. यूएनओडीसी की 2010 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय भारत में थोक बाजार में हेरोइन का दाम था दो लाख रुपए प्रति किलो. खुले में 600-800 रुपये में आधा ग्राम हेरोइन मिलती थी.

आधा ग्राम ब्राउन शुगर का दाम था 250-350 रुपए. इसी तरह हशीश का थोक बाजार में दाम था 13,500 रुपए प्रति किलो लेकिन रिटेल में देश के कई इलाकों में 35,000 रुपए प्रति किलो के दाम पर भी उपलब्ध थी. गांजा का थोक भाव 400 रुपए प्रति किलो के आस पास था, लेकिन सड़कों पर यह 4,000 - 6,000 रुपए प्रति किलो में उपलब्ध थी.

यह पुराने दाम हैं और इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में इनके बाजार का क्या आकार हो चुका होगा. माना जाता है कि नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में इतना पैसा होने की वजह से भ्रष्ट अधिकारी भी इसमें शामिल हो जाते हैं और उनकी मिलीभगत से व्यापार चलता रहता है.

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