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सोमालिया में अल शहाब कमजोर

२९ सितम्बर २०१२

सोमालिया के कट्टरपंथी इस्लामी गुट अल शहाब ने बंदरगाह शहर किसमायो से हटने का एलान किया. इससे पहले केन्याई और अफ्रीकी संघ एयू की सेना ने शहर को अपने नियंत्रण में लेने के लिए हमला किया.

तस्वीर: AP

अल शहाब गुट ने ट्विटर पर कहा, "पिछली रात पांच साल बाद इस्लामिक प्रशासन ने किसमायो में अपना ऑफिस बंद कर दिया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि शहर पर फिर से हमला करने और शहर को युद्ध ग्रस्त बनाने की उनकी योजना थी."

वहीं अफ्रीकी संघ ने कहा है है उसकी सेना किसमायो के उत्तरी इलाके में हैं. और स्थानीय लोगों ने बताया के अल शहाब के लड़ाकों ने दूसरे जिले भी छोड़ गिए हैं. पश्चिमी समर्थन वाली अफ्रीकी सेना के पास हालांकि अभी पूरे शहर का नियंत्रण नहीं है.

शुक्रवार को विदेशी फौजों के हमले के बाद अल शहाब का शहर पर नियंत्रण कमजोर होता जा रहा है. शनिवार को आम लोग उसके प्रशासनिक दफ्तरों में घुस गए और वहां लूट पाट की. चश्मदीदों का कहना है कि रात में हिंसा की वारदात भी होती रही, जो दिन निकलने के साथ कम हुई.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कई लोग इस शहर को छोड़ कर भाग रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अफ्रीकी यूनियन की सेना यहां नियंत्रण करना चाहेगी और इस दौरान खून खराबा हो सकता है. मेडिकल मदद कर रही संस्थाओं का कहना है कि उनके यहां भी कम मरीज आए क्योंकि बीमार लोगों के परिवार वाले उन्हें लेकर शहर से भाग गए.

तस्वीर: dapd

जानकारों का कहना है कि अगर अल शहाब किसमायो के सभी तटों पर से अपना नियंत्रण खो देगा, तो उसे भारी आर्थिक हानि झेलनी पड़ेगी. केन्या के राष्ट्रपति म्बाई किबाकी का कहना है, "यह सोमालिया के लोगों के लिए बदलाव की घड़ी साबित होगी."

अल शहाब इस शहर के बंदरगाहों की मदद से प्राकृतिक संसाधनों और दूसरे मालों को बेचने का काम किया करता था, जिससे उसे पैसे मिलते थे. हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने यहां से कारोबार पर रोक लगा रखी है. अल शहाब ने 2007 से सरकार के खिलाफ विद्रोह बोला हुआ है लेकिन हाल के दिनों में जब से अफ्रीकी यूनियन की सेना वहां तैनात हुई है, वह पीछे हटा है.

सोमालिया में 1991 में हुए गृह युद्ध के बाद से यह किसी एक केंद्रीय प्रशासन के नियंत्रण में नहीं है. कई दशकों की कोशिश के बाद और संयुक्त राष्ट्र की मदद से सोमालिया में राष्ट्रपति चुना जा सका है.

एजेए/एएम (रॉयटर्स, एएफपी)

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