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सोनम वांगचुक ने बनाया सौर ऊर्जा चालित मोबाइल तंबू

२३ फ़रवरी २०२१

सेना के लिए यह तंबू दो हिस्सों में बंटा हुआ है - ग्रीन हाउस, जिसे सोलर लाउंज कहा जाता है और स्लीपिंग चैंबर - जहां सैनिक सोते हैं. दोनों भागों को एक पोर्टेबल दीवार से विभाजित किया जाता है, जिसे हीट बैंक कहा जाता है.

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तस्वीर: IANS

बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म "थ्री इडियट्स" में 'फुनसुख वांगडू' के किरदार के लिए प्रेरणा बने लद्दाख के इंजीनियर सोनम वांगचुक ने अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में भारतीय सैनिकों के उपयोग के लिए एक मोबाइल सौर ऊर्जा चालित तंबू विकसित किया है. उनके मन में यह विचार कैसे आया, यह पूछे जाने पर वांगचुक ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि लगभग 50,000 भारतीय सैनिकों को हाड़ कंपाने वाली सर्दियों में अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया गया है, तो उन्होंने नए आइडिया के साथ आने का फैसला किया.

उन्होंने कहा कि भारतीय और चीनी सैनिकों को एलएसी पर कुछ बिंदुओं से हटाया जा रहा है. दोनों ओर से जवान पीछे हट रहे हैं. यह दोनों के लिए अच्छी बात है. कठोर सर्दियों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग 50,000 सैनिकों को तैनात किया गया था. यह कठिन स्थिति थी. वांगचुक ने कहा कि जब सैनिकों को नब्ज जमाने वाली ठंड में तैनात किया जाता है, तो वे कपड़े या लोहे के कंटेनरों से बने टेंट में रहते हैं और लाखों लीटर मिट्टी के तेल का उपयोग किया जाता है. यह एक बहुत महंगा मामला है क्योंकि इससे पर्यावरण में प्रदूषण भी फैलता है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ग्लेशियरों को प्रभावित करता है.

स्लीपिंग चैंबर में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस पर बनाए रखा जाता है. तस्वीर: IANS

वांगचुक ने बताया कि सैनिकों को केरोसिन का इस्तेमाल करने में भी बहुत परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख में वे अधिक ऊंचाई पर आरामदायक जीवन जीने के तरीकों पर रिसर्च कर रहे हैं. पिछले 25 सालों से सोलर-हीटेड घरों पर रिसर्च करने वाले वांगचुक ने कहा, "चूंकि हमारे सैनिक अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में रहते हैं, इसलिए हमने तय किया कि हम उनके लिए सोलर-हीटेड शेल्टर क्यों न विकसित करें."

15 साल पहले वांगचुक ने लद्दाख के चांगतांग क्षेत्र में खानाबदोश चरवाहों के लिए एक मोबाइल शेल्टर विकसित किया था. उन्होंने कहा, "हमने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख में एक निष्क्रिय सौर-गर्म तंबू के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया. तंबू को विकसित करने में एक महीने का समय लगा."

सेना के लिए यह तंबू दो हिस्सों में बंटा हुआ है - ग्रीन हाउस, जिसे सोलर लाउंज कहा जाता है और स्लीपिंग चैंबर - जहां सैनिक सोते हैं. दोनों भागों को एक पोर्टेबल दीवार से विभाजित किया जाता है, जिसे हीट बैंक कहा जाता है. सैनिक दोपहर के दौरान ग्रीन हाउस भाग में बैठ सकते हैं और काम कर सकते हैं, जबकि स्लीपिंग चैंबर में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस पर बनाए रखा जाता है. टेंट की कीमत 5 लाख रुपये है. रक्षा सचिव अजय कुमार ने वांगचुक को धन्यवाद दिया और कहा कि इनोवेशन हमेशा की तरह बहुत प्रासंगिक और परिपूर्ण है.

आईएएनएस/आईबी

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