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सॉफ्ट हिंदुत्व की शरण में दिग्विजय सिंह

ओंकार सिंह जनौटी
१० मई २०१९

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कड़े इम्तिहान में फंसे हैं. हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उठाने वाले दिग्विजय भोपाल में साधुओं की मदद से बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. भोपाल से ग्राउंड रिपोर्ट.

Indien Wahlkampagne von Digvijay Singh in Bhopal
तस्वीर: DW/O. S. Janoti

9 मई की रात करीब 10 बजे, कायस्थ समुदाय के कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह मौजूद हैं. उनके मस्तक पर बड़ा लाल रंग का टीका लगा है. मंच पर अमरकंटक के प्रतिष्ठित संन्यासी भी बैठे हुए हैं. सुबह नौ बजे से लगातार चुनाव प्रचार कर रहे 72 साल के दिग्विजय सिंह पर अब थकान हावी हो चुकी है. वह झपकी ले रहे हैं. बोल भी कम रहे हैं. कार्यकर्ता उन्हें बता रहे हैं कि अगले कार्यक्रम के लिए विलंब बढ़ता जा रहा है लेकिन इसके बावजूद वह कायस्थ समुदाय का मंच नहीं छोड़ रहे हैं. वह एक तारणहार का इंतजार कर रहे हैं. थोड़ी ही देर बाद बॉलीवुड अभिनेता और पटना साहिब से कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा वहां पहुंचते हैं.  शत्रुघ्न सिन्हा के चेहरे पर मुस्कुराहट के बजाए गंभीरता का भाव है.

भारत में राजनीतिक दल धर्म और जात की राजनीति में किस कदर घुसे हैं, यह शत्रुघ्न सिन्हा की मौजूदगी से पता चलता है. वह चित्रसेन सभा में 15 मिनट के लिए आए. कायस्थ समुदाय को एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए दिग्विजय सिंह को जिताने की अपील करने लगे. बहुत ही संतुलित भाषा में आचार संहिता से बचते बचाते वह कायस्थों से लामबंद होने की अपील कर रहे थे. दोनों नेताओं को उम्मीद है कि बीजेपी का समर्थक माना जाने वाले कायस्थ समुदाय के वोट बैंक में वे कुछ सेंध लगा पाएंगे.

मध्य प्रदेश में बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अब भी छवि काफी हद तक मजबूत है. कारोबार के सिलसिले में 15 साल पहले केरल से भोपाल आकर बसने वाले जस्टिन कहते हैं, "मध्य प्रदेश में चौहान जी ने अच्छा काम किया. लेकिन केंद्र सरकार के कदमों से व्यापारी वर्ग को काफी नुकसान हुआ है. खास कर जीएसटी की वजह से."

चुनाव प्रचार में शत्रुघ्न सिंहातस्वीर: DW/O. S. Janoti

दिग्विजय सिंह इन मुद्दों को भुनाना चाहते हैं. यही वजह है कि विवादित बयान देने वाले दिग्विजय भी इस बार भोपाल में अपनी छवि के विपरीत खड़े हैं. वह भोपाल शहर के विकास का मुद्दा उठा रहे हैं. रोजगार और व्यापारियों को सहूलियत देने विषयों को भी तवज्जो दे रहे हैं. भोपाल की सीट, कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है.

भोपाल के एक चौक पर दिग्विजय सिंह के चुनाव अभियान के दौरान "मोदी, मोदी" के नारे लगाने वालों को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार करना, दिखाता है कि छटपटाहट किस स्तर की है. लंबे वक्त तक खुल कर मीडिया से बात करने वाले दिग्विजय सिंह इस बार पत्रकारों से पहले सवाल मांग रहे हैं. इंटरव्यू के दौरान वह विवादित विषयों से किनारा कर रहे हैं.

बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञातस्वीर: IANS

दिग्विजय सिंह जानते हैं कि करीब 19.75 लाख वोटरों वाली भोपाल लोकसभा में मुसलमान उनके साथ खड़े रहेंगे. भोपाल में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब पांच लाख है. बाकी के वोटरों को अपनी तरफ करना दिग्विजय सिंह की राह में सबसे बड़ी चुनौती है. भोपाल लोकसभा सीट में अंतर्गत कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इन आठ में से पांच सीटें जीती थीं. बाकी वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए दिग्विजय सिंह अपनी छवि में बदलाव करते भी दिख रहे हैं.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, दिग्विजय सिंह को भी अपनी राजनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है. 26/11 के मुंबई हमलों और दिल्ली के बटला हाउस इनकाउंटर जैसे मुद्दों पर विवादित बयान देने वाले दिग्विजय सिंह अब बहुत संभल संभल कर बोल रहे हैं. दिग्विजय सिंह, भोपाल में अपनी हिंदू विरोधी छवि को बदलने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. भोपाल में उनके चुनाव प्रचार में साधु संत दिखाई पड़ रहे हैं. दिग्विजय सिंह को 40-42 डिग्री की गर्मी में यज्ञ और हवन भी करने पड़ रहे हैं. दिग्विजय बीजेपी के हिंदुत्व का जवाब अपने सॉफ्ट हिंदुत्व से देने की कोशिश कर रहे हैं. संत यात्रा, हवन, नर्मदा यात्रा इसी प्रक्रिया का हिस्सा है.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को बीजेपी का गढ़ समझा जाता है. 1989 से बीजेपी यह लोकसभा सीट लगातार जीतती आ रही है. क्या दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके और दिग्गज कांग्रेसी नेता बीजेपी के इस रथ को रोक सकेंगे.

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