सोनिया गांधी का अन्ना हजारे को जवाब
१९ जून २०११
अन्ना हजारे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे खत में आरोप लगाया कि उन्हें बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है. सोनिया ने हजारे को अपने संक्षिप्त जवाब में कहा, "9 जून को लिखा आपका खत मिला. दिल्ली में न होने की वजह से आपको जवाब नहीं दे पाई. इस दौरान आपने खत की बात सार्वजनिक भी कर दी. मैं इस बारे में जानकारी जुटाऊंगी. जहां तक खत में उठाए गए मुद्दों की बात है, मैंने 19 अप्रैल को लिखे अपने खत में अपनी राय स्पष्ट कर दी है."
19 अप्रैल को लिखे अपने पत्र में सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया था कि किसी भी व्यक्ति को बदनाम करने के लिए चलाए जा रहे अभियान का वह विरोध करती हैं. उस पत्र में उन्होंने लिखा, "जिस तरह के बयान मीडिया में आ रहे हैं, मैं आपको भरोसा दिलाती हूं कि मैं लोगों को बदनाम करने वाली राजनीति के पक्ष में नहीं हूं. भ्रष्टाचार पर जल्द से जल्द काबू पाए जाने की जरूरत है. सार्वजनिक जीवन में शुचिता के लिए मेरे समर्पण पर आपको संदेह नहीं होना चाहिए."
सोनिया गांधी ने अपने पिछले खत में लिखा कि वह ऐसे लोकपाल का समर्थन करती हैं जो देश के संसदीय लोकतंत्र और मान्यताओं के अनुरूप हो. उनके मुताबिक लोकपाल बिल नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के एजेंडे पर भी है जिसकी वह अध्यक्ष हैं.
कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी ने अन्ना हजारे को बीजेपी और आरएसएस का मुखौटा बताया था जिससे अन्ना हजारे नाराज थे. अन्ना ने इस आरोप का खंडन करते हुए अपने पत्र के माध्यम से कांग्रेस को चुनौती दी कि वह अपने आरोप को साबित करे. अन्ना हजारे के मुताबिक कांग्रेस और यूपीए सरकार उन्हें बदनाम करने की साजिश रच रही है ताकि वह लोगों में अपना समर्थन खो दें. कांग्रेस के अभियान से दुखी होकर अन्ना हजारे ने सोनिया गांधी को खत लिखकर ऐसे बयानों पर उनका रुख जानना चाहा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम