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सोची ओलंपिक पर बहिष्कार का संकट

१० दिसम्बर २०१३

पहले जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक और अब ईयू कमिसार विवियाने रेडिंग ने फरवरी में रूस के सोची शहर में होने वाले शीत ओलंपिक खेलों में न जाने का फैसला किया है. मानवाधिकारों के हनन के लिए रूस की कड़ी आलोचना हो रही है.

निरंकुश शासन का विरोधतस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन राष्ट्रपति की प्रवक्ता ने सप्ताहांत में एक साप्ताहिक पत्रिका की खबरों की पुष्टि करते हुए बताया कि राष्ट्रपति अगले साल 7 फरवरी से 23 फरवरी तक रूस में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए सोची नहीं जाएंगे. राष्ट्रपति के फैसले की कोई वजह नहीं बताई गई. यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष रेडिंग ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपने फैसले की वजह रूस में मानवाधिकारों की स्थिति को बताया है. उन्होंने लिखा, "मैं निश्चित तौर पर सोची नहीं जाऊंगी, जब तक मौजूदा रूसी सरकार अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा बर्ताव करती रहेगी."

सोची न जाने के जर्मन राष्ट्रपति के फैसले को लोगों का समर्थन मिला है तो उसका विरोध भी हो रहा है. ह्यूमन राइट्स वॉच के प्रवक्ता वोल्फगांग बुटनर ने राष्ट्रपति के फैसले को अत्यंत स्पष्ट संकेत बताया है. उन्होंने कहा कि इसके साथ राष्ट्रपति रूस में मानवाधिकारों के हनन और ओलंपिक शहर सोची की स्थिति पर ध्यान दिला रहे हैं. यूरोपीय संसद में मानवाधिकार आयोग की प्रमुख ग्रीन राजनीतिज्ञ बारबरा लोखबिलर ने भी कहा, "यह अच्छा संकेत है."

विवियाने रेडिंगतस्वीर: Getty Images/Afp/John Thys

चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, लेकिन यह साफ नहीं है कि वे या उनकी नई सरकार का कोई सदस्य सोची जाएगा या नहीं. सरकारी प्रवक्ता श्टेफेन जाइबर्ट ने कहा, "राष्ट्रपति के फैसला नोटिस करने के लिए है, टिप्पणी के लिए नहीं." प्रवक्ता ने यह बताने से मना कर दिया कि राष्ट्रपति ने अपने फैसले की सूचना मैर्केल को पहले दी थी या नहीं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि रूस जर्मनी का महत्वपूर्ण सहयोगी है और बना रहेगा.

रूस सरकार ने गाउक के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन रूस में उनके फैसले को खेलों का बहिष्कार समझा जा रहा है. रूसी थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिटिकल टेक्नोलॉजी के अलेक्सी मकार्किन का कहना है कि सरकार और विपक्ष दोनों ही इसे बॉयकाट समझ रहे हैं. रूस का विपक्ष इसे "जर्मनी से नैतिक समर्थन" समझ रहा है तो रूसी अधिकारी इसे व्यापारिक साझेदार की "गैरदोस्ताना और उकसावे की कार्रवाई" मान रहे हैं.

सोची का ओलंपिक पार्कतस्वीर: DW/Mikhail Bushuev

रूस के जर्मन विशेषज्ञ व्लादिस्लाव बेलो ने गाउक के सोची न जाने के फैसले को गलती बताया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में गाउक को सभी जर्मनों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए लेकिन उनका फैसला निजी फैसला है. गाउक के पिता सोवियत संघ के दौरान बंदी थे. बेलो के कहा, "सिर्फ इसलिए रूस के साथ संवाद से मुकरना गलत रास्ता है."

जर्मन ओलंपिक संघ के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि गाउक के फैसले को बहिष्कार न समझा जाए. खिलाड़ियों के प्रतिनिधि क्रिस्टियान ब्रॉयर ने कहा कि सोची जाना राष्ट्रपति की डायरी में कभी शामिल नहीं था. जर्मन ओलंपिक संघ के महानिदेशक मिषाएल फेस्पर ने इस पर जोर दिया कि जर्मन खिलाड़ी सोची में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मूल्यों की रक्षा पर ध्यान देंगे. उन्होंने कहा, "हमें रूस में मानवाधिकारों के हनन का पता है. हम सोची में ओलंपिक खेलों की समस्या भी देख रहे हैं."

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थोमस बाख ने गाउक के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा, "ओलंपिक खेलों के दौरान राज्य व सरकार प्रमुखों को निमंत्रण मेजबान देश देते हैं. इसलिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती."

एमजे/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)

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