अगर सुबह सुबह बिस्तर से उठने में आपको तकलीफ होती है या आप देर रात तक जागते हैं तो इसके लिए आपका जीन भी जिम्मेदार हो सकता है. एक नई रिसर्च में यह बात पता चली है.
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रातों में जगने और सुबह आलसी की तरह बिस्तर में पड़े लोगों की इस आदत की वजह समझने के लिए जेनेटिक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. ये आंकड़े डीएनए का परीक्षण करने वाली वेबसाइट 23एंडमी और एक ब्रिटिश "बायोबैंक" से लिए गए. रिसर्च करने वाली टीम का नेतृत्व एक्सटर मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर माइकल वीडॉन कर रहे थे. उन्होंने बताया, "यह रिसर्च अहम है क्योंकि यह इस बात की पुष्टि करती है कि सुबह और शाम की हमारी आदतें कम से कम कुछ हद तक जेनेटिक कारणों से निर्धारित होती हैं."
रिसर्च के लिए करीब 7 लाख लोगों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. शोध के नतीजे बताते हैं कि सोने और जगने में पहले जेनेटिक कारणों को जितना जिम्मेदार माना जाता था वो उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदार हैं. पहले रिसर्चर ऐसे 24 जीनों के बारे में जानते थे जिनका सोने के वक्त पर असर पड़ता है. नेचर कम्युनिकेशंस जनरल में छपी रिपोर्ट बताती है कि इस रिसर्च के बाद अब 327 और ऐसे जीनों का पता चला है जो नींद में भूमिका निभाते हैं.
विश्लेषण यह भी दिखाता है कि जो लोग देर से सोते हैं उनमें शिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है. हालांकि रिसर्चरों ने यह भी कहा है कि इन दोनों के बीच संबंध को समझने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत होगी. रिसर्च के शुरुआती चरण में उन लोगों के जीनों का अध्ययन किए गया जो खुद को "मॉर्निंग पर्सन" या फिर "इवनिंग पर्सन" बताते हैं.
रिसर्चरों ने छोटे छोटे ग्रुप में उन लोगों का परीक्षण किया जो एक्टिविटी ट्रैकर्स का इस्तेमाल कर रहे थे. कलाई पर बांधे जाने वाले ट्रैकर से मिली जानकारियों के जरिए 85,000 लोगों के नींद के पैटर्न से जुड़े आंकड़ों को समझने की कोशिश की गई. रिसर्चरों ने देखा कि जिन जीनों की उन्होंने पहचान की है वह किसी इंसान के टहलने के समय को भी 25 मिनट तक इधर उधर कर सकते हैं.
रिसर्च में इस बात की भी पड़ताल की गई कि क्यों कुछ जीन लोगों के सोने और जगने के समय पर असर डालते हैं. रोशनी और शरीर की आंतरिक घड़ी का दिमाग पर पड़ने वाला असर भी अलग अलग लोगों में भिन्न होता है. सोने के पैटर्न और कुछ बीमारियों के बीच संबंध को लेकर जो पुराने सिद्धांत हैं उन्हें परखने के लिए रिसर्चरों ने "मॉर्निंग" और "इवनिंग" जीन और कई बीमारियों के बीच परस्पर संबंधों का भी विश्लेषण किया.
नींद में जरूर महसूस की होंगी ये 8 रहस्यमयी चीजें
आप नींद में होते हैं तब आपके मस्तिष्क के साथ क्या-क्या होता है, यह बात विज्ञान के लिए अब भी कई स्तर पर रहस्य है. लेकिन हम आपको बता रहे हैं ऐसी 8 बातें जिनका कारण विज्ञान जानता है और आपने भी उनको जरूर महसूस किया होगा.
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स्लीप पैरेलिसिस
कई बार नींद में लगा होगा कि आप जाग रहे हैं, लेकिन हिल नहीं पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में डरावनी चीजों का भी अहसास होता है. यह स्लीप पैरेलिसिस होता है. जब आप सो रहे होते हैं तो मस्तिष्क आपके शरीर की मांसपेशियों को आराम करने के निर्देश देता है और यह लगभग पैरेलिसिस की स्थिति होती है. लेकिन जब यह स्थिति ठीक से नहीं बन पाती है तो कई बार आप नींद से जाग जाते हैं और डर का अहसास होता है.
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शरीर से बाहर होने का अनुभव
एक ऐसा अनुभव जिसमें व्यक्ति को लगता है कि वह अपने शरीर से बाहर है और फिर भी अपने शरीर को बिस्तर पर लेटा हुआ देख सकता है. अभी तक इस तरह के अनुभवों का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं मालूम पड़ पाया है. हालांकि, बहुत से लोग इसे आत्मा के होने के प्रमाण के तौर पर देखते हैं. कई लोग इस अनुभव के बारे में और जानने के लिए इस स्थिति में होने का अभ्यास करते हैं.
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सपने में सपना देखना
ऐसा हो सकता है कि सपना देखते हुए आपको लगे कि आप जाग गए हैं. हालांकि, सपना जारी रहता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि असल में आप नींद से जागते नहीं हैं. इसी थीम पर ‘इन्सेप्शन’ फिल्म भी बनायी गयी थी. इस स्थिति का कारण अब तक आध्यात्म का झुकाव बताया जा रहा है. हालांकि, वैज्ञानिक अब भी इस विषय में खोज कर रहे हैं.
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नींद में सेक्स
इस स्थिति में कई बार सेक्स के बीच में नींद खुलती है और ध्यान आता है कि व्यक्ति सेक्स कर रहा था. यहे सेक्सोम्निया कहलाता है. दरअसल शरीर नींद से बाहर आ जाता है लेकिन दिमाग नींद से पूरी तरह बाहर नहीं होता. इस प्रक्रिया में नींद में होने के बावजूद व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ सेक्स करना शुरू कर देता है.
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डरावने ख्याल
कई बार ठीक सोने जाने के वक्त पर आपको ऐसा लगा होगा कि आपके आसपास कोई डरावनी चीज है. यह खासकर बच्चों में होता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जब आप सोना नहीं चाहते तब खासकर ऐसा होता है. इस अनिच्छा से कई बार डरावने ख्याल आते हैं और कई बार आप कोई अच्छी कल्पना गढ़ते हैं.
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एक से सपने
सपनों की यह सबसे दिलचस्प दुनिया है, जहां कई बार ये महसूस होता है कि आप एक से सपना बार बार देख रहे हैं. दरअसल हमारा दिमाग बहुत सी घटनाओं से उबरने की कोशिश करता है. खासकर बुरी घटनाओं से. इस प्रक्रिया में उसी तरह की अहसासों वाली घटनाएं या मिलती जुलती चीजें आप सपनों में देखते हैं. आम दिन की चीजें आपको बार बार नहीं दिखतीं क्योंकि दिमाग उनको भूल चुका होता है और उससे उबरने की कोशिश नहीं कर रहा होता है.
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नींद में चलना
नींद में चलना काफी खतरनाक हो सकता है. क्योंकि नींद में चलने के दौरान कई बार लोग खुद को काफी नुकसान पहुंचा लेते हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि नींद से जागने के बाद व्यक्ति को कुछ भी याद नहीं रहता है. व्यक्ति नींद में इसलिए चलने लगता है क्योंकि नींद के दौरान उसका शरीर तो जाग जाता है लेकिन मस्तिष्क नींद में ही होता है. अभी तक नींद में चलने के ठीक ठीक कारण पता नहीं चल पाये हैं.
कई बार, हम जीवन के कई सवालों के जवाब खोज रहे होते हैं और उनके जवाब हमें सपने में मिलता है. मशहूर दिमित्री मेंडेलीव ने पीरियॉडिक टेबल अपने सपने में ही बनाया था. यह इसलिए होता है क्योंकि कई बार हमारा अवचेतन मन कई सवालों के जवाब जानता है लेकिन उन्हें चेतन मन तक पहुंचने में वक्त लगता है.
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रिसर्चरों ने देखा कि जल्दी सोने और जगने वाले लोगों में तनाव और शिजोफ्रेनिया का जोखिम कम होता है और वो स्वस्थ रहते हैं. हालांकि वीडॉन के मुताबिक यह अभी साफ नहीं है कि सुबह उठने वाले लोगों में इन सब की वजह उनका 9 बजे से 5 तक तक काम करना तो नहीं है.
रिसर्च में इस बात के सबूत नहीं मिले कि नींद को प्रभावित करने वाले जीनों और मेटाबॉलिक बीमारियों जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज के बीच कोई संबंध है या नहीं. हालांकि आगे की रिसर्च में उन लोगों से जुड़े मुद्दों की पड़ताल की जाएगी जिनकी प्राकृतिक नींद का रुझान उनकी जीवैनशैली से मेल नहीं खाता.