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सैनिटरी पैड लेने में शर्म क्यों?

ईशा भाटिया२५ नवम्बर २०१५

दवा की दुकान में सैनिटरी नैपकिन खरीदने पर पैकेट को काली पन्नी में डाल कर दिया जाता है. सवाल है कि ऐसा क्यों?

Toilettenpapier, Tampons und Damenbinden
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Rössler

इस वीडियो के माध्यम से भारत में कुछ युवाओं की एक टीम ने देखना चाहा कि लोग मासिक धर्म को ले कर किस तरह से बात करते हैं. वीडियो में एक लड़की कई दुकानों पर जा कर सैनिटरी पैड खरीदती है और हर दुकानदार से पूछती है कि इसे काली पन्नी में क्यों लपेटा है, बाकी सामान की तरह ही क्यों नहीं दिया गया. जवाब में अधिकतर उसे यही सुनने को मिलता है कि बिना काले थैले के ले जाने में लड़की को ही परेशानी होगी क्योंकि लोगों को पैकेट दिखेगा. लेकिन क्या लोगों को काला थैला देख कर ही नहीं समझ आ जाएगा कि उसमें क्या हो सकता है? और अगर लोग जान भी जाएं, तो उसमें हर्ज क्या है? एक दुकानदार को यह भी कहते देखा जा सकता है कि लोग "बुरी बात करेंगे कि उस लड़की की डेट चल रही है". वह मासिक चक्र, जो हर महिला के लिए स्वाभाविक है, जिसके चलते वह संतान को जन्म देती है, क्या उसके बारे में बात करना इतना "बुरा" और गलत समझा जाना चाहिए?

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