भूमध्यसागर का इस्तेमाल कई प्रवासी किसी तरह यूरोप तक पहुंचने के लिए करते हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक 2014 के पहले छह महीनों में करीब 75,000 लोगों ने उत्तरी अफ्रीका से भूमध्यसागर के जरिए यूरोप आने की कोशिश की और ये इटली, ग्रीस, स्पेन या माल्टा पहुंचे. यूरोप आने के सफर के दौरान हुए हादसों में करीब 800 लोग मारे भी गए.
मंगलवार को पकड़ी गई 78 नावों और बेड़ों पर सवार लोगों में अधिकतर पुरुष थे और 95 महिलाएं थीं. करीब 20 बच्चे भी थे. इतने सारे लोगों के एक साथ आने का कारण शायद फिलहाल समंदर का शांत होना और गर्मी भी है. स्पेन के मीडिया ने खबर दी है कि मेलिया और सेउटा द्वीपों पर भी लोग पहुंच सकते हैं इसलिए वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
स्पेन सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, "पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था. रमजान के बाद प्रवासियों की लहर आई. माफिया और संगठित अपराधी अच्छे मौसम का फायदा उठा कर इस तरह के काम करते हैं." फिलहाल इन प्रवासियों को टैरिफा के स्पोर्ट सेंटर में रखा गया है.
अब तक पहुंची नावों में करीब 10,500 बच्चे थे जिसमें दो तिहाई अपने परिवार से अलग हो चुके हैं. दूर देश अकेले ही पहुंच चुके हैं. अफ्रीका और मध्यपूर्व में हिंसा के कारण ये लोग जान बचाने के लिए तस्करों की मदद से जर्जर नावों में अनिश्चित भविष्य की ओर निकल पड़ते हैं.
अफ्रीकी देशों से भागकर गैरकानूनी ढंग से यूरोप आने वाले प्रवासियों और कई देशों में जंग के कारण बढ़ते शरणार्थियों के मुद्दे पर ईयू की एक नीति नहीं है. हर देश अपने नियमों के हिसाब से काम करता है. भूमध्यसागर पार करके आने वाले अधिकतर प्रवासी इटली और स्पेन के द्वीपों पर पहुंचते हैं. जहां से या तो इन्हें उनके देश लौटा दिया जाता है या फिर सालों साल वह शरणार्थी के तौर पर भटकते रहते हैं.
यूरोपीय संघ के कई देशों में लगातार यूरोप विरोधी पार्टियां जीत रही हैं. यह आप्रवासियों का भी विरोध करती हैं और बचत करने की नीति का भी. 28 देशों से मिल कर बने यूरोपीय संघ के सामने क्या चुनौतियां हैं देखें तस्वीरों में.
तस्वीर: CC-BY-Verena Hornung 3.0यूरोपीय संघ के शरणार्थी नियमों पर सवाल उठते रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर में भूमध्य सागर पार कर यूरोप आने की कोशिश कर रहे 360 अफ्रीकी प्रवासी डूब गए. अब संघ इन देशों के साथ रिश्ते बेहतर करने की कोशिश कर रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaपिछले एक दशक में यूरोप के 28 देश इस संघ में शामिल हो चुके हैं. लेकिन नए आवेदनों का सिलसिला भी लगातार जारी है. अगला नंबर सर्बिया का हो सकता है. लेकिन क्या यह सिलसिला कभी थमेगा.
तस्वीर: picture-alliance/ZBआर्थिक स्तर पर सभी देश बराबर नहीं. यूरोपीय संघ में ढाई करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षकों का कहना है कि इन्हें रोजगार देने के लिए सही कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaअगर यूरोपीय संघ विश्व स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बनाना चाहता है, तो इसे अर्थव्यवस्था सुधारनी होगी. इसके लिए कई देशों से मुक्त व्यापार का समझौता भी करना होगा. इसके अलावा हर सदस्य को अपनी समस्या खुद सुलझानी होगी.
तस्वीर: Getty Imagesसंघ लगातार बदल रहा है. इसके लिए लगातार निर्माण हो रहा है. हालांकि इससे आम लोगों को दिक्कत हो सकती है लेकिन इसकी वजह से रोजगार भी मिल रहे हैं.
तस्वीर: DWसंघ के अंदर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो इस विचार को गलत मानते हैं. वे कई देशों के संघ को बहुत कारगर नहीं समझते. इन चुनावों में ऐसी सोच रखने वाली पार्टियों भी हैं.
तस्वीर: Getty Imagesजर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस सहित कई देशों में यूरोपीय संघ की मुखालफत करने वाली पार्टियां हैं. सवाल यह है कि क्या वे संघ के मंच पर भी एक साथ आ सकती हैं.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Pressयूरोजोन में संकट के दौरान कई देशों को बेलआउट पैकेज मिले. आयरलैंड, स्पेन और पुर्तगाल ने तो इसका सही फायदा उठाया और अब उनकी अर्थव्यवस्था धीरे धीरे पटरी पर लौट रही है. लेकिन कई देश अभी भी खस्ताहाल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaऐसा नहीं हो सकता कि बार बार बैंक डूबते रहें और बार बार करदाता अपने पैसे से उन्हें बचाएं. भविष्य में बैंकिंग यूनियन खराब स्थिति में यूरोपीय संघ से हस्तक्षेप को कहेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaयूरोपीय संघ में ईमेल और फोन कॉल रिकॉर्ड दो साल तक रखने का प्रावधान है. लेकिन हाल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी की जासूसी कांड के बाद इस पर सवाल उठ रहे हैं.
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एएम/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स)