सोमालिया की राजधानी मोगादिशू में हुए आत्मघाती हमले में 300 लोगों की मौत हो गयी है. इस हमले में कम से कम 300 से ज्यादा लोग घायल हो गये हैं.
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एक आत्मघाती हमलावर ने सोमालिया की राजधानी मोगादिशू के भीड़ भरे चौराहे पर विस्फोटकों से भरे एक ट्रक से धमाका किया. इस धमाके में 300 लोगों की मौत हो गयी. इस हमले को देश के इतिहास का सबसे भयानक हमला बताया जा रहा है. इस हमले में पुलिस ने शुरुआती जानकारी में बताया था कि 20 लोगों की मौत हुई है. लेकिन बहुत ही जल्द मौतों का आंकड़ा 263 के पार हो गया.
न्यूज एजेंसी डीपीए के मुताबिक सोमालिया की सरकार ने एक बयान में बताया कि इस धमाके में मारे गये 111 लोगों के शवों की पहचान भी नहीं की जा सकी.
रॉयटर्स के मुताबिक मोगादिशू के एक डॉक्टर एदन नूर ने बताया, "160 शवों की शिनाख्त नहीं की जा सकी है. इसलिए उन्हें सरकार ने दफना दिया है. बाकी मृतकों का अंतिम संस्कार उनके रिश्तेदारों ने करवाया. इस हमले में सैकड़ों लोग घायल हुये हैं.” उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से घायल कुछ मरीजों को एयरपोर्ट रवाना किया गया है. उनका इलाज तुर्की में होगा.
मोगादिशू के मेयर ताबिद आबिद मोहम्मद ने अस्पताल पहुंच कर घायलों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि यह हमला कितना भयानक था. उनके मुताबिक, "इससे भयानक त्रासदी क्या हो सकती है कि मृतक के रिश्तेदार उनके शव के पास हों लेकिन उन्हें पहचान भी न पा रहे हों."
इस हमले से स्तब्ध लोग सोमालिया की सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं. सैकड़ों लोग नारे लगाते हुए लाल और सफेद बैंडेज लगा कर इस हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमालिया के एक सामाजिक कार्यकर्ता अबुकार शेख ने कहा, "इस वक्त ऐसा कोई घर नहीं है, जहां कोई आंसू न बहा रहा हो."
सोमालिया के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल्लाही मोहम्मद ने तीन दिन के शोक की घोषणा की है. साथ ही रक्तदान के लिए लोगों से अपील की है. शहर के लोग विस्फोट से क्षतिग्रस्त हुई इमारतों के मलबे के नीचे दबे पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं.
एसएस/एके (रॉयटर्स, डीपीए, एएफपी)
सबसे बड़े संघर्ष
दुनिया भर में पिछले साल करीब 400 संघर्ष चले जिनमें से 20 बड़े युद्ध हैं.
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शांति का नाम नहीं
चाहे धार्मिक कट्टरपंथ हो, या प्राकृतिक संसाधनों की तलाश या सिर्फ ताकत की भूख. हजारों साल से मनुष्य आपस में संघर्ष करते आ रहे हैं. 2013 में भी ऐसे ही हालात रहे. जर्मन शहर हाइडेलबर्ग की एक संस्था ने संघर्ष मापने का तरीका (कॉन्फ्लिक्ट बैरोमीट) निकाला है.
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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
कीवू में सेना ने एम23 विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई की. सरकार के साथ समझौते के बाद विद्रोही आपस में बंट गए. 2013 में सरकार ने विद्रोहियों पर विजयी होने का एलान किया. एम23 अब राजनीतिक स्तर पर काम करना चाहता है.
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माली
पश्चिम अफ्रीका के इस देश में इस्लामी कट्टरपंथी सत्ता हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. 2012 में उन्होंने देश का काफी हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया. फ्रांस ने माली की सरकार की मदद करने अपने सैनिक भेजे और इस्लामी कट्टरपंथियों पर हावी हुए. संयुक्त राष्ट्र के सैनिक अब वहां शांति कायम करने पहुंचे हैं.
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नाइजीरिया
इस्लामी आतंकवादी गुट बोको हराम नाइजीरिया में शरीया कानून लागू करना चाहता है. इस मकसद को पाने के लिए वह ईसाइयों और उदारवादी मुसलमानों पर हमला करता है. इस तस्वीर में ईसाई समुदाय के लोग एक हमले के बाद अपने रिश्तेदारों के लिए कब्र खोद रहे हैं.
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सूडान
दस साल से अफ्रीका के अलग अलग नस्ल दारफूर इलाके में सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं. लड़ाई पानी और जमीन को लेकर है. लाखों की मौत हो गई है और उतने ही लोग बेघर हैं.
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अफगानिस्तान
नाटो ने स्थानीय सेना को नियंत्रण सौंप दिया है लेकिन अफगानिस्तान में संघर्ष जारी है. तालिबान और इस्लामी गुटों के विद्रोही सरकार पर हमला करते हैं. 2013 में 2000 से ज्यादा आम लोग इन हमलों में मारे गए.
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मेक्सिको
ड्रग्स, मानव तस्करी और स्मगलिंग. मेक्सिको में माफिया इसी से पैसे कमाती है. अपना इलाका सुरक्षित करने के लिए गैंग एक दूसरे से लड़ते हैं. हर हफ्ते मुठभेड़ होती हैं. पिछले साल करीब 17,000 लोग ऐसे हादसों में मारे गए.
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सीरिया
गृह युद्ध का यह चौथा साल है. सीरिया सरकारी सैनिकों, विपक्ष और इस्लामी कट्टरपंथी गुटों के बीच बंट गया है. अब तक करीब एक लाख लोग संघर्ष में अपनी जान खो बैठे हैं.
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फिलिपींस
40 साल से फिलिपींस के दक्षिण में मोरो समुदाय के लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं. कुछ दिनों की शांति के बाद 2013 में संघर्ष दोबारा शुरू हुआ. मोरो विद्रोही संगठन एमएनएलएफ ने देश के दक्षिण में द्वीपों को आजाद घोषित कर दिया. सेना और विद्रोहियों की लड़ाई के बीच फंसे एक लाख से ज्यादा लोगों को इलाका छोड़कर भागना पड़ा.
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सोमालिया
सरकार और अल शबाब विद्रोहियों के बीच लड़ाई पिछले आठ साल से चल रही है. संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ के सैनिकों की मदद से इस्लामी कट्टपंथियों को काबू में रखा गया है लेकिन अल शबाब के लड़ाके अब भी देश के दक्षिणी हिस्से में कब्जा किए हुए हैं.
तस्वीर: Mohamed Abdiwahab/AFP/Getty Images
दक्षिण सूडान
नए देश के गठन होने के तीन साल बाद भी दक्षिण सूडान में शांति स्थापित नहीं हो पाई है.